विश्व जल दिवस पर गुना का जल विमर्श, पानी जीवन की आदिम चिंता है
गुना (आरएनआई) गुना में तीन तालाब और तीन तीन नदीयां हैं प्रतिवर्ष बारिश में ये तीनों तालाब एकाधिक बार ओवरफ्लो हो ही जाते है, तीनों नदियों भी उफन जाती है फिर भी गुना गर्मियों के आते ही जल अभाववास्त हो जाता है। हमारे यहां कमी पानी की नहीं जल प्रबंधन की है.
शहर ने बीते बीस वर्षों में टोटी लगाओ अभियान, कुओ का सफाई अभियान, भुजरिया सिंगवासा गोपालपुरा तालाब गहरीकरण, गुनिया, पनरिया, ओड़िया नदी अभियान, मिशन भू- जल आदि के माध्यम से शहर में जल जागरूकता बनाई हुई है। शासन, प्रशासन, मोडिया की मदद व समर्थन भी इन अभियानों को सदैव ही रहा है।
गुना में औसत सामान्य वर्षा हो ही जाती है, यहाँ भुजरिया, सिंगवासा, गोपालपुरा जैसे तीन तालाब, गुनिया, पनरिया, ओड़िया जैसी तीन तीन नदियां हैं।
प्रतिवर्ष बारिश में ये तीनों तालाब एकाधिक बार ओवरफ्लो हो ही जाते हैं, तीनों नदियों भी उफन जाती हैं फिर भी गुना गर्मियों के आते ही जल अभावग्रस्त हो जाता है। मतलब साफ है गुना में पानी की कमी नहीं जल प्रबंधन का अभाव है। हमारा शहर मकरोदा, गोपी कृष्ण, संजय सागर डेम से घिरा है, सिंध व पार्वती नदियों के बीच बसा है जिला। तीन बड़ी नदियों नेगरी (गुनिया, पनरिया, ओड़िया नदियों के संगम से निर्मित) कुनो व तेन का उगम स्थल है।
गुना में बरसे पानी को घर के नीचे की जमीन पर, शहर के पानी को शहर में, जिले के पानी को जिले में रोकने की है। गुनिया नदी पर श्रीमन शुक्ला, राजेश जैन भास्कर लक्ष्कार, कुमार पुरुषोत्तम के कार्यकालो में कुछ कुछ काम हुआ जिसके सुखद परिणाम ने 2021 की अति वृष्टि में गुना को डूबने से बचा लिया। हमें इस से सीखना चाहिए। अभी गुनिया पर काफी काम की जरूरत है।
गुनिया पर 2017 के ngt के आदेश का पालन सुनिश्चित किया जाना चहिए। गुनिया के उद्धार के लिए स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में स्थान मिला था उस पर काम होना जरूरी है, नपा ने इस पर 2020 में जो dpr बना कर शासन को भेजी थी उस पर काम की जरुरत है।
भुजरिया तालाब भूमि विनिमय व 3 करोड़ के गेल स्पोंसर्ड भुजरिया प्रोजेक्ट पर काम होने की जरूरत है। पनरिया नदी पर कुमार पुरुषोत्तम जी के समय में आरंभ हुआ काम रुका पड़ा है इसे जारी किया जाना जरूरी। भगत सिंह कॉलोनी, नानाखेडी पर हुए जल भरवा से बचने हेतु ओड़िया नदी पर काम की आवश्यकता है।
बीते वर्षो में पानी की जागरूकता बढ़ी है यह सुखद है पर और ज्यादा काम करने की जरुरत है। सबसे ज्यादा जरूरत घर के छत पर बरसे पानी व शहर से बह जाने वाले पानी को सहेजने की है। 77 प्रतिशत बीमारियों का कारण जल प्रदूषण ही है। हमें अपने जल ओत बचाने भी हैं साफ भी रखना है।
संविधान के अनुच्छेद 51 क में जल संरचनाओ के संरक्षण को नागरिक कर्तव्य बनाया गया है। वहीं अनुच्छेद 48 में शासन निर्देशित है।
ज्ञापन सौंपने वालों में डॉ. पुष्पराग, महावीर सिंह तोमर, गुलाबराज, प्रेमी राठौर, डॉ. रमेश चंद्र शर्मा, डॉ. अमित शर्मा, कदीर खान एवं समस्त पर्यावरण कार्यकर्ता थे।
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