रामलीला के रंग मंच पर हुआ अखिल भारतीय कवि सम्मेलन, गरीबों के लिए आंखों में पानी कौन रखता है

Oct 15, 2023 - 18:48
Oct 15, 2023 - 20:10
 0  1.6k
रामलीला के रंग मंच पर हुआ अखिल भारतीय कवि सम्मेलन,  गरीबों के लिए आंखों में पानी कौन रखता है
मुख्य अतिथि को सम्मानित करते आयोजक
रामलीला के रंग मंच पर हुआ अखिल भारतीय कवि सम्मेलन,  गरीबों के लिए आंखों में पानी कौन रखता है

शाहाबाद हरदोई। शाहाबाद नगर के प्रसिद्ध ऐतिहासिक पठकाना रामलीला मेला के रंग मंच पर बीती रात एक विराट अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता वरिष्ठ कवि सतीश शुक्ला ने की। जबकि संचालन बरेली के प्रसिद्ध कवि रोहित राकेश ने किया। कवि सम्मेलन में बतौर और मुख्य अतिथि उच्च शिक्षा मंत्री के पुत्र आदि तिवारी ने हनुमान जी के चित्र पर माल्यार्पण करने के बाद मां सरस्वती के समक्ष दीपक प्रज्वलित कर पुष्पांजलि अर्पित की। इस मौके पर आयोजक ओम देव दीक्षित ने आदि तिवारी को अंग वस्त्र भेंट कर सम्मानित किया। तत्पश्चात कानपुर की अंकिता शुक्ला ने मां वीणा पाणि के चरणों में समर्पित अपनी रचना के साथ कवि सम्मेलन का शुभारंभ किया। तत्पश्चात जंग बहादुर गंज खीरी के युवा हस्ताक्षर सुनीत वाजपेई ने भगवान राम को संबोधित करते हुए यह रचना पढ़ी है सिखाया राम ने तंबू में रहकर विश्व को, छत न हो सर पर तो फिर तिरपाल में ही खुश रहो। प्रतापगढ़ के आशुतोष तिवारी आशु ने वतन के प्रति समर्पित अपनी यह रचना पढ़कर खूब वाहवाही बटोरी नमन पूजा करो हरदम वही भगवान है सच्चा, वतन के मान को ओढ़ा कफन जिसे तिरंगा है। विसवां सीतापुर के कवि संदीप मिश्रा सरस ने कुछ इस तरह से जिंदगी के ऊपर अपनी पंक्तियों पढ़ीं हमें यह खाली खाली जिंदगी अच्छी नहीं लगती, छलावों से उबाली जिंदगी अच्छी नहीं लगती। हमारा हक हमें दे दो यह सब कुछ छीन लो हमसे, हमें यह बीच वाली जिंदगी अच्छी नहीं लगती। लखीमपुर के वयोवृद्ध कवि राजेंद्र तिवारी कंटक ने श्रृंगार रस पर अपना गीत सुनकर युवाओं को झूमने पर मजबूर कर दिया उन्होंने बन ठन के निकली एक गोरी का चित्रण कुछ इस तरह किया निकली है गोरी कोई बन ठन के, रूप का उजाला आया छन छन के, उसको जो मैंने देखा आंख भर के, बज उठे तार तार तन मन के, करे मलमल कर स्नान बिजुरिया पानी में, जैसे करती है कोई किलोल मछरियां पानी में। बरेली के रोहित राकेश ने प्यार में मिले धोखे को कुछ इस तरह से बयां किया आंखें जो दो थी उन्हें भी चार कर गए, कमबख्त अपने दिल का भी व्यापार कर गए। कानपुर की अंकिता शुक्ला जब मंच पर आईं तो युवा श्रोता झूमने लगे उन्होंने प्यार का इजहार कुछ इस तरह से किया उनसे जुदा होकर तो ऐसे जी रही हूं मैं, दामन है तार तार उसे सी रही हूं मैं, दुनिया के आगे हार गई अंकिता दिल को, यानी मोहब्बतों में जहर पी रही हूं मैं। वीर रस के कवि अरविंद मिश्रा ने अपनी इन पंक्तियों के माध्यम से दुश्मनों को कुछ इस तरह से खामोश किया रही सुरक्षित मां की धरती अपनी यह परिपाटी है, ताज, हिमालय है भारत का सुंदर कानन घाटी है। अभिनव दीक्षित ने देश के अधर्मियों के प्रति खुलकर कुछ इस तरह अपनी कविता पढ़ी ऐसे प्रण का क्या पालन है जिसमें धर्म चला जाए, एक अधर्मी के हाथों से भारत पुनः छला जाए। कवि सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहे सतीश चंद्र शुक्ला ने भी देश के गद्दारों को कुछ इस तरह से संदेश दिया सियासत तोड़ने की कर रहे हैं जयचंद के वंशज, छिपे गद्दार जब घर में वतन की बात क्या होगी। लखीमपुर खीरी के संजीव मिश्रा व्योम ने गांधी जी के बंदरों पर अपनी यह कविता पढ़ी बुरा सुनो ना बुरा कहो ना बुरा ना देखो प्यारे, बापू आज तुम्हारे बंदर कहां खो गए सारे। दिल्ली से पधारे वीर रस के कवि अजय मिश्रा दबंग ने वीर शहीदों की शहादत को सलाम करते हुए यह रचना पढ़ी जिनकी देह पार्थिव भी दुश्मन के भय का कारण थी, जिनके पिस्टल की गोली बस आजादी का उच्चारण थी, सारा जीवन न्योछावर है उस अनमोल जवानी पर, कितने चरखे कुर्बान करूं मैं शेखर की कुर्बानी पर। जेबी गंज लखीमपुर के श्रीकांत सिंह ने अपनी रचना के माध्यम से व्यंग्य करते हुए कुछ इस तरह कहा मालाओं से लद रहे ऐसे ऐसे लोग, योग नहीं जिनका कोई ना कोई उपयोग। सीतापुर के अवनीश त्रिवेदी अभय ने अपनी रचना के माध्यम से चुनाव के वक्त गरीबों के प्रति हमदर्दी दिखाने वाली यह कविता पढ़ी दिलों में अब मोहब्बत की रवानी कौन रखता है, नए घर में कहो चौखट पुरानी कौन रखता है, मियां मौसम चुनावी है तभी सब हो रहा वर्ना, गरीबों के लिए आंखों में पानी कौन रखता है। आधी रात तक चले इस कभी सम्मेलन को देखने के लिए श्रोताओं की भीड़ डटी रही। कवि सम्मेलन के समापन पर आयोजक पंडित ओम देव दीक्षित एवं करूणेश दीक्षित सरल ने संयुक्त रूप से आए हुए सभी कवियों एवं दर्शकों का आभार जताया।

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow