संवेदना शून्य हो गया इंसान, छ: दिन से पड़ा बंदर का शव
शाहाबाद, हरदोई। बंदरों की मौत का शिकार होने पर ढोल बाजे के साथ शव यात्रा निकालते हुए अक्सर देखा जाता है लेकिन यही लोग जब संवेदना शून्य हो जाते हैं तो दिल में एक टीस सी उठती है । फिलहाल शहर में कुछ ऐसा ही हुआ और लोग संवेदना शून्य से हो गए हैं। छ: दिन से एक बंदर का शव सड़क पर पड़ा हुआ है परंतु किसी ने भी उसकी शव यात्रा निकालने के बजाय दफनाना तक उचित नहीं समझा। यहीं पर बंदरों को लेकर निकाली जाने वाली दिखावे की शव यात्राओं पर सवालिया निशान उठ जाते हैं। हुआ यूं एक बंदर विद्युत सबस्टेशन इसलामगंज से हरिजन बस्ती सैयदवाड़ा की ओर जाने वाले मार्ग पर बीमारी के चलते ठंड में मौत का शिकार हो गया। पिछले छः दिनों से बंदर का शव सड़क पर पड़ा हुआ है । इधर से अधिकांश हिंदू बस्तियों के लोग ही गुजरते हैं लेकिन किसी ने भी बंदर के शव को दफनाने की जहमत नहीं उठाई। अक्सर देखा जाता है कि बंदर के करंट से मरने या अन्य किसी तरह मौत का शिकार हो जाने पर लोग शव यात्रा निकालकर मीडिया की सुर्खियां बनने का प्रयास करते हैं परंतु छ: दिन से पड़े इस बंदर के शव को किसी ने दफनाने की जहमत नहीं उठाई। बस यहीं पर दिखावे की निकाली जाने वाली बंदरों की शव यात्राओं पर सवालिया निशान उठने लगते हैं।
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