व्यासावतार थे संत शिरोमणि प्रभुदत्त ब्रह्मचारी महाराज
वृन्दावन। (आरएनआई) वंशीवट क्षेत्र स्थित संकीर्तन भवन में श्रीसंकीर्तन भवन धार्मिक न्यास ट्रस्ट (झूंसी) के तत्वावधान में चल रहे ठाकुरश्री वंशीवट बिहारी गिरधारी लाल जू महाराज के अष्टदिवसीय वार्षिक महोत्सव के अंतर्गत संतों, विद्वानों एवं भक्तों-श्रृद्धालुओं के द्वारा ब्रह्मलीन संत प्रभुदत्त ब्रह्मचारी महाराज का पावन स्मारण किया गया।
इस अवसर पर जानकी वल्लभ मंदिर के अध्यक्ष श्रीमज्जगद्गुरू स्वामी अनिरुद्धाचार्य महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन संत प्रभुदत्त ब्रह्मचारी महाराज समस्त धर्म ग्रंथों के प्रकांड विद्वान थे।उन्होंने वेदव्यासजी द्वारा रचित श्रीमद्भागवत महापुराण का ब्रजभाषा में अनुवाद कर श्रीभागवत चरित" नामक ग्रंथ की रचना की।इसीलिए वे व्यासावतार कहे जाते हैं।
प्रख्यात भागवताचार्य आचार्य गोपाल भैया महाराज ने कहा कि हमारे सदगुरुदेव संत प्रवर प्रभुदत्त ब्रह्मचारी महाराज की श्रीधाम वृन्दावन, गौ एवं संतों के प्रति अपार निष्ठा थी।वे इनकी सेवा, रक्षा एवं उत्थान के लिए पूर्णत: समर्पित थे।उन जैसी पुण्यात्माएं ही हमें पृथ्वी पर ईश्वर के होने की अनुभूति कराती हैं।
वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. गोपाल चतुर्वेदी ने कहा कि ब्रह्मलीन प्रभुदत्त ब्रह्मचारी महाराज अत्यन्त सहज, सरल, उदार, परोपकारी एवं निष्पृह संत थे।वे अनेकोनेक सद्गुणों की खान थे।हम लोग यदि उनके किसी एक गुण को भी अपने जीवन में धारण करलें तो हमारा कल्याण हो सकता है।
महोत्सव में श्रीसंकीर्तन भवन धार्मिक न्यास ट्रस्ट झूंसी, शाखा वृन्दावन के अध्यक्ष लक्ष्मी कुमार मेहता, महामंत्री श्रीमती रजनी मल्होत्रा, ट्रस्टी आचार्य विनय त्रिपाठी, डॉ. आनंद कुमार त्यागी (पूर्व प्रशासनिक अधिकारी,सिविल कोर्ट,मथुरा), दाऊजी मन्दिर (बल्देव) के रिसीवर आर.के. पांडे, पार्षद मुकेश सारस्वत, संयोजक आचार्य मंगेश दुबे, डॉ. राधाकांत शर्मा आदि के अलावा विभिन्न क्षेत्रों के तमाम गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
(डॉ. गोपाल चतुर्वेदी)
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