राष्ट्र निर्माण के प्रयासों में फिजी का सहयोगी बनना भारत का सौभाग्य: एस. जयशंकर
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बृहस्पतिवार को कहा कि फिजी के राष्ट्र निर्माण के प्रयासों में उसका साझीदार बनना भारत के लिए सौभाग्य की बात है।
सुवा (फिजी), 16 फरवरी 2023, (आरएनआई)। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बृहस्पतिवार को कहा कि फिजी के राष्ट्र निर्माण के प्रयासों में उसका साझीदार बनना भारत के लिए सौभाग्य की बात है।
जयशंकर ने रेखांकित किया कि लोगों के आपसी संबंधों के जरिए दोनों देशों में ‘‘निकट एवं पुराने संबंध’’ रहे हैं।
जयशंकर ने फिजी के प्रधानमंत्री सित्विनी राबुका के साथ यहां एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा कि भारत एवं फिजी ने वीजा छूट समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘इससे दोनों देशों के बीच यात्रा को प्रोत्साहित करने में निश्चित ही काफी मदद मिलेगी।’’
उन्होंने कहा, ‘‘भारत और फिजी के बीच घनिष्ठ एवं पुराने संबंध हैं और मुझे लगता है कि इसमें दोनों देशों के लोगों के आपसी संबंधों का बड़ा योगदान है।’’
जयशंकर ने कहा, ‘‘फिजी के राष्ट्र निर्माण के प्रयासों में उसके साथ स्वास्थ्य, शिक्षा एवं कृषि जैसे विभिन्न क्षेत्रो में साझीदार बनना हमारे लिए सौभाग्य की बात है। हमने गन्ना उद्योग में परियोजनाएं की हैं। हमने नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में मिलकर काम किया है और हमने आज वार्ता के दौरान आईटी (सूचना प्रौद्योगिकी) और मध्यम एवं लघु उपक्रमों के क्षेत्र में सहयोग पर चर्चा की। हमारे सामने वास्तव में बहुत ही ठोस द्विपक्षीय एजेंडा है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री के साथ वार्ता के बाद मुझे पूरा भरोसा है कि यह संबंध नई ऊंचाइयां छुएगा और इससे दोनों देशों के लोगों को लाभ होगा।’’
दोनों नेताओं ने हिंद-प्रशांत समेत साझा हित के क्षेत्रीय एवं वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की।
जयशंकर ने कहा, ‘‘हमने अंतरराष्ट्रीय संगठनों में मजबूती से काम करते हुए अपने बहुपक्षीय सहयोग को मजबूत करने की दिशा में और निकटता से काम करने पर सहमति जताई। हमने विशेष रूप से प्रशांत क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित किया क्योंकि भारत फिजी को हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एक बहुत ही महत्वपूर्ण भागीदार के रूप में देखता है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमें आगामी महीनों में भारत प्रशांत द्वीप सहयोग मंच (एफआईपीआईसी) के तीसरे शिखर सम्मेलन की सह-मेजबानी करने की उम्मीद है और हम इस अवसर पर फिजी की उपस्थिति और नेतृत्व को निश्चित रूप से महत्व देंगे।’’
हिंद-प्रशांत एक जैव-भौगोलिक क्षेत्र है, जिसमें दक्षिण चीन सागर सहित हिंद महासागर और पश्चिमी एवं मध्य प्रशांत महासागर शामिल हैं।
संसाधनों से समृद्ध इस क्षेत्र में चीन की बढ़ती सैन्य मौजूदगी की पृष्ठभूमि में अमेरिका, भारत एवं दुनिया के अन्य कई देश स्वतंत्र एवं मुक्त हिंद-प्रशांत क्षेत्र सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर जोर दे रहे है।
यह पूछे जाने पर कि क्या दोनों नेताओं ने वार्ता के दौरान चीन पर बात की, राबुका ने कहा, ‘‘हमें लगता है कि जो मौजूद नहीं है, उसके बारे में बात करना अच्छी आदत नहीं है। हमने हमारे बीच आपसी सहयोग पर चर्चा की और इतनी बड़ी ताकत एवं अर्थव्यस्था हमसे बात कर रही है, यह हमारे लिए बहुत सौभाग्य की बात है।’’
फिजी के प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘हमारे पास पुराने अच्छे मित्र हैं और नए मित्र खोजने की आवश्यकता नहीं है। इस क्षेत्र में वास्तव में कोई नए मित्र नहीं हैं। हम भारत के मित्र रहे हैं और हम चीन के मित्र रहे हैं। हम अपने संबंध बरकरार रखेंगे।’’
राबुका ने फिजी में 12वें विश्व हिंदी सम्मेलन की सह-मेजबानी में अभूतपूर्व समर्थन देने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भारत सरकार की सराहना भी की।
जयशंकर 12वें विश्व हिंदी सम्मेलन में शामिल होने के लिए दक्षिण पश्चिमी प्रशांत महासागर में स्थित इस द्वीप देश की तीन दिवसीय यात्रा पर यहां पहुंचे हैं।
उन्होंने सम्मेलन में भारत के साथ भागीदारी के लिए फिजी सरकार को धन्यवाद दिया।
फिजी में अकसर प्राकृतिक आपदाएं आती रहती हैं और ऐसे मुश्किल समय में भारत फिजी के साथ हमेशा खड़ा रहा है।
विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘भारत मुश्किल समय में फिजी के साथ खड़ा रहा है। कई मौकों पर हमने सबसे पहले प्रतिक्रिया दी है और कोविड के दौरान हमने अपनी ‘वैक्सीन मैत्री’ पहल के तहत फिजी को मार्च 2021 में टीकों की एक लाख खुराक दीं। हम फिजी में हुए सुधार को देखकर वाकई खुश हैं और हम वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए इसे बहुत अच्छा मानते हैं।
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