वीडियो फुटेज में दिख रहे संदिग्ध बाइक चोर को आठ महीने में भी नही पकड़ पाई पुलिस
गुना। चोर की हरकतें वीडियो में कैद हों, चेहरा भी साफ दिखाई दे रहा हो, लेकिन फिर भी पुलिस चोर को पकड़ने के बजाए पीड़ित फरियादी पर शिकायत न करने का दवाब बनाए तो इसे चोरों के लिए मुफीद माहौल उपलब्ध कराना ही कहा जाएगा। आरोन थाना क्षेत्र में मोटरसाइकिल मालिकों में दहशत है। यहां आए दिन मोटरसाइकिलें चोरी हो रही हैं।
11 अप्रैल को राकेश जैन की एचएफ डीलक्स बाइक आरोन में टेलर गली स्थित घर के सामने से तीस मिनट में चोरी हुई। 13 अप्रैल को रमाशंकर शर्मा की हीरो डीलक्स पप्पू महाराज के आश्रम के बाहर से महज बीस मिनट में चोरी हो गई। 14 अप्रैल को पार्श्वनाथ जैन मंदिर के पास रहने वाले सजेंद्र जैन की होंडा शाइन बाइक महज आधे घंटे में चोरी हो गई।
दरअसल, आरोन पुलिस निशाने पर इसलिए है कि एक संदिग्ध मोटरसाइकिल चोर की वीडियो फुटेज और फोटो से पहचान होने पर भी पुलिस उसे साल भर में नहीं ढूंढ पाई है। कहानी कुछ यूं है कि, 5 अगस्त 2022 को ग्राम मोहरीकलां निवासी किसान वीरेंद्र सिंह रघुबन्सी मोहरी रात करीब आठ बजे अपने बटियादार की हीरो डीलक्स बाइक से आरोन के दास हनुमान मंदिर पहुंचे। एक घंटे बाद मंदिर से भजन पूजन कर बाहर आए तो बाइक नदारद थी।
इस वारदात की एफआईआर 13 अगस्त 2022 को किसान वीरेंद्र ने थाने में की। वीरेंद्र कहते हैं कि, बाइक चोरी होने पर मैने अपने स्तर पर चोर की तलाश की। घटनास्थल के पास लगे सीसीटीवी में चोर की हरकतें व चेहरा भी साफ साफ दिखा। फिर भी पुलिस आज तक न तो चोर को पकड़ पाई और न मुझे बाइक वापस मिली। मैने सीएम हेल्प लाइन पर दो बार शिकायत की, लेकिन पुलिस ने दवाब बनाकर शिकायत बंद करा दी।
वीरेंद्र बताते हैं कि अभी भी मुझे थाने से फोन आते हैं कि तुम कोर्ट में बोल दो कि कार्यवाही से संतुष्ट हूं। वीरेंद्र कहते हैं कि "अगर कुछ बड़ा क्राइम हो जाता है तो पुलिस चोरों को जमीन में से खोदकर निकाल लाती है, जब सीसीटीवी कैमरे में चोर की शक्ल स्पष्ट दिख रही है तो क्यों नहीं पकड़ पा रही है।"
ये दर्द सिर्फ वीरेंद्र का नहीं है, हर उस पीड़ित की यही दास्तां है जो चोरी की घटना का शिकार बनता है और जिसे पुलिस चोरी गया समान वापस नहीं दिला पाती। आरोन ही नहीं बल्कि जिले भर में आए दिन बाइक चोरी की घटनाएं हो रही हैं। लेकिन आरोन में चोरों के हौंसले इतने बुलंद हैं की उन्होंने चार दिन में तीन बाइक उड़ा दीं।
ये मामले वो हैं जो थाने में एफआईआर के तौर पर रजिस्टर्ड हुए। कई मर्तबा पुलिस थानों में चोरी की शिकायत पर एफआईआर दर्ज की ही नहीं जाती बल्कि पीड़ित फरियादी से आवेदन ले लिया जाता है। ऐसा वारदातों में कमी दिखाने या अपराध का ग्राफ कम दर्शाने के लिए किया जाता है।
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