सीएम आवास सील होने पर गरमाई दिल्ली की सियासत, आप और भाजपा 'शीश महल' पर आमने-सामने

मुख्यमंत्री सचिवालय (सीएमओ) की तरफ से इसे जबरन की गई कार्रवाई करार दिया गया है। साथ में आशंका जताई है कि इसे भाजपा के किसी बड़े नेता को दिया जा सकता है। 

Oct 10, 2024 - 16:00
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सीएम आवास सील होने पर गरमाई दिल्ली की सियासत, आप और भाजपा 'शीश महल' पर आमने-सामने

नई दिल्ली (आरएनआई) सिविल लाइंस स्थित 6, फ्लैग स्टाफ रोड पर सीएम आवास के सील होने के बाद दिल्ली की सियासत गरमा गई है। मुख्यमंत्री सचिवालय (सीएमओ) की तरफ से इसे जबरन की गई कार्रवाई करार दिया गया है। साथ में आशंका जताई है कि इसे भाजपा के किसी बड़े नेता को दिया जा सकता है। 

बुधवार शाम सीएमओ की तरफ से बयान जारी किया गया कि एलजी के आदेश पर मुख्यमंत्री आतिशी का सामान उनके आधिकारिक आवास से जबरन बाहर निकाल दिया गया। देश के इतिहास में यह पहली बार हुआ है, जब जनता द्वारा चुने गए मुख्यमंत्री को सीएम कैंप कार्यालय और आवास से जबरन बेदखल कर दिया गया। पीडब्ल्यूडी ने 6 अक्तूबर को सीएम आवास की चाबी आतिशी को सौंप दी थी। इस प्रक्रिया में विभाग ने सभी नियमों और प्रोटोकॉल का पालन किया गया है।

सामान्य प्रशासन विभाग ने इसका अनापत्ति प्रमाणपत्र भी जारी किया है। सीएम आवास खाली करने के दौरान पीडब्ल्यूडी ने आधिकारिक तौर पर पूर्व सीएम केजरीवाल के आवास खाली करने की रिपोर्ट भी दी है। बाद में पीडब्ल्यूडी ने सीएम आवास की चाबियां मुख्यमंत्री आतिशी को सौंप दीं। भाजपा ने एलजी से मिलीभगत कर सामान सीएम आवास से जबरन बाहर निकलवा दिया। भाजपा दिल्ली सरकार के हर अधिकार को किसी न किसी तरह से छीनने की कोशिश कर रही है।

आवास को सील करने की योजना पीडब्ल्यूडी ने बुधवार सुबह ही तैयार कर ली थी। करीब आठ बजे विभाग ने उत्तरी जिला पुलिस से अतिरिक्त सुरक्षा बलों की मांग की थी। डीसीपी ने फोर्स मुहैया कराई। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि सुबह से लेकर देर रात तक 6 फ्लैग स्टाफ रोड पर अतिरिक्त पुलिस तैनात रही।

पीडब्ल्यूडी के एई के चार अक्तूबर के पत्र के जवाब में उप सचिव (सीएमओ) सतेंद्र मोहन ने कहा है कि पीडब्ल्यूडी ने पूर्व मुख्यमंत्री को जो आवास की चाबियां दी गई थीं, उसे अस्थायी तौर पर वापस लिया गया है। 

केजरीवाल ने 4 अक्तूबर को आधिकारिक मुख्यमंत्री आवास को सुबह करीब 11 बजे खाली कर दिया था और चाबी मुख्यमंत्री कैंप ऑफिस में सेक्शन ऑफिसर को सौंप दी थी। 

पांच अक्तूबर को मुख्यमंत्री कार्यालय ने पीडब्ल्यूडी और जीएडी को पत्र भेजकर आगे की आवश्यक कार्रवाई का अनुरोध किया था। इसी दिन पीडब्ल्यूडी के जूनियर इंजीनियर ने सीएम कैंप कार्यालय के सेक्शन ऑफिसर को आवास खाली करने की रिपोर्ट सौंपी। 

चार अक्तूबर को मुख्यमंत्री सचिवालय ने आतिशी को सीएम आवास आवंटित करने का अनुरोध किया था। 

आवास के लिए नो ड्यूज सर्टिफिकेट जीएडी ने 7 अक्तूबर को केजरीवाल को जारी किया गया।

अतिशी ने 6 अक्तूबर दोपहर 2 बजे मुख्यमंत्री आवास का दौरा किया, जहां पीडब्ल्यूडी अधिकारी मौजूद थे। 

इसी दौरान सेक्शन ऑफिसर ने पीडब्ल्यूडी के जूनियर इंजीनियर को चाबियां दीं और उन्होंने   चाबियों को मुख्यमंत्री आतिशी को सौंप दिया।
 
प्रदेश भाजपा ने पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के निवास को सील करने की कार्रवाई का स्वागत किया है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने बुधवार को कहा कि लोकनिर्माण विभाग को इस विवादित ‘शीश महल’ को पहले ही सील कर देना चाहिए था, क्योंकि सीलिंग जन आकांक्षाओं के अनुरूप है और विभाग को इस भवन का वीडियो ग्राफिक सर्वेक्षण करवाकर रिपोर्ट दिल्ली की जनता के समक्ष रखनी चाहिए। 

भाजपा लगातार जांच व सीलिंग की मांग कर रही है। अब इसकी हर बात को जनता के बीच रखा जाना चाहिए। फ्लैग स्टाफ रोड स्थित बंगले पर मुख्यमंत्री आतिशी का बिना सरकारी आवंटन नियमों के पालन के कब्जा करवाने की जल्दबाजी साफ दर्शाती है कि बंगले में कुछ न कुछ ऐसा है जिसे केजरीवाल न सिर्फ दिल्ली वालों से बल्कि कानून एवं लोकनिर्माण विभाग तक से छुपाकर रखना चाहते हैं।

मीडिया प्रमुख प्रवीण शंकर कपूर ने कहा है कि विडंबना है कि जिस पार्टी की सारी राजनीति ही न बंगला, न गाड़ी पर आधारित थी, वह आज बंगले के लिए अखाड़ा जमाए बैठी है। आतिशी के पास मंत्री के रूप में पहले से आवंटित 17एबी मथुरा रोड का बंगला है और इसी बंगले से तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने 1998 से 2004 तक सरकार चलाई थी।
 
इस मामले में उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री आतिशी का बिना आवंटन बंगले में प्रवेश करना और आप नेताओं के बयान शराब घोटाले, अवैध निर्माण, पेड़ कटाई, स्वाति मालीवाल से मारपीट जैसे संवेदनशील मामलों के सबूत छिपे होने की पुष्टि करते हैं। सतर्कता विभाग के संबंधित अधिकारियों से जवाब मांगने के लिए नोटिस जारी करना इस बात की ओर स्पष्ट इशारा करता है। अगर सरकारी भवन आतिशी को ही आवंटित किया जाना था, तो फिर आप नेता और मंत्री सरकारी प्रक्रिया का इंतजार क्यों नहीं कर सकते थे। 

सात अक्तूबर को बिना किसी आवंटन के आतिशी ने बंगले में जबरन प्रवेश कर अपना सामान क्यों रखा। सांविधानिक पद पर आसीन व्यक्ति के लिए यह कृत्य उचित नहीं है। सरकारी भवन के आवंटन में समय लगता है और कुछ प्रशासनिक कार्यवाहियों की आवश्यकता होती है। 
 

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