शी जिनपिंग की प्रतिष्ठा को बचाने में जुटा चीन
चीन के राष्ट्रीय सांख्यिकी ब्यूरो ने अगस्त में युवा बेरोजगारी पर आंकड़े जारी करना बंद कर दिया। जून के आंकड़े चिंताजनक थे। 16-24 वर्ष के युवाओं के बीच बेरोजगारी 21.3 फीसदी तक पहुंच गई, जो चार साल पहले की तुलना में दोगुनी थी।
एक दशक तक ऐसा लग रहा था कि राष्ट्रपति शी जिनपिंग कुछ भी गलत नहीं कर सकते हैं। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) द्वारा नियंत्रित मीडिया ने उन्हें देवता की तरह पेश किया और उनकी खूब प्रशंसा की। देशभर के अखबारों में वह पहले पन्नों पर छाए रहते थे। लेकिन चीन के लोग अब उसकी कीमत चुका रहे हैं।
चीन का अधिनायकवादी शासन देश और विदेश में आलोचनाओं से बचने के लिए सावधानीपूर्वक जानकारी को नियंत्रित करता है। उसने डाटा प्रवाह को कम करने के लिए कई गंभीर कदम उठाए हैं। अगस्त में देश के राष्ट्रीय सांख्यिकी ब्यूरो ने युवा बेरोजगारी पर आंकड़े जारी करना बंद कर दिया।
जून के आंकड़े चिंताजनक थे। 16-24 वर्ष के युवाओं के बीच बेरोजगारी 21.3 फीसदी तक पहुंच गई, जो चार साल पहले की तुलना में दोगुनी थी। हालांकि, स्थिति इन आंकड़ों से कहीं अधिक खराब है, क्योंकि चीन में एक व्यक्ति अगर सप्ताहभर में केवल एक घंटे भी काम करता है तो उसे लाभार्थी रूप से नियोजित माना जाता है। इस आंकड़े में ग्रामीण क्षेत्रों के युवा शामिल नहीं हैं।
कुछ लोगों का मानना है कि चीन की वास्तविक युवा बेरोजगारी दर 50 फीसदी तक हो सकती है। राष्ट्रीय सांख्यिकी ब्यूरो सभी प्रकार के आंकड़ों में हेर-फेर कर सकता है। सीपीसी इन हानिकारक आंकड़ों के प्रकाशन को रोक सकता है और इस समस्या को गायब कर सकता है।
यह सरकारी विभाग हाल के वर्षों में लगातार कम आर्थिक संकेतक प्रकाशित कर रहा है, क्योंकि आंकड़े ज्यादा घातक हो सकते हैं। सच्चाई और पारदर्शिता कभी भी किसी भी साम्यवादी शासन के केंद्रीय सिद्धांत नहीं रहे हैं। शी चीन के युवाओं को जो सबसे अच्छी पेशकश कर सकते हैं, वे हैं कठिनाइयों को सहन करना और कड़वाहट की गोली खाना। शी को भी इसका सामना करना पड़ा था। जब उनके पिता शी झोंगक्सुन को सजा दी गई थी तो उन्हें शांक्सी में एक खेत में काम करना पड़ा था।
जून में सालाना आधार पर निर्यात में 12.4 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। परिवार कर्ज से दबे हुए हैं और घरेलू खपत चीन के सकल घरेलू उत्पाद का सिर्फ 40 फीसदी है। सीसीपी चाहती है कि बहुराष्ट्रीय कंपनियां चीनी निवेश को बढ़ावा दें, लेकिन साथ ही वह बौद्धिक संपदा (इंटेलेक्चुअल प्रोपर्टी) पर अधिक नियंत्रण और आंकड़ों तक पहुंच चाहती है।
फिर भी अगर चीन चाहता है कि विदेशी निवेश जारी रखें, तो उसे कुछ हद तक पारदर्शिता की आवश्यकता है। यही वह बारीक रेखा है जिसे बीजिंग अपनाना नहीं चाहता है। चीन अब बौखलाहट में है। हाल ही में जासूसी विरोधी कानून लागू होने में कुछ तेजी आई है। देश के नागरिकों से विदेशी जासूसों की पहचान को उजागर करने का आग्रह किया जा रहा है। खासकर उन चीनी लोगों से आग्रह किया जाता है जो नियमित रूप से विदेशियों से मिलते-जुलते हैं। विदेशियों के प्रति नफरत वाला राष्ट्रीय सुरक्षा का ऐसा माहौल कार्रवाई में तब्दील हो जाएगा, जिसमें जासूसों के बारे में ठोस सुराग देने वालों को 100,000 तक का इनाम दिया जाएगा।
एक और चिंताजनक संकेतक चीन की प्रजनन दर है। 2022 में प्रजनन दर 1.09 के रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ गई, जबकि जनसंख्या को बनाए रखने के लिए 2.1 की दर की आवश्यकता है। हांगकांग, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया और ताइवान के साथ चीन की प्रजनन दर दुनिया में सबसे कम है। पिछले साल, चीन की आबादी छह दशकों में पहली बार कम हो गई, और इस साल भारत चीन को पीछे छोड़कर दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला राष्ट्र बन गया। जैसे-जैसे इसकी आबादी तेजी से बढ़ेगी, इसका चीन के भविष्य के आर्थिक विकास पर नाटकीय प्रभाव पड़ेगा।
चीन का वृद्धावस्था निर्भरता अनुपात (65+ आयु वर्ग के लोगों का अनुपात 15-64 वर्ष की आयु के लोगों का अनुपात) सदी के मध्य तक लगभग 52 फीसदी तक पहुंचने की भविष्यवाणी की गई है। इसका मतलब है कि प्रत्येक दो कामकाजी आयु के व्यक्तियों के लिए 65+ आयु वर्ग का एक व्यक्ति होगा। 2080 के दशक तक यह आंकड़ा लगभग 90 फीसदी तक चढ़ सकता है। सेवानिवृत्त लोगों की संख्या आसमान छू जाएगी, जिससे चीन के कार्यबल में कमी आएगी और देश के सामाजिक सुरक्षा जाल और स्वास्थ्य सेवा पर दबाव पड़ेगा। चीन की कुल आबादी में केवल 0.1 फीसदी आप्रवासी हैं।
अमेरिका स्थित सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज के मुताबिक, 1.42 बिलियन से अधिक की आबादी का आंकड़ा छूने के बादअनुमान है कि चीन की आबादी में 2050 तक 100 मिलियन से अधिक लोगों की कमी हो जाएगी। सदी के अंत तक चीन की आबादी 800 मिलियन कम हो सकती है।
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