वादा तेरा वादा.. तेरे वादे में लुट गया अन्नदाता बेचारा सीधा सादा
हरदोई (आरएनआई) गत विधानसभा चुनाव में देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हरदोई के सीएस एन महाविद्यालय ग्राउंड व उसके बाद उन्नाव में एक विशाल चुनावी रैली में आवारा जानवरों की समस्या पर उप्र के किसानों से वादा करते हुए 21फरवरी 2022 को कहा कि आप लोग उप्र में भाजपा की सरकार बनाये हम आगामी 10मार्च को सरकार बनते ही आवारा जानवरों से आप को निजात दिलायेंगे। प्रधानमंत्री ने सीना ठोककर कर कहा कि यह मोदी की गारंटी है। भोलाभाला अन्नदाता मोदी के कहने पर भटक गया उसने सभी वोट भाजपा को देकर प्रचंड बहुमत की सरकार बनवा दी । सरकार बनने के बाद से अब तक उप्र का किसान आवारा जानवरों से जूझ रहा है । प्रधानमंत्री ने दुबारा किसानों की सुध नहीं ली। मोदी के सीना ठोक वादे पर एक फिल्म का गाना कितना सटीक है ।"वादा तेरा वादा तेरे वादे पर मारा गया मैं"
भंयकर ठंड व पाला में जानवरों को भगाने को मजबूर किसान
भंयकर ठंड व पाला में रात के अंधेरे में फूस की झोपड़ी में खेतों में रहकर अपनी फसल बचाने के लिए अन्नदाता आज भी मजबूर हैं।अपना घर-बार छोड़कर बीबी बच्चों से दूर खेतों में आशियाना बनाये गरीब किसान आवारा जानवरों से कितना परेशान हैं इसकी बानगी तो रात को खेतों में जाकर ही देखी जा सकती है। सबसे मजे की बात तो यह है कि रोज ही आवारा जानवरों को लेकर सरकारी फरमान अखबारों की हेडलाइन बन रहे हैं लेकिन जमीन पर कोई काम होते दिखाई ही नहीं दे रहा है। करोड़ों रुपए खर्च कर बनाई गयी गौशालाओं में गोवंश उंगलियों पर गिनने लायक ही है। शाहाबाद तहसील क्षेत्र के गांव गुजीदेई निवासी 22बर्षीय मुकेश का कहना है कि गोशाला में रखी गये गोवंश रात को निकाल दिये जाते हैं।जो फसलों में भारी नुक़सान करते हैं।इस कारण पूरी रात पन्नी के सहारे रात काटनी पड़ रही है। वहीं कमल किशोर, आत्मानंद, लालाराम,किशन चंद, अवनीश,सट्टलू ,आदि किसान भी पूरी रात खेतों में रहकर खेत बचाने में जुटे रहते हैं।
आवारा जानवरों के कारण आमदनी भी हो रही प्रभावित
आवारा जानवर किसानों के लिए भारी सिरदर्द बने हुए हैं।रात रात जागकर फसल बचाने में जुटे किसान दिन में खेतों में काम ही नहीं कर पाते।खेतों में बढ़ी लागत के कारण किसान पहले से ही परेशान हैं।ऊपर से आवारा जानवरों का आतंक के चलते किसानों की कमर टूटती चली जा रही है। रात-दिन रखवाली करने के बाद भी आवारा जानवर फसल उजाड़ देते हैं ऐसे में पूरी लागत डूब जाती है जिसके चलते किसानों के ऊपर से कर्ज का बोझ कम नहीं हो पा रहा है।यदि जैसे तैसे किसान ने उपज प्राप्त भी कर ली तो मण्डी में उसे ढंग का मूल्य न मिलने से आमदनी नहीं मिल पाती परिणामस्वरूप मुंशी प्रेमचंद के उपन्यास गोदान के पात्र होरी लाल की तरह किसान की एक गाय खरीदने की हसरत कभी पूरी ही नहीं हो पाती। सरकार द्वारा किसान की आमदनी का आकलन कर आंकड़ा जारी किया गया है जिसमें किसान की खेती से आय मात्र 27रू रोज है।
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