संसद में गांधी, आंबेडकर और शिवाजी की प्रतिमाएं स्थानांतरित करने पर भड़का विपक्ष

विपक्षी पार्टी ने आरोप लगाया कि संसद परिसर में महात्मा गांधी, भीमराव आंबेडकर और छत्रपति शिवाजी सहित अन्य की प्रतिमाओं को स्थानांतरित कर दिया गया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि विपक्षी दल प्रदर्शन न कर सकें। 

Jun 7, 2024 - 12:04
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संसद में गांधी, आंबेडकर और शिवाजी की प्रतिमाएं स्थानांतरित करने पर भड़का विपक्ष

नई दिल्ली (आरएनआई) संसद भवन परिसर में 18वीं लोकसभा के सदस्य जब शपथ लेंगे तब वहां अलग ही तरह का नजारा देखने को मिलेगा। संसद भवन परिसर में न केवल महात्मा गांधी, बाबासाहेब आंबेडकर और छत्रपति शिवाजी की प्रतिमाएं अब अपने निर्धारित स्थानों पर नहीं रहेंगी, बल्कि परिसर में संसद सुरक्षा कर्मियों की जगह केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल की तैनाती भी की जाएगी। संसद परिसर में किए जा रहे पहले बदलाव से जहां खास तौर पर कांग्रेस नाराज हो गई है।

विपक्षी पार्टी ने आरोप लगाया कि संसद परिसर में महात्मा गांधी, भीमराव आंबेडकर और छत्रपति शिवाजी सहित अन्य की प्रतिमाओं को स्थानांतरित कर दिया गया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि विपक्षी दल लोकतांत्रिक विरोध प्रदर्शन न कर सकें। साथ ही यह भी कहा कि इस तरह के हथकंडे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अस्थिर सरकार को गिरने से नहीं बचा सकते।

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने प्रतिमाओं को स्थानांतरित करने के लिए लोकसभा सचिवालय के स्पष्टीकरण को 'पूरी तरह फर्जी' करार दिया और कहा कि इस मामले पर किसी भी राजनीतिक दल के साथ कोई चर्चा नहीं हुई है। 

इस पर लोकसभा सचिवालय ने सफाई दी। उसने एक बयान में कहा कि प्रतिमाओं को संसद भवन परिसर के पीछे की ओर एक नए स्थान पर ले जाया जाएगा, जिसे प्रेरणा स्थल कहा जाएगा। संसद भवन परिसर की लैंडस्कैपिंग की योजना की घोषणा करते हुए लोकसभा सचिवालय ने कहा है कि संसद परिसर में देश के महान नेताओं और स्वतंत्रता सेनानियों की प्रतिमाएं परिसर के विभिन्न हिस्सों में स्थापित की गई थीं। संसद परिसर में अलग-अलग स्थानों पर स्थित होने के कारण आगंतुक इन प्रतिमाओं को आसानी से नहीं देख पाते थे। इस कारण इन सभी प्रतिमाओं को संसद भवन परिसर में ही एक भव्य प्रेरणा स्थल में सम्मानपूर्वक स्थापित किया जा रहा है।

प्रतिमाओं के स्थानांतरण करने पर जयराम रमेश भड़क गए। उन्होंने आलोचना करते हुए कहा, 'कल दोपहर मैंने इस बात पर प्रकाश डाला था कि कैसे मोदी सरकार छत्रपति महाराज, महात्मा गांधी और डॉ. आंबेडकर की प्रतिमाओं को संसद भवन के सामने स्थित विशिष्ट स्थानों से दूसरी जगह स्थानांतरित कर रहा है।

उन्होंने आगे कहा, 'मूर्तियों को हटाए जाने की तस्वीरें सामने आने के बाद, घबराहट में कल देर रात आठ बजे के बाद लोकसभा सचिवालय को इस बदलाव के लिए पूरी तरह से फर्जी और स्पष्ट रूप से मनगढ़ंत स्पष्टीकरण जारी करने के लिए मजबूर होना पड़ा। मूर्तियों के स्थान में बदलाव के लिए किसी भी राजनीतिक दल से कोई चर्चा नहीं हुई है।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा, 'बदलाव का असली कारण अब बताया जा सकता है। दरअसल ये मूर्तियां वही स्थान थे, जहां पिछले 10 वर्षों से विपक्षी दल मोदी सरकार के खिलाफ शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक ढंग से विरोध प्रदर्शन करते थे। टीडीपी और जेडीयू भी इन प्रदर्शनों में शामिल होते थे। बनने जा रहे एक-तिहाई प्रधानमंत्री स्पष्ट रूप से संसद की बैठक के बगल में कोई जगह नहीं चाहते हैं जहां उनके और उनकी सरकार के खिलाफ संवैधानिक तरीके से भी विरोध प्रदर्शन हो सके। ऐसे स्टंट अब उन्हें और उनकी अस्थिर सरकार को गिरने से नहीं बचा सकते।'

सीपीआई के नेता डी राजा ने भी इस कदम की निंदा की और इसे मनमाना और एकतरफा बताया। उन्होंने एक्स पर कहा, संसद भवन में सभी प्रतिमाएं उन व्यक्तियों के सम्मान में बनाई गई हैं, जिन्होंने हमारे राष्ट्रीय जीवन में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

तृणमूल कांग्रेस के सांसद जवाहर सरकार ने कहा है कि सरकार को बताना चाहिए कि ऐसा क्यों किया गया। उन्होंने कहा, 'हमारे संसद परिसर में महात्मा गांधी और बाबासाहेब आंबेडकर की प्रतिमाओं को हटाने की हिम्मत किसने की? क्या शिवाजी की मूर्ति भी हटा दी गई है? क्या नाथूराम गोडसे और नरेंद्र मोदी की प्रतिमाएं लग रही हैं? सरकार को स्पष्ट करना चाहिए।

एनसीपी-एससीपी की कार्यकारी अध्यक्ष सुप्रिया सुले ने कहा कि यह बहुत क्रोधित करने वाला है। उन्होंने कहा, 'ये सभी प्रतिमाएं भारतीय नागरिकों द्वारा संसद भवन क्षेत्र में राष्ट्रीय नायकों के प्रति प्रेम के चलते बनाई गई थीं। इन मूर्तियों को हटाकर सरकार ने सभी देशवासियों का अपमान किया है। खास बात यह है कि आज शिवाजी के राज्याभिषेक की 350वीं वर्षगांठ है।

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