सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में अवैध रूप से पेड़ों की कटाई पर अवमानना नोटिस जारी किया
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को मथुरा में वृंदावन-छटीकरा रोड पर 454 पेड़ों की अवैध कटाई के लिए जिम्मेदार उत्तर प्रदेश के दो निजी भूस्वामियों को सिविल अवमानना नोटिस जारी किया। जस्टिस अभय एस ओका और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने स्पष्ट किया कि इस तरह की कार्रवाई पूरी तरह से अवैध है।
नई दिल्ली (आरएनआई) "सीईसी की ताजा रिपोर्ट में चौंकाने वाली स्थिति का खुलासा हुआ है। इसमें दर्ज है कि 18 और 19 सितंबर 2024 की रात को 454 पेड़ों की अवैध कटाई की गई... रिपोर्ट से ऐसा प्रतीत होता है कि रिपोर्ट में नामित व्यक्तियों द्वारा इस न्यायालय के आदेशों का उल्लंघन करते हुए 454 पेड़ों की कटाई की यह पूरी तरह से अवैध कार्रवाई की गई है। प्रथम दृष्टया, हमारा मानना है कि रिपोर्ट में उल्लिखित व्यक्ति सिविल अवमानना के दोषी हैं। इसलिए हम उन्हें नोटिस जारी करते हैं, जिसका जवाब 16 दिसंबर को दिया जाना है, जिसमें उनसे कारण बताने को कहा गया है कि उनके खिलाफ न्यायालय की अवमानना अधिनियम के तहत कार्रवाई क्यों न की जाए।" न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह पीठ ने आदेश दिया कि साइट पर आगे कोई कटाई या कोई निर्माण गतिविधि नहीं होनी चाहिए, और पहले से ही अवैध रूप से काटी गई लकड़ी को कानून के अनुसार संभाला जाना चाहिए।
मथुरा के पुलिस अधीक्षक को स्थानीय अधिकारी को साइट का दौरा करने और वर्तमान आदेश का अनुपालन सुनिश्चित करने का निर्देश के लिए कहा है। इसमें कहा गया, "हम यह स्पष्ट करते हैं कि जब भी इस अदालत द्वारा पेड़ों की कटाई के लिए अनुमति दी जाती है, तो ऐसी गतिविधियाँ शाम 6 बजे से सुबह 8 बजे के बीच नहीं की जानी चाहिए।" पीठ उत्तर प्रदेश (यूपी) में 'ताज ट्रैपेज़ियम ज़ोन' के रूप में जानी जाने वाली भूमि में और उसके आसपास पेड़ों की कटाई से संबंधित मामलों की सुनवाई कर रही थी। आज की सुनवाई में संदर्भित क्षेत्र (डालमिया फ़ार्म) एक संरक्षित वन का हिस्सा है। अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी केंद्र सरकार की ओर से पेश हुईं।
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