सह अनुभूति के लिए विकलांग न्याय यात्रा में सिविल सोसायटी ने जमीन पर रेंगते/घिसटते हुए किया समर्थन
गुना। पिछले कई दिनों से चलकर गुना शहर की सीमा में प्रवेश करने के साथ ही आज विकलांग न्याय यात्रा को गुना की सिविल सोसायटी ने अपना समर्थन दिया। आरंभ स्थल पर संपन्न सभा को संबोधित किया और कोरी सहानुभूति से परे सह अनुभूति के लिए जमीन पर रेंगते/ घसिटते हुए रैली में भाग लिया।
रैली के आरंभ स्थल पर हुई सभा को संबोधित करते हुए लोकतंत्र सेनानी (मीसा बंदी) राकेश मिश्रा ने अपने संबोधन में कहा कि विकलांगों को आंदोलन के लिए मजबूर करना प्रशासन की हिंसा है. ये लोग शारीरिक रूप से विकलांग हैं पर शासन मानसिक दिवालियेपन की शिकार।
ट्रेड यूनियन लीडर नरेन्द्र भदोरिया ने कहा मैं गत चालीस वर्षों से एक हाथ के बिना जी रहा हूं, एक पैर में रॉड डली है, असल में अपंगता के साथ जीवन जीना ही एक चुनौती है ऊपर से सुविधाओं का भी अभाव हो तो जीवन बोझ हो जाता है।
भगतसिंग मंच के लोकेश शर्मा ने संघर्ष की राह को भविष्य के जीवन की राह को सुगमता का विकल्प निरूपित करते हुए संघर्ष को जीवन की आशा के लिए जरूरी बताया।
पर्यावरण चिंतक रोहित भार्गव ने विकलांगों को संगठित होकर लगातार संघर्ष करने को ही बड़ी जीत बताया। सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. पुष्पराग ने विकलांगता को तीन कारण जन्म, बीमारी और दुर्घटना में वर्गीकृत करते हुए बताया कि ये तीनों ही कारण प्रकृति या व्यवस्थाजन्य हैं इसलिए जिम्मेदारी व निवारण भी समाज व्यवस्था को ही करनी होगी।
चर्चा के उपरान्त सिविल सोसायटी के साथियों ने विकलांगता के सह अनुभूति के लिए पुष्पराग ने जमीन पर रेंग कर चलते हुए, राकेश मिश्रा, लोकेश व रोहित ने एक पैर से लंगड़ी चलते हुए, भदोरिया ने एक हाथ के साथ विकलांग रैली में भाग लिया।
अयोजन में सामाजिक कार्यकर्ताओं ने विकलांग साथियों को रक्षा सूत्र बांध कर उनकी रक्षा का वचन दिया। जनगीत गाकर आंदोलन के लिए हौसला बढ़ाया।
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