सदन की कार्यवाही में व्यवधान अच्छा संकेत नहीं: जगदीप धनखड़

राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को कहा कि सदन की कार्यवाही बाधित होना अच्छा संकेत नहीं है। उन्होंने पिछले सप्ताह सदन में हुए व्यवधान के सिलसिले में कुछ सांसदों से उनके कक्ष में मिलने को भी कहा।

Dec 19, 2022 - 23:00
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सदन की कार्यवाही में व्यवधान अच्छा संकेत नहीं: जगदीप धनखड़
जगदीप धनखड़

नयी दिल्ली, 19 दिसंबर 2022, (आरएनआई)। राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को कहा कि सदन की कार्यवाही बाधित होना अच्छा संकेत नहीं है। उन्होंने पिछले सप्ताह सदन में हुए व्यवधान के सिलसिले में कुछ सांसदों से उनके कक्ष में मिलने को भी कहा।

शून्यकाल में धनखड ने नियमों के अनुरूप नोटिस का मसौदा ना होने का हवाला देते हुए अरूणाचल प्रदेश के तवांग में चीन के कथित अतिक्रमण और वास्तविक नियंत्रण रेखा पर वस्तुस्थिति के बारे में कार्यस्थगन नोटिस के जरिए चर्चा कराने की विपक्ष की मांग भी खारिज कर दी। इसके विरोध में कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों के सदस्यों ने राज्यसभा से बहिर्गमन किया।

सुबह उच्च सदन की कार्यवाही शुरू होने पर सभापति जगदीप धनखड़ ने आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाए। उन्होंने कहा कि नौ सदस्यों ने विभिन्न मुद्दों पर चर्चा के लिए नियम 267 के तहत नोटिस दिए हैं।

धनखड़ ने नोटिस की सामग्री या प्रस्ताव देने वाले सदस्यों के नाम का खुलासा किए बिना कहा कि वह ऐसे किसी नोटिस पर ध्यान नहीं दे सकते हैं, जिसमें ‘‘खामी’’ हो या 'नियमों को पूरा करने की न्यूनतम आवश्यकता भी पूरी नहीं हो रही हो’।

उन्होंने कहा कि इनमें से कोई भी नोटिस नियमों के अनुरूप नहीं है। धनखड़ ने कहा कि उन्होंने आठ दिसंबर को सदस्यों से कहा था कि कामकाज के निलंबन के लिए वह अपने नोटिस में आवश्यक नियम का उल्लेख करें लेकिन किसी भी नोटिस में नियम का कोई उल्लेख नहीं है।

उन्होंने कहा, ‘‘नोटिस इस तरह से तैयार किए गए हैं, जैसे कि नियम मौजूद ही नहीं है। मैं उम्मीद करता हूं कि सदस्य नियम में बताई गई प्रक्रिया का पालन करेंगे, सभी आवश्यक तत्वों का अध्ययन करेंगे और फिर नोटिस तैयार करेंगे।’’

उन्होंने कहा कि उनके पूर्ववर्ती एम वेंकैया नायडू के पूरे कार्यकाल में नियम संख्या 267 के तहत नोटिस इसी तरह स्वीकार किए गए थे।

सभापति ने इसके बाद चीन सीमा विवाद पर चर्चा के लिए दबाव बनाने के वास्ते 13, 15 और 16 दिसंबर को विपक्षी सदस्यों द्वारा कार्यवाही बाधित करने का जिक्र किया।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं पीड़ा के साथ आपसे कहता हूं। 13, 15 और 16 दिसंबर को 100 मिनट से अधिक के व्यवधान से सदन के कामकाज के घंटों में नुकसान ने एक अच्छा संकेत नहीं दिया है। सरकारी खजाने को करोड़ों का नुकसान पहुंचाने के अलावा, सार्वजनिक मुद्दों पर चर्चा का समय भी बर्बाद हुआ।’’

उन्होंने कहा, ‘‘यह सदन एक अनूठा मंच है। हमें संविधान निर्माताओं के दृष्टिकोण, चाहत और मिशन को आगे बढ़ाना चाहिए।’’

उन्होंने कहा कि व्यवधान की स्थिति उत्पन्न करना अच्छा संदेश नहीं देता है और इससे मोहभंग जैसी स्थिति उतपन्न होती है।

उन्होंने कहा, ‘‘बार-बार नियमों के बारे में बताने पर भी सदस्य अपने नोटिस में इसका उल्लेख नहीं कर रहे हैं।’’ उन्होंने कहा कि कोई भी नोटिस यदि नियमों के अनुकूल होगा, तभी वह विचार करेंगे।

इसके बाद सभापति ने कांग्रेस के प्रमोद तिवारी का नाम पुकारा। तिवारी ने कहा कि वैसे तो शून्यकाल का उनका नोटिस सामूहिक आत्महत्या से संबद्ध है लेकिन उनके लिए देश की सुरक्षा का मुद्दा सर्वोपरि है। उन्होंने चीन के कथित अतिक्रमण के मुद्दे पर सदन में तत्काल चर्चा कराने की मांग की।

विपक्ष के नेता और कांग्रेस सदस्य मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि आसन की ओर से बार-बार कहा जा रहा है कि सदस्य गलत नोटिस दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि इससे यह संदेश जा रहा है कि सदस्य नियमों को समझे बिना ही नोटिस देते हैं।

उन्होंने कहा कि नियम 266 के तहत सभापति के पास विशिष्ट अधिकार हैं और वे इनका उपयोग कर सदन मे चर्चा करा सकते हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘यह बहुत महत्व का विषय है।, चीन अतिक्रमण कर रहा है। वहां पुल बना रहा है, घर बना रहा है, तोपखाने और कारखाने बना रहा है। इस पर चर्चा नहीं करेंगे तो फिर किस पर चर्चा करेंगे।’’

उन्होंने आसन से आग्रह किया कि वह कार्यस्थगन कर चीन के मुद्दे पर सदन में चर्चा कराएं।

सदन के नेता पीयूष गोयल ने कहा कि कांग्रेस जब सत्ता में थी तब उनकी ही सरकार के एक मंत्री ने सदन में एक सवाल के जवाब में बताया था कि चीन ने कितनी जमीन पर अतिक्रमण किया है।

उन्होंने विपक्षी सदस्यों पर ‘‘बेबुनियाद विषय’’ उठाने का आरोप लगाया।

धनखड़ ने कहा कि विपक्ष के नेता को अपने कार्यालय को और अधिक क्रियाशील बनाना चाहिए। इस पर खरगे ने कड़ी आपत्ति जताई।

कुछ विपक्षी सदस्यों ने कहा कि आसन की यह टिप्पणी विपक्ष के नेता पर आक्षेप है। इसके बाद कांग्रेस और कुछ अन्य विपक्षी सदस्यों ने हंगामा शुरु कर दिया।

हंगामे के बीच ही सभापति ने शून्यकाल के तहत मुद्दे उठाने के लिए सदस्यों का नाम पुकारा। लेकिन कांग्रेस, वामंपथी दल, द्रविड़ मुनेत्र कषगम सहित अन्य विपक्षी दलों के सदस्य नारेबाजी करते हुए सदन से बहिर्गमन कर गए।

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