श्रीधाम वृन्दावन का अत्यंत प्राचीन एवं सिद्ध स्थल है मां कात्यायनी शक्तिपीठ

Feb 4, 2023 - 23:52
 0  513
श्रीधाम वृन्दावन का अत्यंत प्राचीन एवं सिद्ध स्थल है मां कात्यायनी शक्तिपीठ

वृन्दावन।राधाबाग-केशवाश्रम क्षेत्र स्थित कात्यायनी सिद्ध पीठ में चल रहे मन्दिर के शताब्दी समारोह से श्रीधाम वृन्दावन का कोना-कोना भक्ति रस से सराबोर हो गया है। करीब दो दर्जन से अधिक अमेरिका से आए विदेशी भक्तों ने यज्ञ में आहुतियां दी।आचार्य मनीष शुक्ला ने वैदिक मंत्रों के मध्य सभी विदेशी भक्तों से यज्ञ में आहुतियां दिलाई एवं सभी को देवी का आशीर्वाद दिया।
शक्ति पीठ के बारे में कात्यायनी ट्रस्ट के अध्यक्ष विष्णु प्रकाश ने बताया कि हमारे धर्म-ग्रन्थों के अनुसार देवी भागवत पुराण में 108, कलिकापुराण में 26, शिवचरित्र में 51, दुर्गा सप्तसती और तंत्र चूड़ामणि में 52 शक्तिपीठों की संख्या बताई गई है। किंतु सामान्यतया 51 शक्तिपीठ ही माने जाते हैं। श्रीमद् ब्रह्मवैवर्त पुराण, आद्या स्त्रोत एवं आर्यशास़्त्र में वृन्दावन स्थित कात्यायनी शक्तिपीठ का वर्णन मिलता है।
कात्यायनी ट्रस्ट के सचिव रविदयाल ने बताया कि महादेव शिवजी की पत्नी सती ने अपने पिता राजा दक्ष प्रजापति के यज्ञ में अपने पति का अपमाम बर्दाश्त नही कर पाईं और उसी यज्ञ के हवनकुण्ड में कूदकर भष्म हो गईं।सती के भष्म होने का पता चलने पर भोलेनाथ ने अपने गण वीरभद्र को भेजकर न केवल यज्ञस्थल को उजड़वा दिया बल्कि राजा दक्ष का सिर भी काट दिया गया।इसके बाद शिवजी सती की जली हुई लाश लेकर विलाप करते हुए चारों ओर घूमने लगे,इस स्थिति में जहां माता के केश या आभूषण गिरे वे शक्तिपीठ बन गए।जिस स्थान पर आज कात्यायनी पीठ है।वहां पर भी माता के केश गिरे थे।इसलिए कात्यायनी शक्ति पीठ की गणन 51 शक्ति पीठों में होती है।यह भी कहा जाता है कि कृष्ण  को पाने की लालसा में ब्रज की गोपियों ने राधाबाग में कात्यायनी देवी का पूजन किया था।
ट्रस्ट के पूर्व सचिव नरेश दयाल ने बताया कि सिद्ध संत श्यामाचरण लाहिड़ी महराज के शिष्य योगी स्वामी केशवानन्द ब्रह्चारी महराज ने अपनी कठोर साधना तथा भगवती के आदेशानुसार वृृन्दावन के  राधाबाग क्षेत्र में कात्यायनी मन्दिर को बनवाया तथा मन्दिर 1 फरवरी सन् 1923 को बनकर तैयार हुआ था।इस मन्दिर का विग्रह सिद्ध है।इसी कारण ब्रजवासियों का इस मन्दिर में आगमन अनवरत होता रहता है।
मन्दिर के ट्रस्टी संजय बहादुर ने बताया कि इस मन्दिर की गणपति महराज की मूर्ति अंग्रेज डब्ल्यू आर यूल की पत्नी द्वारा लंदन ले जाई गई किंतु मूर्ति का कुछ अंग्रेजों द्वारा यूल की पत्नी के घर में खिल्ली उड़ाने और उनके द्वारा इसका प्रतिरोध न करने पर मूर्ति ने अपना असर दिखाया और उसकी बेटी को उसी रात न केवल तेज बुखार हुआ बल्कि उसके ठीक होने के लाले पड़े तो उसने मूर्ति को वापस भारत भेज दिया।स्वामी केशवानन्द ब्रह्चारी महराज इसे कलकत्ता से वृन्दावन लाए।साथ ही इसकी प्राण प्रतिष्ठा मन्दिर में की।इस विग्रह के भी चमत्कार आये दिन सुनने और देखने को उसी प्रकार मिलते हैं, जिस प्रकार अष्टधातु की कात्यायनी देवी के देखने और सुनने को मिलते हैं।
वैसे तो शताब्दी समारोह के अन्तर्गत वर्ष पर्यन्त धार्मिक कार्यों का आयोजन किया जाएगा। किंतु 29 जनवरी 2023 को प्रारंभ हुए प्रथम चरण के कार्यक्रम में वर्तमान में नित्य सिद्धपीठ की विशेष पूजा के साथ-साथ श्रीमद् देवीभागवत ज्ञान यज्ञ ब्रज संस्कृति के प्रकाण्ड विद्वान एवं ठाकुर श्रीराधारमण मन्दिर के सेवायत वैष्णवाचार्य श्रीवत्स गोस्वामी द्वारा किया जा रहा है।इस ज्ञान यज्ञ में भाग लेने के लिए देश के विभिन्न प्रांतों के अलावा विदेशों के भी अनेकों भक्त-श्रृद्धालु श्रीधाम वृन्दावन पधार रहे हैं।
शताब्दी समारोह में पूर्व विधायक प्रदीप माथुर, भक्तिमती संध्या गोस्वामी, वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. गोपाल चतुर्वेदी, पंडित बिहारीलाल वशिष्ठ,पिंकी बहादुर, ऋषि दयाल,प्रसिद्ध उद्योगपति मनीष यादव,वरुण दास, डॉ मारुति, के. के. अग्रवाल(सी. ए.), नरेश दयाल,युवा साहित्यकार डॉ. राधाकांत शर्मा, आचार्य ईश्वरचंद्र रावत आदि के अलावा विभिन्न क्षेत्रों के तमाम गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।

What's Your Reaction?

Like Like 0
Dislike Dislike 0
Love Love 0
Funny Funny 0
Angry Angry 0
Sad Sad 0
Wow Wow 0
RNI News Reportage News International (RNI) is India's growing news website which is an digital platform to news, ideas and content based article. Destination where you can catch latest happenings from all over the globe Enhancing the strength of journalism independent and unbiased.