सिद्धारमैया ने सीएम पद से इस्तीफा देने से किया साफ इनकार, कहा- हमारी सरकार को अस्थिर करने का प्रयास
इससे पहले कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने सिद्धारमैया के पद से हटने की संभावनाओं से भी इनकार किया। उन्होंने यह भी कहा कि उनकी पार्टी से किसी भी पार्टी नेता ने मुख्यमंत्री पद के लिए दावा नहीं किया है।
बेंगलुरु (आरएनआई) मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (मुडा) मामले में कर्नाटक की राजनीति गरमा गई है। भाजपा और जेडीएस के नेता और कार्यकर्ता मुख्यमंत्री सिद्धारमैया से इस्तीफे की मांग कर रहे हैं। सिद्धारमैया ने सीएम पद से इस्तीफा देनेसे इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि यह उनकी सरकार को अस्थिर करने का प्रयास है। कर्नाटक सीएम ने एचडी कुमारस्वामी पर भी निशाना साधा। उनके बयान पर भाजपा ने तुरंत पलटवार किया। भाजपा नेता सीटी रवि ने कहा कि कांग्रेस डरी हुई है, क्योंकि उन्होंने भ्रष्टाचार किया है।
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा, "मैं इस्तीफा नहीं दूंगा। एचडी कुमारस्वामी एक मंत्री हैं। उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज होने के बाद भी वह जमानत पर हैं। वह नरेंद्र मोदी सरकार में मंत्री हैं। वे हमारी सरकार को अस्थिर करना चाहते हैं। उन्होंने ऑपरेशन लोटस चलाया, लेकिन इसमें वे असफल हुए, क्योंकि हम 136 विधायक हैं। उन्होंने बिना जनादेश के दो बार सरकार बनाईं। क्या येदियुरप्पा जीत पाएं? हमने इसे न्यायिक तरीके से लड़ा।
सीएम सिद्धारमैया के बयान पर भाजपा नेता सीटी रवि ने प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, "कांग्रेस डरी हुई है, क्योंकि उन्होंने भ्रष्टाचार किया है। अगर वे ईमानदार हैं तो उन्हें जांच से डरना नहीं चाहिए। उन्होंने (जांच की लिए सीबीआई की सामान्य सहमति) रद्द कर दी, क्योंकि वे भ्रष्ट हैं। वे डरे हुए हैं, क्योंकि उनपर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। उपयोग और दुरुपयोग में अंतर है। क्या हमने उनसे भ्रष्टाचार करने के लिए कहा? जांच होने पर सच्चाई सामने आ जाती है और वे इससे डरते हैं।
यह मामला उन आरोपों से संबंधित है कि सिद्धारमैया की पत्नी बीएम पार्वती को मैसूर के एक महंगे इलाके में मुआवजा स्थल आवंटित किया गया था, जिसकी संपत्ति का मूल्य मुडा की ओर से अधिग्रहित की गई उनकी भूमि के स्थान की तुलना में अधिक था। मुडा ने पार्वती को उनकी 3.16 एकड़ भूमि के बदले 50:50 अनुपात योजना के तहत भूखंड आवंटित किए थे, जहां मुडा ने एक आवासीय लेआउट विकसित किया थ।
इसी घोटाले में सीएम सिद्धारमैया को राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने कारण बताओ नोटिस जारी किया था। साथ ही उनके खिलाफ जांच शुरू करने और मुकदमा चलाने की मंजूरी दी। राज्यपाल के आदेश को सीएम सिद्धारमैया ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। हाईकोर्ट से सीएम को बड़ा झटका लगा। अदालत ने सीएम पर केस चलाने की मंजूरी दी।
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