'शेख हसीना जब तक चाहें उन्हें भारत में रहने दिया जाए'; मणिशंकर अय्यर ने बांग्लादेश के हाल पर जताई चिंता
हसीना के प्रत्यर्पण की बांग्लादेश की मांग के बारे में उन्होंने कहा, मुझे उम्मीद है कि हम इस बात से कभी असहमत नहीं होंगे कि शेख हसीना ने हमारे लिए बहुत अच्छा किया है।
कोलकाता (आरएनआई) पूर्व राजनयिक व पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने शनिवार को कहा कि अपदस्थ बांग्लादेशी प्रधानमंत्री शेख हसीना को जब तक वह चाहें भारत में रहने दिया जाना चाहिए। 16वें एपीजे कोलकाता साहित्य महोत्सव के दौरान उन्होंने कहा कि बातचीत निरंतर होनी चाहिए और नई दिल्ली को बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के साथ मंत्रिस्तरीय संपर्क स्थापित करने की जरूरत है।
हसीना के प्रत्यर्पण की बांग्लादेश की मांग के बारे में उन्होंने कहा, मुझे उम्मीद है कि हम इस बात से कभी असहमत नहीं होंगे कि शेख हसीना ने हमारे लिए बहुत अच्छा किया है। मुझे खुशी है कि उन्हें शरण दी गई। मुझे लगता है कि जब तक वह चाहें हमें उनका मेजबान बने रहना चाहिए, भले ही वह जीवन भर के लिए ही क्यों न हों। कांग्रेस नेता ने कहा कि यह सच है कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर हमला किया जा रहा है, लेकिन ऐसा ज्यादातर इसलिए हो रहा है क्योंकि वे हसीना के समर्थक हैं।
इससे पहले अय्यर ने कहा कि पाकिस्तानी काफी हद तक भारतीयों की तरह हैं, लेकिन विभाजन की विभीषिका ने ही उन्हें एक अलग ही तरह का देश बना दिया। उन्होंने कहा कि एक तमिल के रूप में मुझमें और एक पंजाबी के रूप में मेरी पत्नी में और एक पाकिस्तानी पंजाबी की तुलना में कहीं अधिक अंतर है।
इस दौरान उन्होंने नरेंद्र मोदी सरकार की आलोचना भी की। उन्होंने कहा कि हमारे पास पाकिस्तान में सर्जिकल स्ट्राइक करने की हिम्मत है लेकिन इस सरकार में उनके साथ टेबल पर बैठने की हिम्मत नहीं है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान एक ऐसा देश है जो आतंक फैलाता है लेकिन वह आतंक का शिकार भी है। पाकिस्तान ने सोचा था कि वे अफगानिस्तान में तालिबान को सत्ता में ला सकते हैं, (लेकिन) आज उनका सबसे बड़ा खतरा अफगानिस्तान में तालिबान है।"
इस दौरान उन्होंने पूर्व प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह की सराहना भी की। उन्होंने कहा कि सबसे बड़ी उपलब्धि यह सुनिश्चित करना था कि भारत ने जनरल मुशर्रफ द्वारा कश्मीर पर चार सूत्री समझौते के बारे में बैक चैनल पर पाकिस्तान से बात की। पूर्व पीएम ने यह भी दिखाया कि सैन्य सरकार के साथ व्यापारिक बातचीत संभव है। हमारे लिए यह आत्मघाती है कि हम पाकिस्तान को अल्बाट्रॉस की तरह अपने गले में लटकाए रखें। हमें उनसे वैसे ही बात करनी चाहिए जैसे मनमोहन सिंह ने कश्मीर के मुद्दे पर दिखाई थी।
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