संभल में वकीलों की हड़ताल, जामा मस्जिद कमेटी के सदर जफर अली को जेल भेजने पर अधिवक्ता सड़कों पर उतरे
संभल में जामा मस्जिद इंतजामिया कमेटी के सदर एडवोकेट जफर अली के जेल भेजे जाने के विरोध में अधिवक्ताओं ने प्रदर्शन किया है। चंदौसी के कचहरी सभागार में जिला बार एसोसिएशन की बैठक में हड़ताल का फैसला लिया गया। पुलिस पर षड्यंत्र के तहत अधिवक्ता को फंसाने का आरोप लगाए हैं। जफर अली पर गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है।

संभल (आरएनआई) जामा मस्जिद इंतजामिया कमेटी के सदर एडवोकेट जफर अली को जेल भेजे जाने के विरोध में संभल के वकीलों ने पुलिस के खिलाफ प्रदर्शन किया। इसके साथ ही चंदौसी के कचहरी सभागार में जिला बार एसोसिएशन की बैठक हुई, जिसमें हड़ताल पर जाने से पूर्व जिला जज के यहां जफर अली की जमानत के लिए अर्जी दाखिल करने का निर्णय लिया गया। इसके साथ ही पुलिस पर षड्यंत्र के तहत अधिवक्ता को फंसाकर जेल भेजने का आरोप लगाते हुए प्रदर्शन किया गया।
जफर अली की गिरफ्तारी के विरोध में संभल में अधिवक्ताओं ने सोमवार को हड़ताल की घोषणा करते हुए सिविल न्यायालय परिसर में एकत्रित होकर पुलिस प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी करते हुए तहसील पहुंचे। न्यायिक कार्य से विरत रहने के दौरान उनके चैंबर बंद नजर आए। बता दें कि 24 नवंबर को जामा मस्जिद में सर्वे के दौरान हिंसा भड़क उठी थी। इस दौरान लोगों ने पथराव फायरिंग और आगजनी की घटना को अंजाम दिया था, जिसमें चार लोगों की मौत भी हुई थी। मामले में जामा मस्जिद के सदर व अधिवक्ता जफर अली को हिंसा भड़काने के मामले में रविवार को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेजा था।
संभल जामा मस्जिद कमेटी के सदर जफर अली की गिरफ्तारी के विरोध में आंदोलन की रणनीति तैयार करने के लिए चंदौसी कचहरी के सभागार में जिला बार एसोसिएशन की बैठक को संबोधित करते अधिवक्ता।
गंभीर धाराओं में गिरफ्तार कर जेल भेजे गए जामा मस्जिद की इंतजामिया कमेटी के सदर एडवोकेट जफर अली पर दंगा भड़काने में मुख्य भूमिका निभाने का आरोप लगाया गया है। इनके खिलाफ एक दर्जन से अधिक धाराओं में प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। इनमें सबसे प्रमुख भारतीय न्याय संहिता की धारा 230 व 231 हैं। इसमें कम से कम दस साल और अधिक से अधिक आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान है।
जफर अली के खिलाफ जिन धाराओं में मुकदमा पंजीकृत किया उनमें 191-2, 191-3, 190, 221, 132, 125, 324-5, 195, 233, 326-एफ, 230 व 231 वीएनएस के अलावा संपत्ति अधिनियम की धारा 3-4 आदि हैं। अधिवक्ताओं के अनुसार वीएनएस की धारा 230 व 231 में दस साल से लेकर आजीवन कारावास तक का प्रावधान है।
जफर अली की जमानत पर सिविल जज सीनियर डीवीजन व अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट आदित्य सिंह की अदालत में सुनवाई की गई। इन धाराओं के तहत सेशन ट्रायल होना था। ऐसे में फौरी तौर पर अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के यहां से इनकी जमानत अर्जी खारिज की गई। इन्हें दो दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेजा गया है। इसके अधिवक्ताओं की ओर से कहा गया कि जफर अली ह्रदय रोगी हैं, ऐसे में उन्हें अस्पताल में रखा जाए। इसके लिए उनका मेडिकल सर्टिफिकेट भी बनवाया गया है।
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