विधान परिषद में मनोनयन के बाद एएमयू के कुलपति ने इस्तीफा दिया
उत्तर प्रदेश विधान परिषद के लिए मनोनीत किए जाने के बाद अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के कुलपति प्रोफेसर तारिक मंसूर ने अपना कार्यकाल खत्म होने से कुछ हफ्ते पहले मंगलवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया।
अलीगढ़ (उप्र), 4 अप्रैल 2023, (आरएनआई)। उत्तर प्रदेश विधान परिषद के लिए मनोनीत किए जाने के बाद अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के कुलपति प्रोफेसर तारिक मंसूर ने अपना कार्यकाल खत्म होने से कुछ हफ्ते पहले मंगलवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया।
एएमयू के रजिस्ट्रार मोहम्मद इमरान ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति प्रोफेसर मोहम्मद गुलरेज़ अगली नियुक्ति तक कुलपति के रूप में काम करेंगे।
प्रोफ़ेसर तारिक मंसूर को उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार ने राज्य विधान परिषद के सदस्य के तौर पर मनोनीत किया है। सोमवार रात इसकी आधिकारिक अधिसूचना भी जारी कर दी गई है।
मंसूर ने तीन/चार अप्रैल की दरमियानी रात को विश्वविद्यालय के छात्रों और कर्मचारियों को लिखे एक खुले पत्र में कहा, ‘जैसा कि मैं पद छोड़ रहा हूं, यह आखिरी बार है जब मैं आपको कुलपति के रूप में संबोधित कर रहा हूं। मुझे अच्छे और चुनौतीपूर्ण समय के दौरान छह साल तक संस्थान की सेवा करने का अवसर मिला।’
उन्होंने इस अवधि के दौरान विशेष रूप से कोविड महामारी से उत्पन्न चुनौतियों का सामना करने के लिए एएमयू समुदाय को धन्यवाद दिया।
मंसूर ने 17 मई 2017 को पांच साल की अवधि के लिए कुलपति के रूप में पदभार ग्रहण किया गया था। उनका कार्यकाल पिछले मई में समाप्त होना था लेकिन महामारी के आलोक में असाधारण परिस्थितियों के मद्देनजर केंद्र सरकार ने उनका कार्यकाल एक वर्ष के लिए बढ़ा दिया था।
मंसूर राज्य विधान परिषद में राज्यमंत्री दानिश आजाद अंसारी, राज्य हज कमेटी के अध्यक्ष मोहसिन रजा और बुक्कल नवाब के बाद भाजपा के चौथे मुस्लिम सदस्य होंगे।
इस्तीफे के बाद मंसूर ने विधान परिषद सदस्य के रूप में अपनी नई भूमिका के बारे में कहा, ‘यह बहुत अच्छा और सकारात्मक घटनाक्रम है। हम उत्तर प्रदेश में शिक्षा के विकास और विस्तार पर काम करेंगे।’
इस सवाल पर कि विधान परिषद सदस्य के रूप में वह अपनी क्या जिम्मेदारी समझते हैं, प्रोफ़ेसर मंसूर ने कहा, ‘निश्चित रूप से राज्यपाल ने सरकार की सिफारिश पर मेरा मनोनयन किया है तो मैं अपनी पूरी क्षमता से काम करूंगा और विभिन्न कानूनों के निर्माण में योगदान करूंगा। खास तौर पर शिक्षा और चिकित्सा से जुड़े मामलों में, क्योंकि यह दोनों मुझसे जुड़े क्षेत्र हैं।’
एएमयू से चिकित्सा की शिक्षा हासिल करने के बाद विश्वविद्यालय के ही जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में शिक्षक के तौर पर अपना सफर शुरू करने वाले मंसूर ने पत्र में प्रधानमंत्री, केंद्रीय शिक्षा मंत्रियों, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की विभिन्न इकाइयों के सदस्यों और सभी शिक्षण तथा शिक्षणेत्तर कर्मचारियों का उनके सहयोग के लिए धन्यवाद किया।
उन्होंने कहा, ‘चूंकि देश ‘नए भारत’ के दौर में प्रवेश कर रहा है और वैश्विक मामलों में एक केंद्रीय भूमिका निभाने के लिए तैयार है, मुझे विश्वास है कि एएमयू राष्ट्र निर्माण के कार्य में एक प्रमुख भूमिका निभाता रहेगा।’
अलीगढ़ में 20 सितंबर 1956 को जन्मे प्रोफेसर तारिक मंसूर ने एक शिक्षक और प्रशासक के रूप में लगभग चार दशक तक एएमयू की सेवा की। वह विश्वविद्यालय के शल्य चिकित्सा विभाग के प्रमुख भी रहे। कुलपति के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एएमयू समुदाय को संबोधित किया था और वर्ष 2018 में तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद एएमयू के दीक्षांत समारोह के मुख्य अतिथि थे।
प्रोफ़ेसर मंसूर ने प्रधानमंत्री मोदी की आलोचना करने वाले बीबीसी के एक वृत्तचित्र का विरोध किया था।
गौरतलब है कि राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने राज्य सरकार की सिफारिश पर प्रदेश विधान परिषद में मनोनीत कोटे की छह रिक्त सीटों पर प्रोफ़ेसर तारिक मंसूर और प्रधानमंत्री के पूर्व प्रधान सचिव और वर्तमान में श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र के बेटे साकेत मिश्र समेत छह लोगों का मनोनयन किया है।
माना जा रहा है कि मंसूर को मनोनीत करके पार्टी ने अपनी मुस्लिम विरोधी छवि को दूर करने की कोशिश की है।
मनोनीत किए गए अन्य लोगों में लालजी निर्मल, रजनीकांत माहेश्वरी, रामसूरत राजभर और हंसराज विश्वकर्मा शामिल हैं।
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