रेबीज पीड़ितों को इच्छामृत्यु का अधिकार मिलेगा या नहीं, सोमवार को तय करेगी शीर्ष अदालत
शीर्ष अदालत ने 2020 में केंद्र को नोटिस जारी कर 2019 में दायर याचिका पर स्वास्थ्य और पर्यावरण मंत्रालयों से जवाब मांगा था। याचिका में, एनजीओ ने मांग की हे कि रेबीज रोगियों के लिए एक प्रक्रिया निर्धारित की जानी चाहिए ताकि उन्हें या उनके अभिभावकों को सहायक मृत्यु या निष्क्रिय इच्छामृत्यु के लिए चिकित्सकों की सहायता लेने का विकल्प चुनने की अनुमति मिल सके।
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नई दिल्ली (आरएनआई) सुप्रीम कोर्ट रेबीज से पीड़ित व्यक्तियों के लिए निष्क्रिय इच्छामृत्यु के अधिकार की मांग वाली जनहित याचिका पर सोमवार को सुनवाई करेगा। जस्टिस बीआर गवई व जस्टिस के विनोद चंद्रन की पीठ ने एनजीओ ऑल क्रिएचर्स ग्रेट एंड स्मॉल की याचिका पर 10 फरवरी को सुनवाई करने पर सहमति जताई है।
शीर्ष अदालत ने 2020 में केंद्र को नोटिस जारी कर 2019 में दायर याचिका पर स्वास्थ्य और पर्यावरण मंत्रालयों से जवाब मांगा था। याचिका में, एनजीओ ने मांग की हे कि रेबीज रोगियों के लिए एक प्रक्रिया निर्धारित की जानी चाहिए ताकि उन्हें या उनके अभिभावकों को सहायक मृत्यु या निष्क्रिय इच्छामृत्यु के लिए चिकित्सकों की सहायता लेने का विकल्प चुनने की अनुमति मिल सके।
9 मार्च, 2018 को सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने कहा था कि जीवन के अधिकार में मरने का अधिकार भी शामिल है और ‘लिविंग विल’ बनाने की अनुमति देकर निष्क्रिय इच्छामृत्यु को वैधानिक बना दिया था। इसके तहत असाध्य रूप से बीमार या स्थायी रूप से निष्क्रिय अवस्था (पीवीएस) में पड़े उन रोगियों को चिकित्सा उपचार या जीवन रक्षक प्रणाली से इन्कार करके सम्मानजनक तरीके से विदा लेने का अवसर दिया जा सकता है, जिनके ठीक होने की कोई उम्मीद नहीं है।
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