संसद में जारी रहा गतिरोध, सत्ता पक्ष एवं विपक्ष अपने अपने रुख पर अड़े
भारत के लोकतंत्र के बारे में लंदन में दिए गए बयान पर सत्ता पक्ष के सदस्यों द्वारा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से माफी की मांग और कांग्रेस सहित कई अन्य विपक्षी दलों की ओर से अडाणी समूह से जुड़े मामले की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) गठित करने में सरकार की विफलता के मुद्दे पर हुए हंगामे की वजह से सोमवार को भी संसद में गतिरोध कायम रहा।
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नयी दिल्ली, 20 मार्च 2023, (आरएनआई)। भारत के लोकतंत्र के बारे में लंदन में दिए गए बयान पर सत्ता पक्ष के सदस्यों द्वारा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से माफी की मांग और कांग्रेस सहित कई अन्य विपक्षी दलों की ओर से अडाणी समूह से जुड़े मामले की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) गठित करने में सरकार की विफलता के मुद्दे पर हुए हंगामे की वजह से सोमवार को भी संसद में गतिरोध कायम रहा।
हंगामे के कारण लोकसभा और राज्यसभा, दोनों सदनों की बैठक एक बार के स्थगन के बाद दोपहर दो बजे फिर शुरू होने के मात्र कुछ ही मिनट में ही पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गयी। दोनों सदनों में प्रश्नकाल एवं शून्यकाल हंगामे की भेंट चढ़ गया।
लोकसभा में पूर्वाह्न 11 बजे सदन की कार्यवाही शुरू होते ही प्रश्नकाल में सत्तापक्ष और विपक्ष, दोनों तरफ से नारेबाजी शुरू हो गई।
कांग्रेस सदस्यों ने ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के दौरान राहुल गांधी के एक बयान को लेकर दिल्ली पुलिस के अधिकारियों द्वारा उनसे जानकारी मांगने से जुड़े मुद्दे को भी उठाने का प्रयास किया।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सदस्यों से शोर-शराबा बंद करने और बैठक चलने देने की अपील की।
उन्होंने कहा, ‘‘प्रश्नकाल के बाद आपको (विपक्षी सदस्य) पर्याप्त मौका दूंगा। प्रश्नकाल चलने दें। जो भी सदस्य नियमों और प्रक्रिया के तहत नोटिस देंगे उन्हें बोलने का अवसर दूंगा। आपसे आग्रह है कि सदन चलने दें।’’
बिरला ने यह भी कहा, ‘‘सदन आपका है, सबको बोलने का अधिकार है। नियमों के तहत आपको मौका मिलेगा।’’
हंगामा नहीं थमने पर उन्होंने करीब 11 बजकर सात मिनट पर सदन की कार्यवाही अपराह्न दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
दोपहर दो बजे बैठक फिर शुरू हुई तो पीठासीन सभापति किरीट सोलंकी ने आवश्यक दस्तावेज सदन में प्रस्तुत कराए। विभिन्न केंद्रीय मंत्रियों और समिति अध्यक्षों ने संबंधित प्रपत्र रखे।
इस दौरान भाजपा के अनेक सदस्य अपने स्थान पर खड़े होकर ‘राहुल गांधी माफी मांगो’ के नारे लगा रहे थे। हालांकि, इस दौरान कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों के सदस्य अपने स्थानों पर बैठे दिखे।
पीठासीन सभापति सोलंकी ने नारे लगा रहे सदस्यों से अपने स्थान पर बैठने और कार्यवाही चलने देने का आग्रह किया।
हंगामा नहीं थमने पर उन्होंने कार्यवाही करीब 15 मिनट बाद दिन भर के लिए स्थगित कर दी।
राज्यसभा में आज जैसे ही सदन की कार्यवाही आरंभ हुई, सभापति जगदीप धनखड़ ने आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाए।
इसके बाद उन्होंने बताया कि नियम 267 के तहत विभिन्न मुद्दों पर चर्चा कराने को लेकर उन्हें 14 नोटिस मिले हैं। इनमें से नौ नोटिस कांग्रेस सदस्यों के थे।
सभापति ने कहा कि कांग्रेस के प्रमोद तिवारी, रंजीत रंजन, कुमार केतकर, सैयद नासिर हुसैन सहित कुछ अन्य सदस्यों ने अडाणी समूह से जुड़े मामले की जांच के लिए जेपीसी गठित करने में सरकार की विफलता पर नोटिस दिया है।
आम आदमी पार्टी के संजय सिंह और वाम दलों के बिनय विश्वम और एलामारम करीम ने भी अडाणी समूह से जुड़े मामले को लेकर नोटिस दिए थे।
सभी नोटिस अस्वीकार करते हुए सभापति ने शून्यकाल शुरू किया और इसके तहत आम आदमी पार्टी के राघव चड्ढा का नाम पुकारा।
इसी बीच सदन में हंगामा और शोरगुल शुरू हो गया।
सत्ता पक्ष के सदस्य ‘राहुल गांधी माफी मांगो’ के नारे लगा रहे थे जबकि विपक्षी सदस्य अडाणी मुद्दे को लेकर सरकार पर आक्षेप लगा रहे थे।
हंगामा होता देख धनखड़ ने 11 बजकर आठ मिनट पर सदन की कार्यवाही अपराह्न दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
दोपहर दो बजे बैठक फिर शुरू होने पर सदन में वही नजारा देखने को मिला। हंगामे के बीच ही उप सभापति हरिवंश ने बीजू जनता दल के सुजीत कुमार का नाम कौशल विकास एवं उद्यमित मंत्रालय के कामकाज पर चर्चा शुरू करने के लिए पुकारा। किंतु सदन में सत्ता पक्ष एवं विपक्ष, दोनों ही तरफ के सदस्य हंगामा कर रहे थे।
हंगामा थमते न देख उप सभापति ने महज एक मिनट में ही बैठक को पूरे दिन के लिए स्थगित कर दिया।
उल्लेखनीय है कि संसद के बजट सत्र के दूसरे चरण की शुरुआत से ही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्य कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा भारत के लोकतंत्र के बारे में लंदन में दिए गए बयान पर माफी मांगने की मांग पर अड़े हुए हैं जबकि कांग्रेस सहित कई विपक्षी पार्टियों के सदस्य अडाणी समूह से जुड़े मामले की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से जांच कराने पर जोर दे रहे हैं।
विपक्ष और सत्ता पक्ष के सदस्यों के हंगामे के कारण पिछले सप्ताह संसद के दोनों सदनों में ना तो प्रश्नकाल और ना ही शून्यकाल हो सका था। इस दौरान कोई अन्य महत्वपूर्ण कामकाज भी नहीं हो सका।
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