शहरों और गांवों की सरकार में बंटी बीजेपी-कांग्रेस
राजस्थान में चुनाव के नतीजे कैसे होंगे, इसे लेकर इस बार तमाम सियासी चाणक्य भी भौंचक हैं। लेकिन वोटिंग ट्रेंड अगर कोई संकेत देता है तो इस बार शहरों में वोटिंग प्रतिशत बढ़ा है।
जयपुर, (आरएनआई) राजस्थान में बीजेपी को शहरों की और कांग्रेस को गांवों की पार्टी कहा जाता है। इस बार विधानसभा चुनावों में वोटिंग पेटर्न बेहद चौंकाने वाला रहा है। लेकिन मौटे तौर पर इस बार शहरों का वोटिंग प्रतिशत बढ़ा है।
पांच संभाग मुख्यालय और सीटों के लिहाज से सबसे अहम शहर माने जाने वाले जयपुर, जोधपुर, अजमेर, अलवर और उदयपुर जिले में पिछले चुनावों की तुलना में वोटिंग में करीब एक से ढाई प्रतिशत तक का इजाफा देखने को मिला है।
जयपुर सबसे आगे रहा है, जहां धार्मिक ध्रुवीकरण का मुद्दा खूब चला है। जयपुर में पिछले विधानसभा चुनावों की तुलना में इस बार वोट प्रतिशत में करीब 2.3 फीसदी का इजाफा देखने को मिला है।
दूसरे नंबर पर अलवर रहा है, यहां भी धार्मिक ध्रुवीकरण खूब चला। तिजारा सीट पर जहां बीजेपी के बाबा बालकनाथ चुनाव लड़ रहे हैं। वहां 85 प्रतिशथ से ज्यादा की वोटिंग हुई। अलवर पूरे की बात करें तो यहां कुल वोट 1.84 प्रतिशथ बढ़ा है, पिछले चुनाव की तुलना में।
तीसरे नंबर पर अजमेर जिला रहा। यहां भी ध्रुवीकरण का दांव चला है। यहां पर वोटिंग 1.82 प्रतिशत बढ़ी है।
यहां वोटिंग 1.25 प्रतिशत बढ़ी है। उदयपुर के कन्हैया लाल की हत्या का मुद्दा इस बार राजस्थान के चुनावों में छाया रहा। हालांकि, उदयपुर में यह मुद्दा नहीं रहा।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के गृह जिले जोधपुर में भी पिछले चुनावों की तुलना में वोट प्रतिशत बढ़ा है। साल 2018 के चुनावों की तुलना में इस बार यहां 0.83 प्रतिशत वोट ज्यादा किया गया।
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