व्यापम घोटाले में लिप्त आरोपी एक माह से ऊपर जेल में रहे, जेल विभाग को खुद लिखा जानकारी न देने का पत्र हो रहा वायरल
जेल में रहने के बाद मुख्यालय में ही पदस्थ? क्या प्रशासन_ शासन राजस्व न्याय हित में उन्हे बर्खास्त करेगा।
गुना (आरएनआई) गुना जिला मुख्यलाय में व्यापम घोटालेबाज आरोपी जो जेल में एक माह से ज्यादा अवधि तक बंद रहे वे हैं वे अब भी गुना तहसील में पदस्थ हैं वो भी अधिकारियों के रिश्तेदार बनकर उनके कृपा पात्र बने हैं।
जो पदस्थ पटवारी व्यापम घोटाले में रहे जेल,उनका जेल विभाग को खुद लिखा गया पत्र जानकारी नही देने का भी वायरल हैं। जो प्रशासन के अधिकारी तक बीते सप्ताह भी पहुंच गया हैं।
गुना के विभिन्न संगठनों के कर्मचारियों ने कहा कि जब उनके जेल विभाग के लिखे पत्र से अब कुछ स्पष्ट हैं तो कार्यवाही क्यों नही हुई। वही जेल अवधि समय को प्रशासन स्तर पर मिलजुल कर कुट्जनित दस्तावेज बनाकर नोकरी में बहाल होने में तत्कालीन अधिकारियों की भी जांच होनी चाहिए। उस कार्यकाल से अब तक का भी वेतन आखिर क्यों और कैसे वेतन मिला,उस वेतन की राजस्व हित में वसूली भी अनिवार्य होनी चाहिए।
शहर के राजस्व विभाग में कुछ कर्मियो ने भी चर्चा में नाम न उजागर करने की शर्त पर कहा कि जब प्रशासन छोटी छोटी गलतियों पर कर्मियो को दंडित करता हैं तो यह तो अपराध हैं और नियम जेल में रहने का अपराधिक रिकार्ड भी दर्ज जिसका रिकार्ड न उपलब्ध न कराया जाए का पत्र भी वायरल हैं तो सेवा समाप्त सिविल सेवा आचरण के तहत तत्काल जानकारी आने पर होना चाहिए।
बता दे कि काफी समय से जिले के दो व्यापम घोटाले के आरोपी पटवारियों की नौकरी को लेकर चर्चाएं फिर चल निकली हैं ओर पटवारी का पत्र भी वायरल हैं।
ये चर्चाएं इसलिए भी निकली हैं क्योंकि अब सरकार बदल चुकी हैं,मुख्यमंत्री भी फर्जी,घोटाले बाजो ओर गड़बड़ करने वालो को बाहर करने के पक्षधर हैं।
ऐसे में कर्मचारी संगठन के लोगो का कहना है कि लगभग एक माह तक जेल में बंद रहे और व्यापम के भी आरोपी हैं।तो मुख्यमंत्री तथा मुख्य सचिव को कार्यवाही करना चाहिए जो ऐसे कार्य करने वालो को मिशाल बने।
विभिन्न संगठनों के अनेकों कर्मियो का नाम न उजागर न करने की शर्त पर कहना हैं दो बड़े अधिकारियों से इनकी नजदीकिया भी चर्चित हैं,जिनमे एक रिश्तेदार और दूसरे स्टूडेंट बन कर नजदीक हैं।
कर्मचारी संगठन से जुड़े कर्मियो ने कहा कि सेंट्रल जेल में बंद रहे इन व्यापम के आरोपियों का जेल रिकार्ड भी सूचना के अधिकार के तहत जानकारी नही दी जा रही हैं,क्योंकि दोनो पदस्थ पटवारियों ने उनकी जेल में रहने की जानकारी को लेकर सेंट्रल जेल भोपाल को पत्र लिखकर निजी जानकारी बताते कर देने से लिखित में मना किया हैं।जो इस बात को स्वयं सिद्ध करता हैं की जेल रिकार्ड हैं।
क्या इनपर प्रशासन निलंबित या बर्खास्त की कार्यवाही करेगा।
What's Your Reaction?