लोक व्यवस्था, पुलिस और भूमि के अलावा अन्य सेवाओं पर दिल्ली सरकार का नियंत्रण है : उच्चतम न्यायालय

आम आदमी पार्टी की सरकार को बड़ी राहत देते हुए उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को सर्वसम्मति से फैसला दिया कि लोक व्यवस्था, पुलिस और भूमि जैसे विषयों को छोड़कर अन्य सेवाओं पर दिल्ली सरकार के पास विधायी तथा प्रशासकीय नियंत्रण है।

May 11, 2023 - 19:00
 0  567
लोक व्यवस्था, पुलिस और भूमि के अलावा अन्य सेवाओं पर दिल्ली सरकार का नियंत्रण है : उच्चतम न्यायालय
उच्चतम न्यायालय

नयी दिल्ली, 11 मई 2023, (आरएनआई)। आम आदमी पार्टी की सरकार को बड़ी राहत देते हुए उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को सर्वसम्मति से फैसला दिया कि लोक व्यवस्था, पुलिस और भूमि जैसे विषयों को छोड़कर अन्य सेवाओं पर दिल्ली सरकार के पास विधायी तथा प्रशासकीय नियंत्रण है।

उच्चतम न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली संविधान पीठ ने कहा कि नौकरशाहों पर एक निर्वाचित सरकार का नियंत्रण होना चाहिए। उन्होंने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली का ‘विशेष प्रकार का’ दर्जा है और उन्होंने न्यायाधीश अशोक भूषण के 2019 के उस फैसले से सहमति नहीं जतायी कि दिल्ली सरकार के पास सेवाओं पर कोई अधिकार नहीं है।

शीर्ष न्यायालय ने केंद्र तथा दिल्ली सरकार के बीच सेवाओं पर प्रशासनिक नियंत्रण के विवादित मुद्दे पर अपने फैसले में कहा, ‘‘केंद्र की शक्ति का कोई और विस्तार संवैधानिक योजना के प्रतिकूल होगा…दिल्ली अन्य राज्यों की तरह ही है और उसकी भी एक चुनी हुई सरकार की व्यवस्था है।’’

उच्चतम न्यायालय ने 105 पन्ने के अपने आदेश में कहा, ‘‘ सूची-2 के विशेष उल्लेखों (लोक व्यवस्था, पुलिस और भूमि) को छोड़कर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली (एनसीटीडी) की विधानसभा के पास सूची-2 और सूची-3 का नियंत्रण है।’’

शीर्ष अदालत ने कहा कि सहकारी संघवाद की भावना के मद्देनजर केंद्र को संविधान द्वारा तय सीमाओं के भीतर अपनी शक्तियों का प्रयोग करना चाहिए।

पीठ ने कहा, ‘‘एक ‘विशेष प्रकार’ का संघीय ढांचा होने के नाते एनसीटीडी को संविधान द्वारा इसे प्रदत्त कार्यक्षेत्र में कार्य करने की अनुमति दी जानी चाहिए। केंद्र और एनसीटीडी एक अद्वितीय संघीय संबंध साझा करते हैं। इसका मतलब यह नहीं है कि एनसीटीडी को संघ की इकाई में केवल इसलिए शामिल किया गया है क्योंकि यह ‘राज्य’ नहीं है।’’

संविधान पीठ में न्यायमूर्ति एम आर शाह, न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी, न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा भी शामिल रहे।

फैसले में दिल्ली सरकार की शक्तियों के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा गया है कि भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) या संयुक्त कैडर सेवाओं जैसी सेवाओं से जुड़ी विधायी और कार्यकारी शक्तियां दिल्ली सरकार के अधीन हैं, जोकि दिन-प्रतिदिन के प्रशासन के संदर्भ में दिल्ली सरकार की नीतियों और दृष्टिकोण के कार्यान्वयन के लिए प्रासंगिक हैं।

अरविंद केजरीवाल सरकार आरोप लगाती रही है कि अखिल भारतीय सेवाओं और ‘दानिक्स’ (दिल्ली, अंडमान एवं निकोबार, लक्षद्वीप, दमन एवं दीव और दादरा एवं नगर हवेली, सिविल सेवा) जैसे संयुक्त यूटी कैडर के नौकरशाह निर्वाचित सरकार के प्रशासनिक निर्देशों का पालन नहीं कर रहे हैं।

उच्चतम न्यायालय के फैसले की सराहना करते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस आदेश को ‘‘लोकतंत्र की जीत’’ बताया और उनकी आम आदमी पार्टी ने कहा कि शीर्ष अदालत का फैसला देशभर में राज्य सरकारों को अपदस्थ करने के अभियान पर एक ‘‘जोरदार तमाचा’’ है।


‘आप’ नेता और राज्यसभा के सदस्य राघव चड्ढा ने इस फैसले को ‘‘ऐतिहासिक निर्णय’’ बताया और कहा कि यह एक कड़ा संदेश देता है।


चड्ढा ने ट्वीट किया, ‘‘सत्यमेव जयते। दिल्ली की जीत हुई। माननीय उच्चतम न्यायालय का ऐतिहासिक निर्णय यह कड़ा संदेश भेजता है कि दिल्ली सरकार के साथ काम कर रहे अधिकारियों की जिम्मेदारी, शासन व्यवस्था को बाधित करने के लिए केंद्र द्वारा भेजे गए गैर निर्वाचित अनधिकृत व्यक्तियों यानी उपराज्यपाल के बजाय, निर्वाचित सरकार के माध्यम से दिल्ली के लोगों की सेवा करना है।’’

उच्चतम न्यायालय ने कहा कि प्रशासनिक मुद्दों में केंद्र की प्रधानता, संघीय व्यवस्था तथा प्रतिनिधित्व लोकतंत्र के सिद्धांत को खत्म कर देगी। उसने कहा कि अगर ‘‘सेवाओं’’ को विधायी, कार्यकारी अधिकार क्षेत्र से बाहर किया जाता है तो मंत्रियों को सरकारी अधिकारियों पर नियंत्रण से बाहर कर दिया जाएगा।

प्रधान न्यायाधीश ने खचाखच भरे अदालत कक्ष में फैसला पढ़ते हुए कहा कि लोकतंत्र और संघवाद संविधान की मूल संरचना का हिस्सा हैं।

आदेश में यह भी कहा गया है कि अगर अधिकारियों को मंत्रियों को रिपोर्ट करने से रोका जाता है तो सामूहिक जिम्मेदारी के सिद्धांत पर असर पड़ता है। इसमें कहा गया है कि शासन के लोकतांत्रिक स्वरूप में प्रशासन की वास्तविक शक्ति निर्वाचित सरकार के पास होनी चाहिए।

न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि उपराज्यपाल प्रदेश की सरकार के विधायी दायरे से जुड़े मामलों के संबंध में दिल्ली सरकार के मंत्रियों की ‘‘सलाह मानने तथा उनके साथ सहयोग करने के लिए बाध्य हैं।’’

पीठ ने कहा कि जिन मामलों में केंद्र तथा राज्य दोनों कानून बना सकते हैं, उनमें केंद्र सरकार की शक्ति यह सुनिश्चित करने के लिए सीमित है कि शासन केंद्र सरकार के नियंत्रण में न चला जाए।

दिल्ली सरकार की शक्तियों का ब्यौरा देते हुए अदालत ने कहा कि भारतीय प्रशासनिक सेवाओं या संयुक्त कैडर जैसी सेवाओं पर विधायी तथा शासकीय शक्तियां दिल्ली सरकार के पास ही रहेंगी।

गौरतलब है कि दिल्ली में सेवाओं के नियंत्रण पर केंद्र तथा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र सरकार की विधायी और शासकीय शक्तियों से जुड़े कानूनी मुद्दे की सुनवाई के लिए संविधान पीठ का गठन किया गया था।

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 2015 में एक अधिसूचना जारी की थी कि उसके पास दिल्ली में सेवाओं पर नियंत्रण है। अरविंद केजरीवाल की सरकार ने इस अधिसूचना को दिल्ली उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी।

उच्चतम न्यायालय ने केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता तथा दिल्ली सरकार की ओर से पेश अधिवक्ता ए एम सिंघवी की दलीलें सुनने के बाद 18 जनवरी को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

शीर्ष न्यायालय ने पिछले साल छह मई को दिल्ली में सेवाओं के नियंत्रण का मुद्दा पांच सदस्यीय संविधान पीठ को सौंपा था।

दिल्ली सरकार की याचिका 14 फरवरी, 2019 के एक खंडित फैसले के बाद दायर की गयी जिसमें न्यायमूर्ति ए. के. सीकरी और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की दो-न्यायाधीशों की पीठ ने प्रधान न्यायाधीश से सिफारिश की थी कि राष्ट्रीय राजधानी में सेवाओं के नियंत्रण के मुद्दे को अंतिम रूप से तय करने के लिए तीन-न्यायाधीशों की पीठ गठित की जानी चाहिए।

न्यायमूर्ति भूषण ने फैसला सुनाया था कि दिल्ली सरकार का प्रशासनिक सेवाओं पर कोई अधिकार नहीं है, जबकि न्यायमूर्ति सीकरी के विचार इससे अलग थे।

उन्होंने कहा कि नौकरशाही के शीर्ष पदों (संयुक्त निदेशक और उससे ऊपर) में अधिकारियों का स्थानांतरण या तैनाती केवल केंद्र सरकार द्वारा की जा सकती है और अन्य नौकरशाहों से संबंधित मामलों पर मतभेद के मामले में उपराज्यपाल का विचार मान्य होगा।

पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने 2018 के फैसले में सर्वसम्मति से माना था कि दिल्ली के उपराज्यपाल निर्वाचित सरकार की सहायता और सलाह मानने के लिए बाध्य हैं और दोनों को एक-दूसरे के साथ मिलकर काम करने की जरूरत है।

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow

RNI News Reportage News International (RNI) is India's growing news website which is an digital platform to news, ideas and content based article. Destination where you can catch latest happenings from all over the globe Enhancing the strength of journalism independent and unbiased.