लाडोवाल टोल प्लाजा पर बैठे किसानों का अल्टीमेटम, तीस जून तक नहीं हुई सुनवाई तो जड़ेंगे ताले
किसान जत्थेबंदियों की तरफ से छह दिन से लाडोवाल टोल प्लाजा पर प्रदर्शन जारी है। अब तक करीब दो लाख वाहन बिना टोल दिए निकल चुके है। टोल प्लाजा कंपनी को करीब सात करोड़ से ज्यादा का नुकसान हो चुका है। एनएचएआई प्रदर्शनकारी किसानों के सामने बेबस है। कोई भी अधिकारी किसानों से बात करने नहीं पहुंच रहा है।
लुधियाना (आरएनआई) पंजाब के सबसे महंगे टोल प्लाजा में शामिल लाडोवाल टोल प्लाजा पर आने वाले समय में विवाद और बढ़ सकता है। एक साल में तीन बार टोल रेट बढ़ाए जाने के खिलाफ किसान जत्थेबंदियों की तरफ से धरना प्रदर्शन शुक्रवार को छठे दिन भी जारी रहा। किसान जत्थेबंदियों ने सभी वाहनों को फ्री में निकलवाया। अब तक सात करोड़ से ऊपर के नुकसान का अनुमान है।
किसान जत्थेबंदियों ने अब नया ऐलान कर दिया है। किसान जत्थेबंदियों का कहना है कि अगर टोल कंपनी की तरफ से उनके साथ कोई बातचीत नहीं की गई या फिर उनकी मांगों पर सुनवाई नहीं की गई तो तीस जून को लाडोवाल टोल प्लाजा के अधिकारियों के दफ्तरों को ताला लगा दिया जाएगा।
किसान मांग कर रहे हैं कि टोल 150 रुपये प्रति वाहन होना चाहिए, लेकिन एनएचएआई के अधिकारी किसानों की मांगों को नजरअंदाज कर रहे हैं। इसके चलते लाडोवाल टोल प्लाजा पर किसानों की संख्या धीरे-धीरे बढ़ती जा रही है। शुक्रवार को भी आसपास के कई ग्रामीण किसानों के साथ आ गए। समाजसेवी भी किसान जत्थेबंदियों के हक में आ गए है। उन का कहना है कि शहरवासियों पर बोझ पड़ रहा है। टोल प्लाजा कंपनी रेट कम करे। किसान जत्थेबंदियों का इस मामले में पूरी साथ दिया जाएगा।
भारतीय किसान मजदूर यूनियन के प्रधान दिलबाग सिंह ने कहा कि आज संघर्ष 6वें दिन में पहुंच गया है। सरकार कुंभकर्णी नींद में सो रही है। लोगों से हो रही लूट को रोकने के लिए किसान हर मुश्किल का सामना करने को तैयार है। यदि सरकार सोचे कि किसान सप्ताह भर या कुछ दिनों में खुद ही धरना समाप्त कर देंगे तो ये सरकार की भूल है। सरकार यदि उनकी मांगों पर ध्यान नहीं देती तो 30 जून की बैठक के बाद टोल प्लाजा के कमरों में ताला जड़ दिया जाएगा। किसान सरकार की लोकमारु नीतियों से डरने वाले नहीं है।
दिलबाग ने कहा कि जो किसान गर्मी में अपने खेत जोत सकते है तो वह लोगों से हो रही लूट रोकने के लिए हर संघर्ष करने को तैयार है। रोजाना पुलिस कर्मचारी और सुरक्षा एजेंसियां समझाने की कोशिश करते है लेकिन किसान अब किसी की बातों में आने वाले नहीं है। लगातार धरने का काफिला बढ़ रहा है। एक साल में तीन बार रेट बढ़ाना कहां का इंसाफ है। पंजाबियों की मेहनत भरी कमाई को सरकार लूटना चाहती है जो कभी सहन नहीं होगा।
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