‘वैश्विक संकट’ के दौर में दुनिया भारत की तरफ बहुत उम्मीद भरी नजरों से देख रही है: प्रधानमंत्री

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को कहा कि ‘‘वैश्विक संकट’’ के दौर में दुनियाभर के अर्थव्यवस्था विशेषज्ञ और विश्लेषक भारत को ‘‘असीम संभावनाओं का केंद्र’’ बता रहे हैं और दुनिया भारत की तरफ से बहुत उम्मीद भरी नजरों से देख रही है।

Nov 2, 2022 - 20:00
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‘वैश्विक संकट’ के दौर में दुनिया भारत की तरफ बहुत उम्मीद भरी नजरों से देख रही है: प्रधानमंत्री
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी

बेंगलुरु, 2 नवंबर 2022, (आरएनआई)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को कहा कि ‘‘वैश्विक संकट’’ के दौर में दुनियाभर के अर्थव्यवस्था विशेषज्ञ और विश्लेषक भारत को ‘‘असीम संभावनाओं का केंद्र’’ बता रहे हैं और दुनिया भारत की तरफ से बहुत उम्मीद भरी नजरों से देख रही है।

उन्होंने यह भी कहा कि नीतिगत संकटों को समाप्त करके उनकी सरकार ने ‘‘लालफीताशाही के जाल’’ में धकेलने की बजाय निवेशकों के अनुकूल माहौल बनाया है।

यहां आयोजित तीन-दिवसीय वैश्विक निवेशक सम्मेलन (जीआईएम) ‘इन्वेस्ट कर्नाटक 2022’ के उद्घाटन समारोह को वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कर्नाटक को निवेशकों के लिए बड़ा केंद्र बताया और कहा कि दक्षिण के इस राज्य में ‘‘डबल इंजन’’ की सरकार है, यानि केंद्र सरकार और राज्य सरकार में एक ही पार्टी का नेतृत्व है।

उन्होंने कहा, ‘‘पिछले वर्ष भारत ने करीब 84 बिलियन डॉलर का रिकॉर्ड प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) हासिल किया था। ये नतीजे तब आ रहे हैं जब दुनिया कोविड वैश्विक महामारी के असर और युद्ध की परिस्थितियों से जूझ रही है। हर तरफ अनिश्चितता का माहौल है। भारत पर भी युद्ध और महामारी से बनी स्थितियों का विपरीत प्रभाव पड़ा है। बावजूद इसके, आज पूरी दुनिया भारत की तरफ बहुत उम्मीद भरी नजरों से देख रही है।’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि ये दौर आर्थिक अनिश्चितता का है लेकिन तमाम देश एक बात को लेकर आश्वस्त हैं कि भारतीय अर्थव्यवस्था का आधार मजबूत है।

उन्होंने कहा, ‘‘ये बाजार में उतार-चढ़ाव का भी दौर है लेकिन 130 करोड़ भारतीयों की आकांक्षाएं हमारे घरेलू बाजार की मजबूती की गारंटी दे रही हैं। ये भले ही वैश्विक संकट का दौर है लेकिन दुनियाभर के विशेषज्ञ, विश्लेषक और अर्थव्यवस्था के जानकार भारत को ‘असीम संभावनाओं से भरपूर’ बता रहे हैं।’’

मोदी ने कहा कि भारत अपने बुनियादी मानकों पर लगातार काम कर रहा है ताकि उसकी अर्थव्यवस्था दिनों-दिन और मजबूत हो।

उन्होंने कहा, ‘‘पिछले कुछ महीनों में भारत ने जितने मुक्त व्यापार करार किए हैं, उससे दुनिया को हमारी तैयारियों की झलक मिल चुकी है।’’

‘‘इंवेस्ट कर्नाटक’’ को भारत में होने वाले निवेशक सम्मेलनों में सबसे बड़ा निवेशक सम्मेलन माना जाता है।

प्रधानमंत्री ने दावा किया कि 9-10 साल पहले देश नीतिगत संकट के दौर से गुजर रहा था और देश को उस स्थिति से बाहर निकालने के लिए अपना रुख बदलने की जरूरत थी।

उन्होंने कहा, ‘‘हमने निवेशकों को लालफीताशाही के जाल में उलझाने की बजाय निवेश के लिए लाल कालीन बिछाने का माहौल बनाया। हमने नए-नए उलझाऊ कानून बनाने के बजाय उन्हें आसान बनाया। हमने खुद बिजनेस चलाने के बजाय बिजनेस के लिए आधार तैयार किया ताकि दूसरे आगे आ सकें। हमने युवाओं को नियमों में जकड़ने के बजाय उन्हें अपनी क्षमताओं को और बढ़ाने का मौका दिया।’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि नए भारत का निर्माण बड़े सुधारों, व्यापक बुनियादी ढांचे और सर्वश्रेष्ठ प्रतिभा पर ध्यान केंद्रित करके ही किया जा सकता है।

इस दिशा में उठाए गए विभिन्न कदमों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि भारत सुधारों के साथ-साथ अवसंरचना के क्षेत्र में भी बहुत तेजी के साथ आगे बढ़ रहा है और निवेश व मानव पूंजी पर ध्यान केंद्रित करके ही प्रगति हासिल की जा सकती है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में आज भारत ने जो मुकाम हासिल किया है, वह पूरी दुनिया के लिए मिसाल है क्योंकि पिछले 8 वर्षों में देश की अक्षय ऊर्जा की क्षमता में तीन गुनी वृद्धि हुई है और सौर ऊर्जा की क्षमता में 20 गुना बढ़ोतरी हुई है।

केंद्र और राज्य में एक ही पार्टी होने की ताकत का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि एक वजह यह भी है कि कर्नाटक कई क्षेत्रों में सबसे तेज गति से विकास कर रहा है।

उन्होंने कहा, ‘‘फॉर्च्यून 500 कंपनियों की सूची में से 400 कर्नाटक में ही हैं। भारत के 100 से अधिक यूनिकॉर्न में से 40 से ज्यादा कर्नाटक में ही हैं। कर्नाटक की गिनती आज दुनिया के सबसे बड़े औद्योगिक केंद्र के तौर पर हो रही है। यहां कर्नाटक में उद्योग से लेकर सूचना-प्रौद्योगिकी तक, फिनटेक से लेकर जैव प्रौद्योगिक तक, स्टार्ट अप से लेकर तक सतत ऊर्जा, हर क्षेत्र में विकास की नई गाथा लिखी जा रही है। विकास के कुछ आंकड़े तो ऐसे हैं कि कर्नाटक सिर्फ भारत के दूसरे राज्यों को ही नहीं बल्कि कुछ देशों को भी चुनौती दे रहा है।’’

वर्ष 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के संकल्प का उल्लेख करते हुए मोदी ने कहा कि इसके लिए ये बहुत जरूरी है कि निवेशकों का निवेश और भारत की प्रेरणा एक साथ जुड़ जाएं क्योंकि समावेशी, लोकतांत्रिक और मजबूत भारत का विकास ही दुनिया के विकास को गति देगा।

उन्होंने कहा, ‘‘भारत में निवेश का मतलब है, समावेश और लोकतंत्र में निवेश करना। भारत में निवेश का मतलब है दुनिया के लिए निवेश करना, एक बेहतर पृथ्वी के लिए निवेश करना और स्वच्छ व सुरक्षित दुनिया के लिए निवेश करना है।’’

उद्घाटन समारोह में राज्यपाल थावरचंद गहलोत और मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई के अलावा केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण, पीयूष गोयल, प्रह्लाद जोशी और राजीव चंद्रशेखर भी मौजूद थे।

अधिकारियों ने बताया कि जीआईएम का यह संस्करण ‘बिल्ड फॉर द वर्ल्ड’ विषय के तहत आयोजित किया जा रहा है, जो कर्नाटक की वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लक्ष्य को दर्शाता है।

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