सुप्रीम कोर्ट: चुनाव नियम संशोधन को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई, ECI को तीन सप्ताह में दाखिल करना होगा जवाब
सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश की 1961 के चुनाव संचालन नियम में हाल के संशोधनों को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई की। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने चुनाव आयोग को जवाब दाखिल करने के लिए तीन सप्ताह का समय दिया।संशोधित नियम सीसीटीवी और अन्य चुनाव संबंधी दस्तावेजों तक जनता की पहुंच को प्रतिबंधित करते हैं।

नई दिल्ली (आरएनआई) सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव संचालन नियम 1961 में किए गए संशोधनों को लेकर दायर याचिकाओं पर सुनवाई की। कोर्ट ने कांग्रेस सचिव जयराम रमेश और अन्य की याचिका पर जवाब दाखिल करने के लिए चुनाव आयोग को तीन सप्ताह का वक्त दिया है। 15 जनवरी को इस मामले में मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने केंद्र और चुनाव आयोग को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था।
गुरुवार को जब याचिका पर सुनवाई शुरू हुई तो चुनाव आयोग की ओर से आए वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह ने जवाब दाखिल करने के लिए तीन और सप्ताह का समय मांगा। पीठ ने सिंह की प्रार्थना स्वीकार कर ली और सुनवाई के लिए 21 जुलाई का सप्ताह तय किया। इस मामले को लेकर जयराम रमेश के अलावा श्याम लाल पाल और कार्यकर्ता अंजलि भारद्वाज ने जनहित याचिका दायर की है।
सुनवाई के दौरान जयराम रमेश की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और अभिषेक सिंघवी ने कहा है कि 1961 के चुनाव नियमों में संशोधन बहुत चालाकी से किए गए थे। सीसीटीवी फुटेज तक किसी भी पहुंच को रोक दिया गया था। सिंघवी ने कहा कि मतदान के विकल्प कभी उजागर नहीं किए गए और सीसीटीवी फुटेज से वोटों का पता नहीं चल सकता और पीठ से आग्रह किया कि वह चुनाव आयोग और केंद्र से सुनवाई की अगली तारीख से पहले अपने जवाब दाखिल करने को कहे।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने दिसंबर 2024 में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में 1961 के चुनाव संचालन नियम में हाल के संशोधनों को चुनौती दी गई है। संशोधित नियम सीसीटीवी और अन्य चुनाव संबंधी दस्तावेजों तक जनता की पहुंच को प्रतिबंधित करते हैं। जयराम रमेश ने कहा कि चुनावी प्रक्रिया की अखंडता तेजी से खत्म हो रही है। उम्मीद है कि सर्वोच्च न्यायालय इसे बहाल करने में मदद करेगा।
चुनाव संचालन नियम, 1961 के नियम 93 अनुबंधों के मुताबिक, चुनाव से संबंधित सभी 'कागजात' सार्वजनिक निरीक्षण के लिए रखे जाएंगे। यानी ये सार्वजनिक स्तर पर उपलब्ध होंगे। अब केंद्र सरकार ने इस नियम में संशोधन किया है। इसके तहत अब नियम 93 की शब्दावली में 'कागजातों' के बाद 'जैसा कि इन नियमों में निर्दिष्ट है' शब्द जोड़े गए हैं। चुनाव आयोग से मशवरे के बाद केंद्रीय कानून और विधि मंत्रालय की तरफ से किए गए बदलावों के बाद अब चुनाव संबंधी सभी दस्तावेजों को सार्वजनिक निरीक्षण के लिए नहीं रखा जाएगा। अब आम जनता सिर्फ उन्हीं चुनाव संबंधी दस्तावेजों को देख सकेगी, जिनका जिक्र चुनाव कराने से जुड़े नियमों में पहले से तय होगा।
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