हाथरस। जहां एक ओर डॉक्टर को भगवान का दूसरा रूप का दर्जा दिया जाता है, वहीं दूसरी ओर यहां सरकारी बागला संयुक्त जिला चिकित्सालय, हाथरस में कार्यरत रेडियोलॉजिस्ट डॉ. संतोष कुमार गुप्ता ने डॉक्टर के पेशे को कलंकित करते हुये अपने निजी स्वार्थ के कारण भ्रष्टाचार के चलते एक नाबालिग बालिका(किशोरी) की उम्र को बालिग दर्शा कर फर्जी तरीके से रिपोर्ट प्रेषित करके डॉक्टर के नाम पर एक बद््दुनमा दाग (धब्बा) लगाकर चिकित्सकों के पेशे को बदनाम करने का भी काम किया है। भ्रष्टाचार में लिप्त इस डॉक्टर द्वारा अपने पद का दुरूप्रयोग करके गलत कृृत्य व कारनामे करने वाले एवं अपनी मनमानी करके अवैध तरीके से पीड़ित बालिका (किशोरी) के उम्र की एक्सरा रिपोर्ट को प्रेषित करके अवैधानिक तरीके से देने के दोषी डॉ. संतोष कुमार गुप्ता के काले कारनामे के खिलाफ उत्तर प्रदेश शासन तथा जिला प्रशासन हाथरस एवं चिकित्सा स्वास्थ्य व परिवार कल्याण विभाग उत्तर प्रदेश के प्रमुख सचिव और स्वास्थ्य निदेशालय के निदेशक आदि वरिष्ठ अफसरों से शिकायत करने के अलावा न्यायालय श्रीमान्् मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, हाथरस की कोर्ट में भी एक याचिका (मुकद्दमा) दायर किया गया है। मजे की बात तो यह है कि इतना सबकुछ हो जाने के बावजूद भी लगभग एक दर्जन से भी अधिक लिखित में अलग-अलग शिकायतेें मिलने तथा उत्तर प्रदेश शासन के विशेष सचिव के द्वारा दोषी डॉ. संतोष कुमार गुप्ता के खिलाफ कार्यवाही करने के आदेश मिलने पर भी यहां के स्वास्थ्य विभाग के मुखिया सी.एम.ओ. डॉ. मनजीत सिंह ने अभी तक कोई भी विभागीय या कानूनी कार्यवाही डॉ. संतोष कुमार गुप्ता के खिलाफ नहीं की है। सी.एम.ओ. डॉ. मनजीत सिंह इस मामले में चुप्पी साथ कर बैठे हुये हैं और भ्रष्टाचार में लिप्त दोषी डॉ. संतोष कुमार गुप्ता को शायद बचाने का भी भरपूर प्रयास कर रहे हैं। सी.एम.ओ. द्वारा अभी तक दोषी डॉक्टर के खिलाफ कोई भी कार्यवाही न करने पर वह भी अब संदेह (शक) के घेरे में आ गये हैं। क्योंकि लिखित में कार्यवाही करने के आदेश मिलने के बावजूद भी उन्होंने फर्जी कृृत्य करने वाले डॉ. संतोष कुमार गुप्ता के खिलाफ अभी तक कोई भी एक्शन नहीं लिया है और ना हीं उनके खिलाफ थाना कोतवाली हाथरस गेट में कोई रिपोर्ट (एफ.आई.आर.)दर्ज कराई है। सी.एम.ओ. डॉ. मनजीत सिंह द्वारा दोषी डॉ. संतोष कुमार गुप्ता की लिखित शिकायतों पर लगभग साढ़े तीन माह बीत जाने पर भी कोई कार्यवाही न होने पर अब पीड़ित बालिका (किशोरी) के चाचा ने भ्रष्टाचार में लिप्त डॉ. संतोष कुमार गुप्ता के फर्जी एवं गलत कृृत्यों की लिखित में शिकायतें मेडीकल काउंसिल ऑफ इंडिया, नई दिल्ली (नेशनल मेडीकल कमीशन) के सचिव तथा मेडीकल काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश, लखनऊ के डायरेक्टर जनरल से की हैं। मेडीकल काउंसिल ऑफ इंडिया (नई दिल्ली) के सचिव तथा मेडीकल काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश ;लखनऊद्ध के डायरेक्टर जनरल को भेजे गये शिकायती प्रार्थना पत्रों में पीड़ित बालिका (किशोरी) के चाचा ने कहा है कि उनकी भतीजी (उम्र 15 साल, 11 माहद्) के साथ स्कूल जाते समय एक नामजद युवक ने छेड़छाड़ कर दी थी। जिसकी रिपोर्ट (मुकद््दमा) थाना कोतवाली हाथरस गेट में दर्ज कराया गया है। पुलिस ने विवेचना के दौरान उनकी नाबालिग भतीजी का विगत दिनांक 11.09.2023 को जब ऐज (उम्र) का एक्सरा परीक्षण बागला जिला संयुक्त चिकित्सालय, हाथरस में कराया तो वहां ड््यूटी पर मौजूद रेडियोलॉजिस्ट डॉ. संतोष कुमार गुप्ता ने दूसरे पक्ष से सांठ-गांठ करके भ्रष्टाचार के चलते दूसरे पक्ष को फायदा पहंुचाने के लिये डॉ. संतोष कुमार गुप्ता ने अपने पद का दुरूप्रयोग करके उनकी नाबालिग भतीजी की सही उम्र पन्द्रह साल, ग्यारह माह के तमाम साक्ष्यों तथा शैक्षणिक अभिलेखों की अनदेखी करके भ्रष्टाचार के चलते उनकी भतीजी की उम्र को बिना पैनल/बोर्ड की अनुपस्थिति में अवैध तरीके से उम्र की रिपोर्ट को बनाकर लगभग 18 वर्ष लिख दिया। पीड़ित बालिका के चाचा ने हमारे संवाददाता को जानकारी देते हुये बताया है कि जब उस बच्ची के माता पिता की शादी को ही अभी 17 साल पूरे नहीं हुये हैं, तो 18 वर्ष की उनकी पुत्री कहां से पैदा हो गयी ? यह बहुत ही बड़ा प्रश्न है और यह प्रश्न ही रेडियोलॉजिस्ट डॉ. संतोष कुमार गुप्ता के भ्रष्ट होने तथा उनके द्वारा गलत व फर्जी कार्यों को करने की खुलेआम गवाही भी दे रहा है। नाबालिग पीड़ित बालिका के चाचा का यह भी कहना है कि बागला संयुक्त जिला चिकित्सालय हाथरस के सी.एम.एस. तथा स्वास्थ्य विभाग जनपद हाथरस के मुखिया सी.एम.ओ. डॉ. मनजीत सिंह री-मेडीकल के दौरान ओ.पी.जी. डेन्टल एक्सरा रिपोर्ट को करवाने का बहाना बना कर उत्तर प्रदेश शासन के विशेष सचिव तथा चिकित्सा स्वास्थ्य व परिवार कल्याण विभाग उत्तर प्रदेश के प्रमुख सचिव एवं स्वास्थ्य निदेशालय के निदेशक और जिलाधिकारी हाथरस को भ्रमित व गुमराह करके दोषी व भ्रष्ट डॉ. संतोष कुमार गुप्ता को बचाने का प्रयास कर रहे हैं। पीड़ित बालिका के चाचा ने आगे जानकारी देते हुये यह भी बताया है कि उत्तर प्रदेश शासन तथा जिलाधिकारी हाथरस ने पूर्व में उनके कई शिकायती प्रार्थना पत्रों पर डॉ. संतोष कुमार गुप्ता के विरूद्ध जांच करके कड़ी कार्यवाही करने के निर्देश दिये हैं। लेकिन सी.एम.ओ. ने री-मेडीकल कराने के नाम पर अभी तक साढ़े तीन माह बीत जाने पर भी कोई कार्यवाही नहीं की है और उत्तर प्रदेश शासन तथा जिला प्रशासन हाथरस के उच्च अफसरों को री-मेडीकल की आड़ में भ्रमित व गुमराह करके उनको गलत तरीके से जानकारी उपलब्ध करायी जा रही है। पीड़िता नाबालिग बालिका के चाचा का यह भी कहना है कि लगभग एक दर्जन से भी अधिक शिकायती प्रार्थना पत्र सी.एम.ओ. पर कार्यवाही के लिए उत्तर प्रदेश शासन व डी.एम. हाथरस द्वारा भेजे जा चुके हैं। लेकिन आज तक सी.एम.ओ. ने पीड़ित पक्ष का कोई भी बयान या साक्ष्य सबूत नहीं मांगे हैं और ना ही कोई पीड़ित पक्ष से बातचीत की गई है। जबकि नाबालिग पीड़ित बालिका ;बच्चीद्ध के जन्म से लेकर जिस हॉस्पीटल में इस बच्ची का जन्म हुआ उस अस्पताल का मिनट व घण्टों के टाइम के समय का जारी हुआ जन्म प्रमाण पत्र, नगर पालिका परिषद हाथरस द्वारा जारी हुआ जन्म प्रमाण पत्र तथा हाईस्कूल परीक्षाफल की मार्कशीट एवं अन्य पुख्ता साक्ष्य नाबालिग 15 वर्ष 11 माह होने के मौजूद हैं। लेकिन सी.एम.ओ. हाथरस ने उन सभी मुख्य साक्ष्यों की अनदेखी करके दोषी डॉ. संतोष कुमार गुप्ता को बचाने की भरपूर कोशिश कर रहे हैं। इसलिये ही उन्होंने अभी तक कोई कार्यवाही नहीं की है। इधर कानूनी विशेषज्ञों का भी यह कहना है कि जिस किसी भी बच्चे की जन्मतिथि हाईस्कूल परीक्षाफल की मार्कशीट में लिखी होती है उसी जन्मतिथि को हर जगह सही माना जाता है और उस जन्मतिथि को ही प्रत्येक न्यायालय के माननीय न्यायाधीश महोदय प्रमुख वरीयता के साथ उम्र का मुख्य साक्ष्य मानते भी हैं। चाहे वह हाईकोर्ट हो या सुप्रीम कोर्ट सभी न्यायालयों के न्यायाधीश हाईस्कूल की मार्कशीट में लिखी जन्मतिथि पर ही उम्र सिð होने का निर्णय लेते हैं। भ्रष्टाचार में लिप्त डॉ. संतोष कुमार गुप्ता द्वारा अवैधानिक तरीके से तैयार की गई कूटरचित फर्जी एक्सरा उम्र रिपोर्ट पर न तो पैनल/बोर्ड द्वारा गठित चिकित्सक किसी हड््डी रोग विशेषज्ञ की कोई जांच रिपोर्ट अंकित है और ना ही कोई उनके हस्ताक्षर हैं और ना ही किसी दंत चिकित्सक की कोई रिपोर्ट अंकित है और ना ही कोई ओ.पी.जी. डेन्टल एक्सरा रिपोर्ट प्रेषित है। सूत्रों की मानें तो ऐज (उम्र) एक्सरा रिपोर्ट का कार्य सी.एम.ओ. द्वारा गठित पैनल/बोर्ड के अन्तर्गत ही नामित किये गये तीन सदस्य चिकित्सकों की देखरेख व उनके निर्देशन में हीं ऐज (उम्र) रिपोर्ट का परीक्षण करके उस मेडीकल रिपोर्ट को सी.एम.ओ. अथवा ए.सी.एम.ओ. की संस्तुति/सहमति से ही उनके हस्ताक्षर करके उस रिपोर्ट को दिया जाता है। लेकिन भ्रष्टाचार की चकाचौंध में डूबे हुये डॉ. संतोष कुमार गुप्ता ने सी.एम.ओ. को ठेंगा दिखाते हुये अपनी मनमानी करके अवैध तरीके से अपने वरिष्ठ अफसरों के आदेशों की भी खुलेआम धज्जियां उड़ाते हुये फर्जी तरीके से पीड़ित बालिका की सही उम्र 15 साल 11 माह को अवैधानिक तरीके से लगभग 18 ही लिख दिया। बागला संयुक्त जिला चिकित्सालय में कार्यरत भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाले डॉ. संतोष कुमार गुप्ता के खिलाफ मेडीकल काउंसिल ऑफ इंडिया (नई दिल्ली) के सचिव तथा मेडीकल काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश (लखनऊ) के डायरेक्टर जनरल को भेजे गये शिकायती प्रार्थना पत्रों में पीड़ित बालिका के चाचा ने अपील/मांग की है कि अपने पद का दुरूप्रयोग करके मनमानी करने वाले भ्रष्ट चिकित्सक रेडियोलॉजिस्ट डॉ. सतोष कुमार गुप्ता के खिलाफ कड़ी से कड़ी कानूनी व विभागीय कार्यवाही करते हुये उनका मेडीकल सर्टीफिकेट को भी तत्काल प्रभाव से निरस्त करते हुये फर्जी तरीके से एक्सरा ऐज (उम्र) की रिपोर्ट बनाने के आरोप में उनके खिलाफ थाना कोतवाली हाथरस गेट में मुकद््दमा (एफ.आई.आर.) भी दर्ज करवायी जाये। ताकि भविष्य में कोई अन्य और चिकित्सक ऐसा गलत कृृत्य एवं फर्जी कार्य करने की कभी हिम्मत भी न कर सके तथा पीड़ित लोगों को भी सही तरीके से हर जगह आसानी से उनको न्याय मिल सके।