व्यस्क बच्चे भी 'संघ की हानि' के तहत मुआवजे के अधिकारी, कर्नाटक उच्च न्यायालय का अहम फैसला
सुभाष के दो बेटों को मुआवजा देने की मांग ट्रिब्यूनल ने ठुकरा दी और कहा कि दोनों वित्तीय तौर पर स्वतंत्र है और उन्हें निर्भर नहीं माना जा सकता। ट्रिब्यूनल के फैसले को बेटों ने उच्च न्यायालय में चुनौती दी।

बेंगलुरु (आरएनआई) कर्नाटक उच्च न्यायालय ने अपने एक अहम फैसले में कहा है कि न सिर्फ पत्नी बल्कि मृतक के व्यस्क बच्चे, जो कानूनी तौर पर उसके अधिकारी हैं, वे भी संघ की हानि (Loss Of Consortium) के तहत मुआवजे के अधिकारी हैं। उच्च न्यायालय ने कहा कि व्यक्ति की असमय मृत्यु से जो खालीपन और भावनात्मक सदमा लगता है, उसके लिए मुआवजा दिया जा सकता है।
जस्टिस सीएम जोशी ने अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि मृतक सुभाष की पत्नी के साथ ही उसके दो व्यस्क बेटे भी लॉस ऑफ कंसोर्टियम कैटेगरी में मुआवजा पाने के अधिकारी हैं। अदालत ने पत्नी और दोनों बेटों को 52-52 हजार रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया। इस तरह तीनों को कुल 1.56 लाख रुपये का मुआवजा और मिलेगा।
कर्नाटक के कलबुर्गी के रहने वाले सुभाष की 7 अप्रैल 2019 को एक सड़क हादसे में मौत हो गई थी। सुभाष का वाहन एक अन्य मोटरसाइकिल से टकरा गया था। साल 2021 में मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल ने सुभाष के परिवार को 10.30 लाख मुआवजा देने का आदेश दिया। यह रकम सुभाष की पत्नी को मिली। सुभाष के दो बेटों को मुआवजा देने की मांग ट्रिब्यूनल ने ठुकरा दी और कहा कि दोनों वित्तीय तौर पर स्वतंत्र है और उन्हें निर्भर नहीं माना जा सकता। ट्रिब्यूनल के फैसले को बेटों ने उच्च न्यायालय में चुनौती दी।
उच्च न्यायालय में दायर याचिका में बेटों ने ट्रिब्यूनल द्वारा मुआवजे की रकम तय करने के तरीके पर भी सवाल उठाए। अब उच्च न्यायालय ने बेटों के हक में फैसला सुनाया है और सुप्रीम कोर्ट के एन जयश्री बनाम चोलामंडलम एम जनरल इंश्योरेंस कंपनी फैसले का हवाला देते हुए बेटों को भी संघ की हानि कैटेगरी के तहत मुआवजा देने का आदेश दिया है।
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