साध्वी बनीं राखी घर को लौटीं, महंत कौशल गिरि सात साल के लिए निष्कासित
महाकुंभ के प्रथम स्नान पर्व से पहले आगरा की 13 वर्ष की नाबालिग को साध्वी बनाकर दान के रूप में प्राप्त करने वाले जूना अखाड़े के महंत कौशल गिरि को सात साल के लिए अखाड़े से निष्कासित कर दिया गया है।
प्रयागराज/आगरा (आरएनआई) महाकुंभ के प्रथम स्नान पर्व से पहले आगरा की 13 वर्ष की नाबालिग को साध्वी बनाकर दान के रूप में प्राप्त करने वाले जूना अखाड़े के महंत कौशल गिरि को सात साल के लिए अखाड़े से निष्कासित कर दिया गया है।
शुक्रवार को रमता पंच की मौजूदगी में अखाड़े के शीर्ष पदाधिकारियों की पंचायत में यह निर्णय लिया गया। इसी के साथ साध्वी बनाई गई बालिका को घर भेजा दिया गया। पौष पूर्णिमा पर 13 जनवरी से शुरू हो रहे महाकुंभ में देशभर से साधु-संतों के पहुंचने का सिलसिला तेज हो गया है।
अखाड़े अपनी छावनियों में राजसी ठाटबाट के साथ प्रवेश कर चुके हैं। इसके बीच में एक हैरान करने वाले घटनाक्रम ने देश-दुनिया से यहां आने वाले संतों-भक्तों का ध्यान खींचा है।
जूना अखाड़े के महंत कौशल गिरि ने आगरा के रहने वाले एक परिवार की 13 वर्षीय बेटी राखी को दान के रूप में प्राप्त करने का दावा करते हुए उसे साध्वी बना लिया था। जूना अखाड़े में बालिका साध्वी की वेशभूषा में नजर आई थी।
तब कहा जा रहा था कि संन्यासिनी की दीक्षा दिलाने के बाद महाकुंभ में धर्मध्वजा पर संस्कार कराया जाएगा। इसके बाद परंपरा के अनुसार बालिका के जीते जी पिंडदान कराने की भी घोषणा की गई।
कौशल गिरि का कहना था कि इसके बाद वह सांसारिक जीवन त्याग कर पूरी तरह संन्यासिनी जीवन में प्रवेश कर लेगी और उसका नाम साध्वी गौरी रखा गया था।
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