विधायक ए राजा की याचिका पर फैसला सुरक्षित
ए राजा ने केरल हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ 20 मार्च 2023 को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। ए राजा का कहना है कि वह हिंदू परायण समुदाय से ताल्लुक रखते हैं और देवीकुलम के तहसीलदार ने उन्हें जाति प्रमाणपत्र भी जारी किया था।
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नई दिल्ली (आरएनआई) सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सीपीआईएम विधायक ए राजा की याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। ए राजा ने केरल हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। दरअसल केरल हाईकोर्ट ने केरल की देवीकुलम सीट से ए राजा के निर्वाचन को रद्द करने का आदेश दिया था। देवीकुलम सीट पर दूसरे स्थान पर रहे कांग्रेस नेता डी कुमार ने ए राजा के निर्वाचन को चुनौती दी थी। डी कुमार का आरोप है कि देवीकुलम सीट आरक्षित वर्ग के लिए रिजर्व है और ए राजा इस सीट से चुनाव लड़ने के लिए योग्य नहीं हैं।
सुप्रीम कोर्ट में ए राजा की याचिका पर सुनवाई कर रही जस्टिस अभय एस ओका, जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्ला और ऑगस्टीन जॉर्ज की पीठ ने ए राजा की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील वी गिरी और नरेंद्र हुड्डा के सबमिशन सुने और फैसला सुरक्षित रख लिया। ए राजा ने केरल हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ 20 मार्च 2023 को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। ए राजा का कहना है कि वह हिंदू परायण समुदाय से ताल्लुक रखते हैं और देवीकुलम के तहसीलदार ने उन्हें जाति प्रमाणपत्र भी जारी किया था।
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को दिल्ली हाई कोर्ट बार एसोसिएशन (डीएचसीबीए) में कोषाध्यक्ष का पद महिला सदस्यों के लिए आरक्षित करने का आदेश दिया है। इसके अलावा पांच पदाधिकारियों के पैनल में एक अन्य पद भी महिला सदस्यों के लिए आरक्षित करने के निर्देश दिए। जस्टिस सूर्यकांत, दीपांकर दत्ता और उज्जल भुइयां की पीठ ने यह भी कहा कि यह वांछनीय है कि डीएचसीबीए की आम सभा कार्यकारी समिति में तीन सीटें आरक्षित करने पर विचार करे, जिनमें से एक वरिष्ठ नामित महिला अधिवक्ता के लिए होनी चाहिए।
पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता मोहित माथुर, जो डीएचसीबीए के अध्यक्ष भी हैं, से कहा कि वे जिला न्यायालयों के बार निकायों से भी इसी तरह की व्यवस्था करने का आग्रह करें। पीठ ने डीएचसीबीए को निर्देश दिया कि वह अपनी आम सभा की बैठक यथाशीघ्र और 10 दिनों से अधिक समय बाद न बुलाए। हाई कोर्ट बार एसोसिएशन की कार्यकारी समिति में पांच पदाधिकारियों सहित 15 सदस्य हैं। शुरुआत में माथुर ने कहा कि उन्हें कुछ समय दिया जाना चाहिए, क्योंकि पदाधिकारियों और कार्यकारी समिति में महिलाओं के लिए पद आरक्षित करने के संबंध में कोई भी निर्णय केवल आम सभा द्वारा लिया जा सकता है और वह अकेले यह बयान नहीं दे सकते। माथुर ने ये भी कहा कि कार्यकारी समिति में पहले से ही पर्याप्त महिला सदस्य हैं। शीर्ष अदालत डीएचसीबीए में महिला सदस्यों के लिए 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने की मांग वाली याचिका पर विचार कर रही थी। एसोसिएशन के चुनाव अक्टूबर या नवंबर में होने हैं।
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