विशेष सत्र के पीछे क्या है सरकार का इरादा एक देश-एक चुनाव, UCC और महिला आरक्षण
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई बार एक देश, एक चुनाव कराने की बात कहते रहे हैं। उनका कहना रहा है कि बार-बार चुनाव कराने से देश पर अनावश्यक खर्च बढ़ता है और सरकारों पर दबाव रहता है। यदि पांच साल में एक ही बार चुनाव हों तो सरकारें इस दबाव से मुक्त होकर जनहित के निर्णय ले सकेंगी।
मुंबई। (आरएनआई) जिस समय विपक्ष मुंबई में इंडिया गठबंधन की बैठक कर 2024 के लोकसभा चुनाव में केंद्र सरकार को घेरने की योजना बना रहा है, उसी बीच अचानक यह समाचार आ गया कि सरकार संसद का विशेष सत्र बुलाने जा रही है। 18 से 22 सितंबर के पांच दिवसीय विशेष सत्र में क्या होगा, इस पर कयासबाजी जारी है। इस विशेष सत्र को बुलाने के पीछे सरकार की मंशा को लेकर भी तमाम तरह के प्रश्न खड़े किए जा रहे हैं। विपक्ष ने अभी से इसे बौखलाहट में उठाया हुआ कदम करार दिया है।
इस तरह के कई मुद्दे हैं जो सरकार की प्राथमिकता में रहे हैं, लेकिन अलग-अलग कारणों से उन पर अमल नहीं हो पाया है। जैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समान नागरिक संहिता लाने की बात करते रहे हैं, लेकिन अभी तक इसे नहीं लाया जा सका है। इस पर लोगों की राय ली जा रही है। उत्तराखंड में इसका ड्राफ्ट भी तैयार कर लिया गया है, लेकिन अभी तक इसे लागू करने पर स्थिति स्पष्ट नहीं है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई बार एक देश, एक चुनाव कराने की बात कहते रहे हैं। उनका कहना रहा है कि बार-बार चुनाव कराने से देश पर अनावश्यक खर्च बढ़ता है और सरकारों पर दबाव रहता है। यदि पांच साल में एक ही बार चुनाव हों तो सरकारें इस दबाव से मुक्त होकर जनहित के निर्णय ले सकेंगी।
जदयू नेता सत्य प्रकाश मिश्रा ने कहा कि केंद्र सरकार अपने अंतिम दौर में है। वे इंडिया गठबंधन की ताकत को समझ रहे हैं और उन्हें यह एहसास हो गया है कि वे सत्ता में वापस नहीं आने जा रहे हैं। यही कारण है कि इंडिया गठबंधन के बैठक के ठीक पहले इस तरह की घोषणा कर देश का ध्यान भटकाने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा कि किसी भी बड़े बदलाव के लिए देश को पर्याप्त समय देना चाहिए।
राजनीतिक विश्लेषक धीरेंद्र कुमार ने अमर उजाला से कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हमेशा बड़े निर्णय लेने के लिए इसी तरह की पहल करते हुए देखे गए हैं। नोटबंदी का निर्णय हो या पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक करने का, सरकार ने इसी तरह के निर्णय लिए हैं जिससे लोगों को अचंभा हुआ है। इस बार भी केंद्र कोई बड़ा निर्णय लेने जा रही है, यह विशेष सत्र के बुलाने से स्पष्ट हो गया है। लेकिन जब तक सरकार की तरफ से इस पर कोई स्पष्ट बयान नहीं आ जाता है, किसी तरह की कयासबाजी से बचना चाहिए।
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