लंबित जनगणना के लिए आवंटित किए गए मात्र 574 करोड़; क्या इतने में हो पाएगा काम पूरा?
24 दिसंबर, 2019 को केंद्रीय मंत्रिमंडल की एक बैठक में 8754.23 करोड़ रुपये की लागत से भारत की जनगणना 2021 आयोजित करने और 3,941.35 करोड़ रुपये की लागत से राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) को अपडेट करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई थी।
नई दिल्ली (आरएनआई) वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज साल 2025-26 के लिए आम बजट पेश किया। बजट में वित्त मंत्री ने किसानों और एमएसएमई सेक्टर के लिए कई अहम एलान किए। वित्त मंत्री ने मध्यम वर्ग को बड़ा तोहफा देते हुए 12 लाख रुपये तक की आय पर कोई टैक्स नहीं लगाने का एलान किया है। वहीं, अगर बजट में किए गए प्रावधानों को देखें तो इस बार भी जनगणना होने की संभावना नहीं दिख रही है। इस बार बजट में जनगणना के लिए 574.80 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।
शनिवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2025-26 में जनगणना, सर्वेक्षण और सांख्यिकी/भारत के रजिस्ट्रार जनरल (आरजीआई) के लिए 574.80 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। वहीं, 2021-22 के लिए पेश किए गए बजट में इस बाबत 3,768 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे। इसको देखते हुए कहा जा रहा है कि ये एक संकेत है कि करीब पांच साल की देरी के बाद भी जनगणना नहीं कराई जा सकती।
24 दिसंबर, 2019 को केंद्रीय मंत्रिमंडल की एक बैठक में 8754.23 करोड़ रुपये की लागत से भारत की जनगणना 2021 आयोजित करने और 3,941.35 करोड़ रुपये की लागत से राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) को अपडेट करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई थी।
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