शीर्ष अदालत पहुंचे सफलता हासिल करने वाले 50 से ज्यादा अभ्यर्थी, दोबारा परीक्षा न कराने की मांग

याचिका में शीर्ष अदालत से केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय को यह निर्देश जारी करने का अनुरोध किया गया है कि वह उन छात्रों व अन्य लोगों की जांच व पहचान करे, जो इस साल पांच मई हुई नीट-यूजी की परीक्षा के पेपर लीक जैसे अनुचित कार्यों में लिप्त थे और उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करे।

Jul 4, 2024 - 16:50
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शीर्ष अदालत पहुंचे सफलता हासिल करने वाले 50 से ज्यादा अभ्यर्थी, दोबारा परीक्षा न कराने की मांग

नई दिल्ली (आरएनआई) गुजरात में नीट-यूजी में सफलता हासिल करने वाले 50 से ज्यादा अभ्यर्थियों ने सर्वोच्च न्यायालय का रुख किया है। इनमें कई पहले स्थान पर रहे हैं। अभ्यर्थियों ने याचिका दाखिल कर शीर्ष अदालत से आग्रह किया है कि वह केंद्र और राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) को विवादित परीक्षा रद्द करने से रोकने के लिए निर्देश जारी करे। 

याचिका में शीर्ष अदालत से केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय को यह निर्देश जारी करने का अनुरोध किया गया है कि वह उन छात्रों व अन्य लोगों की जांच व पहचान करे, जो इस साल पांच मई हुई नीट-यूजी की परीक्षा के पेपर लीक जैसे अनुचित कार्यों में लिप्त थे और उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करे। शीर्ष अदालत में 56 छात्रों की ओर से नई याचिका ऐसे समय में दायर की गई है, जब मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ उन 26 याचिकाओं पर सुनवाई करने वाली है, जिनमें कथित अनियमितता के कारण परीक्षा की जांच कराने और उसे फिर आयोजित करने की मांग की गई है। 

राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा- स्नातक (नीट-यूजी) एनटीए द्वारा देशभर में सरकारी और निजी संस्थानों में एमबीबीएस, बीडीएस, आयुष और अन्य संबंधित पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए आयोजित की जाती है। इस साल नीट-यूजी को पांच मई को 4,750 केंद्रों पर आयोजित किया गया था। जिसमें करीब 24 लाख अभ्यर्थी परीक्षा में उपस्थित हुए थे। 

कई शहरों में पेपर लीक सहित कथित अनियमितताओं के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुए हैं। सियासी दलों के बीच इस मुद्दे पर जमकर बहस हुई है। परीक्षा रद्द करने और उसे फिर से आयोजित करने व उच्च स्तरीय जांच की मांग करने वाली याचिकाओं पर सर्वोच्च अदालत आठ जुलाई को सुनवाई करेगी। सिद्धार्थ कोमल सिंगला और 55 अन्य छात्रों की नई याचिका वकील देवेंद्र सिंह के जरिए दायर की गई है। 

याचिका में कहा गया है, "माननीय अदालत प्रतिवादियों (केंद्र सरकार और एनटीए) को नीट-यूजी दोबारा न कराने का निर्देश जारी कर सकती है, क्योंकि यह न केवल ईमानदार और मेहनती छात्रों के लिए अनुचित होगा, बल्कि शिक्षा के अधिकार और संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) का भी उल्लंघन होगा। 

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