वृंदा के रूप में पंकज परिधान का पर्ण निभायेंगे : कोकिल जी महाराज
वृंदा के रूप में पंकज परिधान का पर्ण निभायेंगे: कोकिल जी महाराज काका स्मारक के सामने पूजन स्थल पर शिष्य परिकर ने किया कोकिल जी का पूजन।
हाथरस, (आरएनआई) कर्म प्रधान विश्व रचि राखा, जस फल बोया तस फल चाखा। अर्थात कर्म की प्रधानता ही जीवन का सही और सार्थक मार्ग है। अपने कर्म पथ पर जो व्यक्ति लगातार चलता है वह सनातन के सत्य को भी सार्थक सिद्ध करता है। यह उद्गार रामकथा मर्मज्ञ व विख्यात भागवत प्रवक्ता श्री श्री 1008 राम कोकिल जी महाराज ने वृंदा फैशन पर मुख्य आथित्व स्वीकारते हुए व्यक्त किये। उन्होंने कहाँ यह धरा मृत्यलोक के नाम से जानी जाती है। इस धरा मुख्य मुख्य धर्म 'कर्म' ही है। अर्थात देश की रक्षार्थ जो शस्त्र उठाये वह क्षत्रिय 'कर्म' का घोतक वर्ण है, जो सफाई को सार्थक करे वह शूद्र वर्ण का श्रेष्ठा है, जो विश्व कल्याणार्थ शास्त्र का अध्ययन करना और कराना व सर्व हिताय के भाव से धर्म को 'कर्म' के कारण्य में धारता है वह विप्र यानी ब्राह्मण वर्ण को प्रशस्त करता है। इसी प्रकार जो सर्व हित के लिए व्यापार को व्यापक रूप से अग्रसारित करता है, वैश्य वर्ण को सुशोभित कर जीवन-यापन की तमाम आवश्यकताओं को मूर्त रूप में सफलता से संपन्न करता है।
इसी वर्ण की शोभा बखूवी अंजाम देने वाले पंकज गुप्ता अपने समस्त पदू परिवार सहित वैश्य वर्ण का पालन कर रहे हैं। इस अवसर पर श्री कोकिल जी महाराज के शिष्य परिकर में पंकज गुप्ता के अलावा रोचक जैन, टालीवाल जी सहित अन्य सनातनियों ने उनका पूजन-अर्चन कर आशीष प्राप्त किया। इस दौरान काका हाथरसी स्मारक के सामने पूजन स्थल पर खासतौर से बरसाना मंडल के अध्यक्ष प्रदीप अग्रवाल, अमित गोयल, योगेंद्रमोहन मोहन शर्मा, रामवल्लभ शर्मा, लक्ष्मीनारायण वार्ष्णेय, जितेन्द्र वार्ष्णेय 'राधे', रवींद्र वार्ष्णेय 'छुट्टन', विकास अग्रवाल, रोचक जैन, शरद अग्रवाल, जमुना प्रसाद, माधव जैन, श्रेयांस जैन व आशीष जैन आदि दर्जनों भक्तजन उपस्थित थे।
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