विजयदशमी पर्व सम्मान समारोह में कवि सम्मेलन अभूतपूर्व रहा
हाथरस-25 अक्टूबर। 21 वर्ष से निरन्तर हो रहा श्री राधाकृष्ण कृपा भवन वार्षिकोत्सव विजयदशमी पर्व कवि सम्मेलन में इस वर्ष श्रोताओं की सर्वाधिक उपस्थिति रही।
बृज कला केन्द्र देहली के सचिव विश्वनाथ अग्रबाल ने दीप प्रज्वलित किया। मां सरस्वती की वंदना गुजरात के अंकलेश्वर से पधारी कवयित्री डा. मधु गौड दिव्या ने काव्य पाठ कर प्रारम्भ से ही समां बांधा। सर्वप्रथम परम संत पंडित गयाप्रसाद जी स्मृति सम्मान अलीगढ़ के सुकवि मनोज नागर को वरिष्ठ कवि श्याम बाबू चिंतन द्वारा नेताजी कृष्णगोपाल-कैलाशी देवी वाष्र्णेय स्मृति सम्मान समाज सेवी निर्मला देवी सोमदत्त भारद्वाज ऐंहन को चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य द्वारा, डा. वीरेन्द्र तरुण स्मृति सम्मान समाजसेवी सत्यप्रकाश शर्मा भैंकुरी वालों को सुरेन्द्र बांठिया द्वारा तथा होम्योपैथी की निःशुल्क चिकित्सा को विख्यात रहे बिहारी लाल बंसल डाक्टर साहब स्मृति सम्मान में सुकवयित्री डा. मधु गौड दिव्या अंकलेश्वर गुजरात को ऋषी कुमार बंसल ने 3100रु. अंग बस्त्र भेंट करके किया।
सम्मान समारोह में साहित्य सांस्कृतिक गतिविधियों को संचालित करने वाले सम्मान अमेरिका प्रवासी श्रीमती उषा गुप्ता पूर्व प्रधानाचार्या की अध्यक्षता तथा विश्वनाथ अग्रवाल देहली के निर्देशन में उपरोक्त कार्यक्रम के आयोजनार्थ सहयोगी डा. जितेन्द्र स्वरूप शर्मा फौजी, अमृतसिंह पौनिंया, कबाड़ी बाबा ,डा. प्रीति लवानिया सचिव ज्ञान कला संजीवनी समिति, श्रीमती वन्दना वाष्र्णेय, अनिल वाष््र्णेय अध्यक्ष तेल वनस्पति व्यापार समिति, हरीशंकर वर्मा,वीना गुप्ता, डा. जितेन्द्र शर्मा सचिव काका हाथरसी स्मारक समिति, बृजमोहन शर्मा, डा. दिनेश कुमार माहेश्वरी का सम्मान चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य एवं बृजकला केन्द्र के सदस्यों ने किया।
इसके बाद आशु कवि अनिल बौहरे ने दशहरा पर कवि सम्मेलन का संचालन इन लाइनों से प्रारम्भ किया-मैं आतंकवाद रुपी रावण को मरवाने विभीषण बन जाऊंगा। परन्तु इस कलियुग में बताइए त्रेता वाला राम कहां से लाऊंगा।
सर्वाधिक प्रभावित किया कवयित्री डा. मधु गौड दिव्या अंकलेश्वर गुजरात की रचना- सबने गृहद्रोही नाम दिया जब बचाई एक परिणीता, किसने मुझसे कब ही यह पूछा हां कहो विभीषण क्या बीता। मनोज नागर अलीगढ-़अहम के अश्व पर जो सवार है मिलता उसे नफरत उपहार है। डा. नितिन मिश्रा-जिनके नाम जप से,सफल सब काम होते हैं। वही प्रभु मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम होते हैं। जयप्रकाश पचैरी सादाबाद-केसरी की भांति घनघोर गर्जना करुं मैं, राम नाम कृपा मुझ पर, काहे डरूं मैं। कुंवरपाल उपाध्याय भंवर,अलीगढ ने- लालाओं की चाह,दहेज के भाव बढते ऐसे ही बढते जायेंगे। लाली घटेंगी तौ लालाओं की शादी के लाले पड़ जाएंगे। गाफिल स्वामी इगलास ने पढा-मरते दम तक दुआ देकर, सदैव नेह बर्षाया मां ने। दीपक रफी ने कार्यकर्ताओं का दर्द बयां किया-अबके चुनाव के बाद रास्ते हमारे बदल जावेंगे। नेताजी आपका दिया धोखा हम भुला नहीं पायेंगे। श्याम बाबू चिंतन ने यूं कहा- मन गन्दा रावण का,अस्तित्व को ही मिटा गया, एक बानर सोने की लंका जला राख बना गया। सुकवियों बासुदेव उपाध्याय,बृजेश मोहन वैद्य रावत,चांद हुसैन चांद,रोशन लाल वर्मा, प्रदीप पंडित, देवीसिंह निडर,पूरन सागर ,राकेश रसिक के अलावा गोपाल चतुर्वेदी ने सुनी सुनाई सुनाई। विद्या सागर विकल , डा. प्रीति लवानिया , सत्य प्रकाश रंगीला, हरीशंकर वर्मा,वीना गुप्ता एडवोकेट ने समीक्षा की। कवि सम्मेलन से पूर्व प्राची दीक्षित ,बालिका धारणा कौशिक तथा श्रीमती रूपम कुशवाह ने गायन की प्रस्तुति कर तालियां बटोरीं।
इस अवसर पर डा. दिनेश कुमार माहेश्वरी, प्रमोद गोस्वामी एडवोकेट, राजू सिंह एड, अतुल आंधीबाल एडवोकेट, विजय सिंह प्रेमी, पंकज राय एडं, पं गणेश वशिष्ठ, जयशंकर पारासर, ऋषी कौशिक, अविनाश पचैरी, कृष्णा गुप्ता, आमना बेगम आदि सैकड़ों गणमान्य नागरिक उपस्थित थे। व्यवस्था में कपिल नरूला, सन्तोष उपाध्याय, मेले के गंगा जमुनी मुशायरा, कवयित्री सम्मेलन, बृज भाषा कवि सम्मेलन, गर्वमेन्ट पेंशनर सम्मेलन, बृज भाषा कवि सम्मेलन, हाथरस का इतिहास, मण्डलीय कवि सम्मेलन, साहित्य संगम, राष्ट्रीय कवि संगम,बृज कला अकादमी आदि सहयोगी सम्मानित किए गये।
अध्यक्षीय उद्बोधन में श्रीमती उषा गुप्ता एवं सह अध्यक्ष अनिल वाष्र्णेय ने कहा-एक पल में रोशनी से सारा जहान चमका। सूरज सा एक दीपक आसमान में धमका। आभार बृज कला केन्द्र अध्यक्ष चन्द्र गुप्त विक्रमादित्य ने व संचालन आशु कवि अनिल बौहरे ने किया
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