सिक्किम की छह सबसे अधिक खतरे वाली ग्लेशियल झीलों की होगी निगरानी
सिक्किम के मंगन जिले में शुरू किए गए इस अभियान का उद्देश्य तफसीली से उच्च जोखिम वाली तेनचुंगखा, खांगचुंग छो, लाचेन खांगत्से, लाचुंग खांगत्से, ला त्सो और शाको छो ग्लेशियल झीलों की संवेदनशीलता का आकलन करना है।
नई दिल्ली (आरएनआई) राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के कहने पर सिक्किम की छह सबसे अधिक खतरे वाली ग्लेशियल झीलों का 15 दिनों तक अध्ययन किया जाएगा। पखवाड़े तक चलने वाला यह अध्ययन शनिवार से शुरू हुआ। इसके तहत इन झीलों के विस्तार क्षेत्र, गहराई और देशांतरीय रूपरेखा का मूल्यांकन होगा। एनडीएमए के मुताबिक, भारत में 189 उच्च जोखिम वाली ग्लेशियल झीलें हैं। इनमें से 40 अकेले सिक्किम में हैं।
सिक्किम के मंगन जिले में शुरू किए गए इस अभियान का उद्देश्य तफसीली से उच्च जोखिम वाली तेनचुंगखा, खांगचुंग छो, लाचेन खांगत्से, लाचुंग खांगत्से, ला त्सो और शाको छो ग्लेशियल झीलों की संवेदनशीलता का आकलन करना है। यह ग्लेशियल झील संवेदनशीलता आकलन अध्ययन (जीएलएसएएस) महासागरों, सागरों और झीलों में पानी की गहराई नापने वाले बाथिमेट्री सर्वेक्षण से किया जाएगा। इससे झीलों के भौतिक आकार को नापने में मदद मिलेगी। अधिकारियों ने कहा कि अगर वक्त मिला तो कुछ अन्य झीलों का भी तेजी से आकलन किया जाएगा।
बदलती जलवायु के लिए ग्लेशियरों की उच्च संवेदनशीलता दुनिया भर में बड़े पैमाने पर ग्लेशियर के बर्फ के पिघलने की वजह बन रही है। इस वजह से हिमनद झीलों की संख्या और क्षेत्र में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। हिमनद झील के फटने से बाढ़ का बड़ा खतरा पैदा होता है। सिक्किम में 4 अक्टूबर, 2023 को दक्षिण ल्होनक ग्लेशियल झील में आई बाढ़ से जन-जीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ था और अभी तक इससे उबरा नहीं जा सका है।
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