सुप्रीम कोर्ट के 37000 फैसलों का हिंदी में अनुवाद किया गया, अब क्षेत्रीय भाषाओं में करने की प्रक्रिया जारी
अनुवाद में मानवीय हस्तक्षेप के महत्व को समझाते हुए सीजेआई चंद्रचूड़ ने एआई का हवाला देते हुए कहा कि जैसे कि यह लीव ग्रांटेड को अनुवाद करते हुए अवकाश प्राप्त हुआ बनाता है।
नई दिल्ली (आरएनआई) आजादी के बाद से सुप्रीम कोर्ट के लगभग 37,000 फैसलों का हिंदी में अनुवाद किया जा चुका है। अब इन फैसलों को क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद करने की प्रक्रिया जारी है। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ ने इसकी जानकारी दी। एक मामले की सुनवाई के दौरान सीजेआई ने बताया कि हिंदी के बाद तमिल भाषा सबसे आगे चल रही है। इस दौरान उनके साथ जस्टिस जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्रा भी मौजूद थे। संविधान की आठवीं अनुसूची हिंदी, असमिया, बांग्ला, बोडो और डोगरी समेत 22 भाषाओं को मान्यता देती है।
शीर्ष अदालत ने 2023 में वकील, कानून के छात्रों और आम लोगों को अपने निर्णय तक मुफ्त पहुंच बनाने के लिए ई-एससीआर (इलेक्ट्रॉनिक सुप्रीम कोर्ट रिपोर्ट) परियोजना को लॉन्च किया गया था। वकीलों ने ई-एससीआर का उपयोग करते हुए पूराने निर्णयों का हवाला भी दिया। सीजेआई ने कहा, "कृपया मामलों को संदर्भित करने के लिए हमारे ई-एससीआर का उपयोग करें।" उन्होंने आगे कहा कि एआई की मदद से अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले क्षेत्रीय भाषाओं में हो रहे हैं। अंतिम अनुवाद की समीक्षा मानवीय हस्तक्षेप से होगी।
अनुवाद में मानवीय हस्तक्षेप के महत्व को समझाते हुए सीजेआई चंद्रचूड़ ने एआई का हवाला देते हुए कहा कि जैसे कि यह लीव ग्रांटेड को अनुवाद करते हुए अवकाश प्राप्त हुआ बनाता है। कानूनी भाषा में लीव का मतलब होता है अदालत की अनुमति लेना। ई-एससीआर परियोजना को लॉन्च करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि फैसला सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट, मोबाइल एप और राष्ट्रीय न्यायिक डाटा ग्रिड के जजमेंट पोर्टल पर उपलब्ध होंगे। बता दें कि ई-एससीआर परियोजना सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों का डिजिटल संस्करण प्रदान करने की एक पहल है।
Follow RNI News Channel on WhatsApp: https://whatsapp.com/channel/0029VaBPp7rK5cD6XB2
What's Your Reaction?