श्रीमद् भागवत में निहित है सभी धर्म ग्रंथों का सार : स्वामी शिवदत्त प्रपन्नाचार्य महाराज
वृन्दावन। परिक्रमा मार्ग-बैकुंठ नगर क्षेत्र स्थित श्रीदेवराहा बाबा योग निकेतन में चल रहे सप्त दिवसीय होली महोत्सव के अंतर्गत श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह ज्ञान यज्ञ में व्यासपीठ से प्रख्यात भागवताचार्य महंत स्वामी शिवदत्त प्रपन्नाचार्य महाराज ने अपनी सुमधुर वाणी से भक्तों-श्रृद्धालुओं को श्रीमद्भागवत की महिमा बताते हुए कहा कि श्रीमद्भागवत भगवान श्रीकृष्ण का वांग्मय स्वरूप है। इसका श्रवण करने से व्यक्ति भवसागर से पार हो जाता है। इसके श्रवण से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। साथ ही उसके जन्म व मृत्यु के भय का भी नाश हो जाता है। जीव के कल्याण के लिए यदि सबसे उत्तम ग्रंथ है,तो वह श्रीमद्भागवत महापुराण है।
उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवत महापुराण में समस्त वेदों, पुराणों, उप पुराणों, शास्त्रों व उपनिषदों आदि धर्मग्रंथों का सार निहित है। इसका श्रवण,वाचन व अध्ययन तीनों ही कल्याणकारी हैं। साथ ही श्रीधाम वृन्दावन जैसी पावन भूमि में इसका श्रवण करना शतगुणा अधिक फलदाई व पुण्यदाई होता है।
इस अवसर पर सुग्रीवकिला (अयोध्या) के अध्यक्ष श्रीमज्जगद्गुरु श्रीरामानुजाचार्य स्वामी विश्वेशप्रपन्नाचार्य महाराज, मोरकुटी आश्रम के महंत परमेश्वर दास त्यागी महाराज, ब्रज सेवा संस्थान के अध्यक्ष डॉ. गोपाल चतुर्वेदी, प्रभुदयाल शास्त्री महाराज, महंत रामप्रिय दास महाराज, महंत किशोरी शरण भक्तमाली, महोत्सव की मुख्य यजमान शारदा उपाध्याय व आस्था उपाध्याय, व्यवस्थापक राजा तिवारी, डॉ. राधाकांत शर्मा आदि के अलावा विभिन्न क्षेत्रों के तमाम गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
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