राष्ट्रपति अल्वी ने फलस्तीनी मुद्दे पर दिया सुझाव, अब पड़ रहा महंगा
आरिफ अल्वी ने कहा कि अगर इस्राइल टू स्टेट सोल्यूशन यानी दो राष्ट्र समाधान के लिए नहीं मान रहा है तो उसके सामने यह प्रस्ताव रखो।
इस्लामाबाद, (आरएनआई) पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ अल्वी का एक सुझाव देना उनपर महंगा पड़ता दिखाई दे रहा है। उन्होंने फलस्तीनियों के मुद्दे को सुलझाने के लिए वन स्टेट सोल्यूशन यानी एक राष्ट्र समाधान का सुझाव दिया। उनका यह सुझाव देना उनपर ही भारी पड़ गया। उनकी टिप्पणी से कार्यवाहक सरकार ने हाथ पीछे खींच लिए और उनके इस्तीफे की मांग कर डाली।
राष्ट्रपति कार्यालय ने शुरू में एक बयान जारी किया, जिसमें बताया गया कि राष्ट्रपति अल्वी ने अपने फलस्तीनी समकक्ष महमूद अब्बास के साथ टेलीफोन पर बातचीत की और इस दौरान 'एक राष्ट्र समाधान' का सुझाव दिया। अल्वी ने कहा कि अगर इस्राइल टू स्टेट सोल्यूशन यानी दो राष्ट्र समाधान के लिए नहीं मान रहा है तो उसके सामने एक राष्ट्र समाधान का प्रस्ताव रखो। इस प्रस्ताव से मुस्लिम और ईसाई समुदायों के लोग बराबर हक से रह सकेंगे।
राष्ट्रपति कार्यालय का बयान सामने आते ही सभी टीवी चैनलों ने इस खबर को प्रसारित कर दिया। बाद में बयान को वापस लेकर नया जारी किया, जिसमें इस प्रस्ताव का कोई जिक्र नहीं किया गया था।
संसद में पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के सांसद रजा रब्बानी ने विवादास्पद टिप्पणी पर उनसे स्पष्टीकरण मांगा। इस पर कार्यवाहक विदेश मंत्री जलील अब्बास जिलानी ने मंगलवार को अल्वी के प्रस्ताव को देश के सैद्धांतिक और ऐतिहासिक रुख के अनुरूप नहीं बताया। विदेश मंत्री ने कहा कि राष्ट्रपति ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करने से पहले उनके मंत्रालय को जानकारी नहीं दी थी। उन्होंने आगे कहा कि उन्हें उस संदर्भ की जानकारी नहीं थी, जिसमें राष्ट्रपति ने एक राष्ट्र समाधान का सुझाव दिया था।
जिलानी ने कहा कि राष्ट्रपति का बयान जारी होने के तुरंत बाद उनके मंत्रालय को एक स्पष्टीकरण जारी करना पड़ा, जिसमें फलिस्तीन मुद्दे पर पाकिस्तान का रुख बताया गया। उन्होंने कहा कि स्पष्टीकरण इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) सचिवालय और संयुक्त राष्ट्र निकायों सहित अन्य संबंधित संगठनों को भेजा गया। उन्होंने कहा कि फलस्तीन मुद्दे को लेकर पाकिस्तान ने हमेशा दो राष्ट्र समाधान का सुझाव दिया है।
सांसद रजा रब्बानी ने कहा कि राष्ट्रपति को इस्तीफा देना चाहिए। साथ ही उन्होंने विदेश मंत्री से सदन को यह बताने के लिए भी कहा कि सरकार ने राष्ट्रपति के बयान से पैदा हुए विवाद को खत्म करने के लिए क्या किया है?
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