वकील पर लगा जुर्माना :सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने एक वकील (एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड) पर गुरुवार को 2,000 रुपये का जुर्माना लगाया। स्थगन की मांग के लिए वकील ने अपने स्थान पर एक जूनियर को अदालत में भेजा था और वह बिना तैयारी के ही कोर्ट में पेश हुआ। एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड यानी वह वकील है, जो क्लाइंट का प्रतिनिधित्व करने और सुप्रीम कोर्ट में मामले दायर करने के लिए अधिकृत है।
नई दिल्ली। (आरएनआई) एक मामले को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया था। जैसे ही मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने मामले को उठाया, एक जूनियर वकील ने मामले को स्थगित करने की मांग की। ऐसा इसलिए क्योंकि मुख्य वकील उस वक्त मौजूद नहीं थे। पीठ में न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल थे। पीठ ने कहा कि आप हमें इसे हल्के में नहीं ले सकते। अदालत के कामकाज में ढांचागत लागत शामिल है। बहस शुरू करें। इस पर जूनियर वकील ने कहा कि उन्हें मामले के बारे में जानकारी नहीं है और इस मामले पर बहस करने के लिए उनके पास कोई निर्देश भी नहीं है।
इस पर पीठ ने आपत्ति जताते हुए कहा कि हमें संविधान से मामले की सुनवाई के निर्देश मिले हैं। कृपया वकील को ऑन रिकॉर्ड बुलाएं। उन्हें हमारे सामने पेश होने के लिए कहें। बाद में एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेश हुए और शीर्ष अदालत से माफी मांगी। पीठ ने उनसे पूछा कि उन्होंने बिना किसी कागजात और मामले की जानकारी के एक जूनियर को अदालत में क्यों भेजा?
ख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाले सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने गुरुवार को स्थायी न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट के सात और पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के 11 अतिरिक्त न्यायाधीशों के नामों की सिफारिश की। कॉलेजियम में न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना भी शामिल थे। कॉलेजियम की आज बैठक हुई और इसका निर्णय शीर्ष अदालत की वेबसाइट पर अपलोड किया गया।
कॉलेजियम ने इलाहाबाद हाईकोर्ट न्यायाधीश उमेश चंद्र शर्मा, न्यायमूर्ति रेनू अग्रवाल, न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्रा, न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन, न्यायमूर्ति शिव शंकर प्रसाद, न्यायमूर्ति गजेंद्र कुमार और न्यायमूर्ति नलिन कुमार श्रीवास्तव के नामों की अनुशंसा की है।
एक अन्य फैसले में कॉलेजियम ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के 11 अतिरिक्त न्यायाधीशों को स्थायी न्यायाधीश नियुक्त करने की सिफारिश की। कॉलेजियम ने न्यायमूर्ति निधि गुप्ता, न्यायमूर्ति संजय वशिष्ठ, न्यायमूर्ति त्रिभुवन दहिया, न्यायमूर्ति नमित कुमार, न्यायमूर्ति हरकेश मनुजा, न्यायमूर्ति अमन चौधरी, न्यायमूर्ति नरेश सिंह, न्यायमूर्ति हर्ष बांगड़, न्यायमूर्ति जगमोहन बंसल, न्यायमूर्ति दीपक मनचंदा और न्यायमूर्ति आलोक जैन के नामों की सिफारिश की।
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर समेत पूरे क्षेत्र में प्रदूषण के स्तर पर अंकुश लगाने के लिए पटाखों पर प्रतिबंध लगाने की मांग करने वाली याचिका पर गुरुवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। शीर्ष कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से कहा कि वह राजधानी में पटाखों की बिक्री के लिए अस्थायी लाइसेंस जारी न करे।
जस्टिस एएस बोपन्ना और एमएम सुंदरेश की पीठ ने कहा कि हमें देखना होगा कि पिछले कुछ साल में किस स्तर पर काम किया गया है। क्या कोई अतिरिक्त निर्देश जारी करने की आवश्यकता है। हम देखते हैं कि अधिकांश पहलुओं का ध्यान रखा गया है।
पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध की मांग करते हुए 2015 में मुख्य याचिका दायर करने वाले नाबालिगों के एक समूह का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ वकील गोपाल शंकरनारायणन ने कहा कि वह पूर्ण प्रतिबंध के लिए दबाव नहीं डाल रहे हैं, बल्कि केवल उन पटाखों पर प्रतिबंध लगा रहे हैं जिनमें बेरियम होता है, जो हानिकारक है।
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