सुप्रीम कोर्ट जजों का पांच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल मणिपुर के इंफाल पहुंचा, राहत शिविरों का करेंगे दौरा

न्यायमूर्ति बीआर गवई के नेतृत्व में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों का पांच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल शनिवार को मणिपुर के इंफाल पहुंचा। प्रतिनिधिमंडल के एक सदस्य ने कहा, "हम अभी-अभी आए हैं और इस यात्रा का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। हम यहां आकर बहुत खुश हैं।

Mar 22, 2025 - 10:14
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सुप्रीम कोर्ट जजों का पांच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल मणिपुर के इंफाल पहुंचा, राहत शिविरों का करेंगे दौरा

इंफाल (आरएनआई) न्यायमूर्ति बीआर गवई के नेतृत्व में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों का पांच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल शनिवार को मणिपुर के इंफाल पहुंचा। प्रतिनिधिमंडल के एक सदस्य ने कहा, "हम अभी-अभी आए हैं और इस यात्रा का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। हम यहां आकर बहुत खुश हैं।" इस प्रतिनिधिमंडल में न्यायमूर्ति बीआर गवई, सूर्यकांत, विक्रम नाथ, एमएम सुंदरेश, केवी विश्वनाथन और एन कोटिश्वर शामिल हैं। यह सभी लोग अपनी यात्रा के दौरान राहत शिविरों का दौरा करेंगे। 

राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (एनएएलएसए) के कार्यकारी अध्यक्ष न्यायमूर्ति गवई मणिपुर के सभी जिलों में विधिक सेवा शिविरों और चिकित्सा शिविरों का वर्चुअल उद्घाटन करेंगे। साथ ही इंफाल पूर्व, इंफाल पश्चिम और उखरुल जिलों में नए विधिक सहायता क्लीनिकों की भी शुरुआत की जाएगी। आंतरिक रूप से विस्थापित व्यक्तियों (आईडीपी) को आवश्यक राहत सामग्री का वितरण भी किया जाएगा। 

विधिक सेवा शिविर आईडीपी को सरकारी कल्याण कार्यक्रमों जोड़ा जाएगा जिससे स्वास्थ्य सेवा, पेंशन, रोजगार योजनाओं और पहचान के दस्तावेज जैसे लाभों तक लोगों की पहुंच सुनिश्चित होगी। इससे पहले 18 मार्च को कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने हिंसा प्रभावित मणिपुर में राहत शिविरों का दौरा करने वाले सुप्रीम कोर्ट के छह जजों के फैसले का स्वागत किया था। 

जयराम ने हिंसा प्रभावित राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने में देरी पर सवाल उठाया। कांग्रेस सांसद ने कहा, "हम मणिपुर का दौरा करने वाले सुप्रीम कोर्ट के छह जजों के फैसले का स्वागत करते हैं। अगस्त 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि संवैधानिक तंत्र पूरी तरह से ध्वस्त हो चुका है।

सुप्रीम कोर्ट ने यही शब्द इस्तेमाल किए थे, लेकिन इसके बावजूद सरकार को राष्ट्रपति शासन लगाने में करीब 18-19 महीने लग गए... राष्ट्रपति शासन लगाने में 18 महीने क्यों लगे? छह महीने तक कोई पूर्णकालिक राज्यपाल क्यों नहीं था। उन्होंने एक आदिवासी महिला, एक प्रतिष्ठित राजनीतिक शख्सियत को हटा दिया और उन्होंने असम के राज्यपाल को अतिरिक्त प्रभार दे दिया। वे एक सेवानिवृत्त सिविल सेवक को पूर्णकालिक राज्यपाल के रूप में लाए। क्यों? इसमें इतना समय क्यों लगा?" 

मणिपुर में हिंदू मैतेई और आदिवासी कुकी (जो ईसाई हैं ) के बीच हिंसा 3 मई, 2023 को ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ़ मणिपुर (ATSUM) की एक रैली के बाद भड़की थी। हिंसा ने पूरे राज्य को जकड़ लिया था और केंद्र सरकार को स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए अर्धसैनिक बलों को तैनात करना पड़ा था।

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