सरकारी वकीलों की गैरहाजिरी पर सुप्रीम कोर्ट नाराज, कहा- हमें अधिकारियों को यहां बुलाकर कोई खुशी नहीं मिलती
एक दिव्यांग मेडिकल अभ्यर्थी के प्रवेश को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान सरकार के लापरवाह रवैये पर न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने चिंता जताई। इस मामले में बुधवार को वकील के अनुपस्थित रहने पर कोर्ट ने केंद्र के स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय के महानिदेशक को उपस्थित होने का आदेश दिया था।
नई दिल्ली (आरएनआई) सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी वकीलों के अलग-अलग मामलों की सुनवाई से गायब रहने पर कड़ी नाराजगी जताई है। सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि हमें सरकारी अधिकारियों को यहां बुलाकर कोई खुशी नहीं मिलती है। एक दिव्यांग मेडिकल अभ्यर्थी के प्रवेश को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान सरकार के लापरवाह रवैये पर न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने चिंता जताई। इस मामले में बुधवार को वकील के अनुपस्थित रहने पर कोर्ट ने केंद्र के स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय के महानिदेशक को उपस्थित होने का आदेश दिया था।
शीर्ष अदालत ने कहा कि अदालत को अधिकारियों को बुलाने में खुशी नहीं होती। जब प्रक्रिया के तहत नोटिस दिए जाने के बाद भी वकील उपस्थित नहीं होते हैं, हमें ऐसा करने के लिए मजबूर होना पड़ता है। कोर्ट गुरुवार को पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के 23 सितंबर के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी। हाईकोर्ट ने शैक्षणिक सत्र 2024-25 में एमबीबीएस पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए दिव्यांग अभ्यर्थी की याचिका यह कहकर खारिज कर दी थी कि विकलांगता प्रमाण पत्र के मामले में विकलांगता विशेषज्ञों की राय अदालत की राय का स्थान नहीं ले सकती।
मामले में शीर्ष अदालत ने बुधवार को सुनवाई की, लेकिन कोई वकील उपस्थित नहीं हुआ। कोर्ट ने कहा था कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि दिव्यांग व्यक्ति के मामले में नोटिस के बावजूद कोई भी उपस्थित नहीं हुआ। इस पर कोर्ट ने केंद्र के स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय के महानिदेशक को गुरुवार को उपस्थित होने का आदेश दिया था। गुरुवार को अधिकारी और केंद्र के वकील अतिरिक्त महाधिवक्ता विक्रमजीत बनर्जी पीठ के समक्ष उपस्थित हुए।
इस पर न्यायमूर्ति बीआर गवई ने कहा कि यह क्या है? नोटिस जारी कर दिए गए हैं और आप पेश होने की जहमत भी नहीं उठाते। यह पहली बार नहीं हो रहा है। कई मौकों पर भारत सरकार की ओर से यहां कोई मौजूद नहीं होता। हमने अधिकारी को उपस्थित रहने का निर्देश इसलिए दिया था क्योंकि विधिवत आदेश के बावजूद 11 दिसंबर को सुनवाई के दौरान अधिकारी की ओर से कोई वकील उपस्थित नहीं हुआ था।
अदालत ने कहा कि हमने वकील का शाम चार बजे तक इंतजार किया लेकिन जब केंद्र की ओर से कोई भी उपस्थित नहीं हुआ, तो आदेश पारित कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब मामला दिव्यांग व्यक्तियों से संबंधित होता है तो हम जवाब की अपेक्षा करते हैं। सरकार के पास बहुत सारे पैनल वकील हैं। आप कुछ अदालतों को पैनल वकील क्यों नहीं सौंपते, ताकि कम से कम जब किसी की सहायता की आवश्यकता हो, तो कोई तुरंत वहां पहुंच सके। दिव्यांग की याचिका पर सुनवाई करते हुए पीठ ने उसे राजस्थान के एक सरकारी मेडिकल कॉलेज में दाखिला देने का निर्देश दिया।
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