वाटिका लिमिटेड मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी का 15 ठिकानों पर छापा

ईडी ने वाटिका लिमिटेड और अन्य से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में दिल्ली और गुरुग्राम में 15 ठिकानों पर छापा मारा। इस दौरान ईडी ने 200 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्तियों की पहचान की।

Oct 11, 2024 - 16:32
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वाटिका लिमिटेड मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी का 15 ठिकानों पर छापा

नई दिल्ली (आरएनआई) प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने वाटिका लिमिटेड और अन्य से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में दिल्ली और गुरुग्राम में 15 ठिकानों पर छापा मारा। इस दौरान ईडी ने 200 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्तियों की पहचान की। ईडी ने यह कार्रवाई धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत की।

ईडी ने 7 अक्तूबर को दोनों शहरों में 400 से अधिक निवेशकों से ठगी के आरोप में छापा मारा था। इन लोगों को बिल्डर क्रेता एजेंटों (बीबीए) में शामिल किया था। इन्हें वाटिका लिमिटेड के वाणिज्यिक प्रोजेक्ट में निवेश करने पर सुनिश्चित रिटर्न का वादा किया गया था, लेकिन न तो कंपनी ने सुनिश्चित रिटर्न दिया और न ही खरीदारों व निवेशकों को वाणिज्यिक यूनिटें ही सौंपी। ईडी ने बताया कि जांच से पता चला कि वाटिका लिमिटेड ने बीच में ही सुनिश्चित रिटर्न देना बंद कर दिया और फरीदाबाद व गुरुग्राम में विभिन्न परियोजनाओं में संबंधित इकाइयों को भी नहीं सौंपा।

ईडी ने बताया कि छापे के दौरान खरीदारों के निवेश से संबंधित विभिन्न अहम दस्तावेज और रिकॉर्ड, समूह की कंपनियों द्वारा वित्तीय संस्थानों से लिए गए ऋण और पेन ड्राइव, हार्ड ड्राइव, लैपटॉप तथा मोबाइल फोन जैसे डिजिटल उपकरण जब्त किए गए हैं।

ईडी ने 2021 के दौरान आर्थिक अपराध शाखा, दिल्ली और हरियाणा पुलिस की ओर से भारतीय दंड संहिता, 1860 की विभिन्न धाराओं के तहत वाटिका लिमिटेड और प्रमोटरों अनिल भल्ला, गौतम भल्ला और अन्य के खिलाफ आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी और बेईमानी से संपत्ति की डिलीवरी के अपराधों से संबंधित कई प्रथम सूचना रिपोर्टों के आधार पर जांच शुरू की।

एजेंसी ने बताया कि जांच में पता चला है कि वाटिका समूह की कंपनियों ने 5000 करोड़ रुपये से अधिक का ऋण लिया था। इसमें से करीब 1200 करोड़ रुपये इंडियाबुल्स कंपनी ने वाटिका समूह और उसके प्रमोटरों के साथ समझौते में माफ कर दिए थे। यह भी पता चला है कि कंपनी ने उचित प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया। 

कंपनी ने समय-समय पर डीटीसीपी से लाइसेंस का नवीनीकरण नहीं कराया कराना और परियोजनाओं को समय पर पूरा करने में चूक की। एजेंसी ने यह भी कहा कि अब तक की जांच में करीब 250 करोड़ रुपये के अपराध से संबंधित लाभ का पता चला है। साथ ही छापे के दौरान ईडी ने इस लाभ से जुड़े 200 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्तियों की पहचान की है।

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