'सरकारी स्कूलों से जाति/समुदाय के नाम हटाए सरकार', मद्रास हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव को दिया निर्देश
न्यायमूर्ति एसएम सुब्रमण्यम और न्यायमूर्ति सी कुमारप्पन की खंडपीठ कल्लाकुरिची जहरीली शराब त्रासदी के बाद स्वत: शुरू की गई कार्यवाही पर आगे अंतरिम आदेश पारित कर रही थी। इस शराब त्रासदी में लगभग 65 लोगों की जान चली गई थी।
चेन्नई (आरएनआई) मद्रास हाईकोर्ट ने शुक्रवार को तमिलनाडु सरकार से राज्य के सभी सरकारी स्कूलों से जाति/समुदाय के नाम हटाने को कहा है। हाईकोर्ट ने इस संबंध में मुख्य सचिव को उचित कार्रवाई शुरू करने के निर्देश दिए हैं।
न्यायमूर्ति एसएम सुब्रमण्यम और न्यायमूर्ति सी कुमारप्पन की खंडपीठ कल्लाकुरिची जहरीली शराब त्रासदी के बाद स्वत: शुरू की गई कार्यवाही पर आगे अंतरिम आदेश पारित कर रही थी। इस शराब त्रासदी में लगभग 65 लोगों की जान चली गई थी। पीठ ने कहा कि यह संज्ञान में लाया गया है कि सरकारी स्कूल उस इलाके (कलवारायण पहाड़ियों) में 'सरकारी जनजातीय आवासीय विद्यालय' के नाम पर चल रहे थे। सरकारी स्कूल के नाम के साथ 'आदिवासी' शब्द का प्रयोग अनुचित था। किसी स्कूल के नाम पर इस तरह का प्रयोग निस्संदेह वहां पढ़ने वाले बच्चों को कलंकित करने वाला होगा।
पीठ ने कहा कि उन्हें यह एहसास होगा कि वे किसी 'आदिवासी स्कूल' में पढ़ रहे हैं, न कि आसपास के इलाकों के अन्य बच्चों के बराबर किसी संस्थान में। किसी भी परिस्थिति में बच्चों को कलंकित करने को अदालतों और सरकार द्वारा मंजूरी नहीं दी जानी चाहिए।
पीठ ने कहा कि जहां भी ऐसे नामों का इस्तेमाल किसी विशेष समुदाय/जाति को इंगित करने के लिए किया जाता है, उन्हें हटा दिया जाना चाहिए और संस्थानों का नाम 'सरकारी स्कूल' रखा जाना चाहिए। उस इलाके में रहने वाले बच्चों को अपनी शिक्षा जारी रखने के लिए वहां प्रवेश दिया जाना चाहिए।
पीठ ने कहा कि सामाजिक न्याय में अग्रणी राज्य होने के नाते तमिलनाडु, सरकारी स्कूलों या किसी भी सरकारी संस्थान के नाम में 'उपसर्ग' या 'प्रत्यय' जैसे कलंकपूर्ण शब्दों को जोड़ने की अनुमति नहीं दे सकता है। इस संबंध में तमिलनाडु सरकार के मुख्य सचिव को उचित कार्रवाई शुरू करनी होगी।
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