व्रत का वैज्ञानिक पक्ष जानते है वास्तु शास्त्री डॉ सुमित्रा जी से

व्रत या उपवास का धार्मिक ही नहीं वैज्ञानिक महत्व भी है

Aug 6, 2023 - 17:24
Aug 6, 2023 - 17:26
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व्रत का वैज्ञानिक पक्ष जानते है वास्तु शास्त्री डॉ सुमित्रा जी से

(आर एन आई) व्रत या उपवास का आध्यात्मिक महत्व के साथ-साथ वैज्ञानिक महत्व भी है।  इसका मूल उद्देश्य वैज्ञानिक रूप से शरीर को स्वस्थ्य रखना होता है।  आध्यात्मिक रूप से व्रत से मन और आत्मा को नियंत्रित किया जाता है। अलग अलग तिथियां और दिन अलग अलग तरह से मन और शरीर पर असर डालती हैं, जिसको ध्यान में रखकर अलग अलग तिथियों और दिनों को उपवास या व्रत का विधान बनाया गया है। विशेष तिथियों या दिनों को व्रत-उपवास रखने से शरीर और मन तो शुद्ध होता ही है, मनचाही इच्छाएं भी पूरी होती हैं।

कौन से व्रत सबसे महत्वपूर्ण माने जाते हैं और क्या हैं इनके फायदे? 

व्रतों में सर्वाधिक महत्वपूर्ण व्रत एकादशी ,पूर्णिमा, अमावस्या और नवरात्रि के माने जाते हैं। 
एकादशी का नियमित व्रत रखने से मन कि चंचलता समाप्त होती है तथा धन और आरोग्य की प्राप्ति होती है। 

- पूर्णिमा या अमावस्या का व्रत रहने से हारमोन की समस्या ठीक होती है तथा मनोरोग दूर होते हैं। 

वर्ष में दो संधियाँ पड़ती हैं उस समय शरीर कि धातुओं को संतुलित करने के लिए नवरात्रि व्रत का विधान बनाया गया। 
वर्ष में केवल दोनों नवरात्रियों का उपवास रखने मात्र से ही आप अपने शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ा सकते हैं और वर्ष भर स्वस्थ रह सकते हैं। 

क्या हैं व्रत रखने के नियम?

- व्रत दो प्रकार से रखा जाता है -निर्जल व्रत और फलाहारी या जलीय व्रत

- सामान्यतः निर्जल व्रत पूर्ण रूप से व्यक्ति को ही रखना चाहिए
- अन्य या सामान्य लोगों को फलाहारी या जलीय उपवास रखना चाहिए 
व्रत में अधिक से अधिक समय ईश्वर ध्यान या उपासना में लगाना चाहिए

- खान पान में रसीले फल ,कंद या मूल या जल -दूध या दही लेनी चाहिए 
संध्या काल में पूजा करने के बाद या अर्घ्य देने के बाद ही फलाहार करना चाहिए

- व्रत की समाप्ति अगले दिन सूर्यास्त के बाद निम्बू पानी पीकर करनी चाहिए 
- अगले दिन पारायण करने के पूर्व भोजन या अन्न का दान करना चाहिए

धन तथा समृद्धि के लिए कौन सा व्रत रखें? 
शुक्रवार व्रत रक्खें ,माँ लक्ष्मी की पूजा करें
सफ़ेद खाद्य पदार्थ ग्रहण करें नमक और खट्टी चीज़ों का सेवन न करें

मनचाहे जीवन साथी के लिए
- सोमवार का व्रत रखें, शिव-पार्वती की पूजा करें
- शिव लिंग पर बेल पत्र तथा जल अर्पित करें 
- पार्वती मंगल का पाठ करें
समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए
- एकादशी का व्रत रखें
- भगवान् विष्णु या कृष्ण की पूजा करें 
नमक और अन्न का सेवन वर्जित है,जहाँ तक हो सके जलीय आहार ही ग्रहण करें
- विष्णु सहस्त्रनाम या श्रीमदभागवत का पाठ करें

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