श्रीकृष्ण नित्य नाम, रूप एवं लीला सम्पन्न सर्वोपरि परम तत्व-चंचलापति दास
चंद्रोदय मंदिर में फूल बंगला, 56 भोग, महाभिषेक, हरिनाम संकीर्तन रहा आकर्षण का केन्द्र
वृन्दावन। (आरएनआई) के भक्ति वेदांत मार्ग स्थित चंद्रोदय मंदिर में गुरूवार को लीला पुरूषोत्तम भगवान् श्रीकृष्ण के 5249वे प्राक्टयोत्सव को बडे़ ही हर्षोउल्लास एवं धूम-धाम के साथ मनाया गया। भाद्रपद के कृष्णपक्ष की अष्टमी के पावन पर्व पर श्रीकृष्ण जन्माष्टमी महामहोत्सव के दौरान भक्तों द्वारा मंदिर प्रांगण में भव्य फूल बंगला, झूलन उत्सव, छप्पन भोग, लड्डू गोपाल अभिषेक, भजन संध्या, महाभिषेक एवं हरिनाम संकीर्तन का वृहद आयोजन किया गया।
भक्तों को संबोधित करते हुए मंदिर के अध्यक्ष श्री चंचलापति दास ने ब्रम्ह संहिता के 5वे अध्याय के प्रथम श्लोक का दृष्टांत देते हुए कहा कि श्रीकृष्ण नित्यनाम, नित्यरूप, एवं नित्यालीला सम्पन्न सर्वोपरि परम तत्व है। श्रीकृष्ण नाम ही उनकी प्रेमाकर्षक नित्य परम सत्ता का घोतक है। सच्चिदानन्दधन द्विभुज श्याम सुदंर मुरलीधर विग्रह ही उनका नित्य स्वरूप है। वे अपनी अचिन्त्य चिच्छक्ति द्वारा सर्वव्यापक होते हुए भी चिन्मय गुण सम्पन्न सर्व विमोहनकारी मध्यमाकार बनाये रखते है। आज का यह जो अवसर हम सभी के जीवन में आया है, उसके एकमात्र कारण हमारे गुरूदेव श्रील प्रभुपाद, आचार्य गण, षष्ठ गोस्वामी विशेषकर श्रील रूप गोस्वामी की अनुकंपा से हम सभी रूपानुगा भक्त श्रीराधा-कृष्ण के माधुर्य भाव का सेवा अवसर प्राप्त कर पा रहे है। श्रील रूप गोस्वामी ने गौड़ीया सम्प्रदाय के आधार रूप में उपस्थित होकर कलयुगी बद्वजीव के कल्याण का मार्ग हरे कृष्ण महामंत्र बताया है।
चंद्रोदय मंदिर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी महाहोत्सव के अवसर पर श्रीश्री राधा वृन्दावन चंद्र के महाभिषेक की प्रक्रिया को वैदिक मंत्रोच्चारण के मध्य, पंचगव्य दूध, दही, घी, शहद, मिश्री एवं 108 प्रकार के फलों के रस, विभिन्न जड़ी बूटियों एवं फूलों से संपन्न कराया गया। मंदिर के भक्तों द्वारा मंदिर प्रांगण को विभिन्न प्रकार के पुष्पों का चयन कर बडे़ ही मनोहर रूप से सजाया गया। वहीं ठाकुर श्रीश्री राधावृन्दावन चंद्र को भूरे रंग की रेशम एवं चांदी से कढ़ाई किए हुए वस्त्र धारण कराए गए। आज के इस पावन अवसर पर मंदिर प्रांगण स्थित विलास कुंज गौशाला में गौमाता के समक्ष 551 प्रकार के विशेष रूप निर्मित व्यंजन का भोग अर्पित किया गया।
मध्यरात्रि के 12 बजे श्रीकृष्ण का जन्म हुआ तब भगवान के नाम के जयकारों से सारा चंद्रोदय मंदिर परिसर गुंजायमान हो उठा। भगवान श्रीकृष्ण के इस अवतरण दिवस पर आयोजित उत्सव में भाग लेने हेतु आगरा, लखनऊ, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब आदि प्रान्तों के भक्त श्रीधाम वृन्दावन पहुंचे एवं अपने आराध्य का दर्शन कर पुण्य लाभ अर्जित किया।
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