रामपुर में अखिलेश तो मुरादाबाद में आजम की प्रतिष्ठा दांव पर
सपा के भीतर रामपुर और मुरादाबाद सीट पर घमासान मचा हुआ है। मुरादाबाद मंडल में प्रत्याशियों के नामों पर मुहर लगाने से पहले अखिलेश यादव ने आजम खां से सीतापुर जेल में मुलाकात की थी। इसके बाद रामपुर और मुरादाबाद सीट पर प्रत्याशियों के नामों का एलान किया था।
मुरादाबाद (आरएनआई) सपा में टिकटों को लेकर चल रही खींचतान के बीच लोकसभा चुनाव के पहले चरण में पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की रामपुर और आजम खां की मुरादाबाद में प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। रामपुर सीट से चुनाव लड़ने का आजम का प्रस्ताव ठुकराकर अखिलेश ने मौलाना मोहिब्बुल्लाह नदवी को उम्मीदवार बनाया है।
आजम खां ने मुरादाबाद सीट से सांसद डॉ. एसटी हसन का टिकट कटवा कर रुचि वीरा को प्रत्याशी बनवाया है। पश्चिमी यूपी की रामपुर और मुरादाबाद लोकसभा सीट इन दिनों प्रदेश में सुर्खियों में है। इसकी वजह सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव और सीतापुर जेल में बंद पूर्व मंत्री आजम खां हैं।
दोनों रामपुर और मुरादाबाद सीट पर प्रत्याशियों के चयन को लेकर आमने-सामने आ गए थे। मुरादाबाद मंडल में प्रत्याशियों के नामों पर मुहर लगाने से पहले अखिलेश यादव ने आजम खां से सीतापुर जेल में मुलाकात की थी। आजम खां ने अखिलेश यादव को रामपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने का प्रस्ताव दिया था। साथ ही मुरादाबाद सीट से बिजनौर की पूर्व विधायक रुचि वीरा को प्रत्याशी बनाने की सिफारिश की थी।
अखिलेश यादव ने उनके प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया। इसके बाद आजम खां ने रामपुर में लोकसभा चुनाव के बहिष्कार का एलान कर दिया। इस खींचतान के बीच अखिलेश यादव ने आजम की पसंद को दरकिनार कर दिल्ली पार्लियामेंट्री स्ट्रीट की मस्जिद के इमाम मौलाना मोहिब्बुल्लाह नदवी को रामपुर से उम्मीदवार घोषित कर दिया।
यहीं नहीं मौजूदा सांसद डॉ. एसटी हसन को मुरादाबाद प्रत्याशी बना दिया। डॉ. एसटी हसन ने मुरादाबाद सीट से नामांकन भी दाखिल कर दिया। सियासी तकरार बढ़ने पर नामांकन के चौबीस घंटे बाद अखिलेश यादव ने डॉ. एसटी हसन का टिकट काटकर मुरादाबाद के लिए रुचि वीरा को सिंबल थमा दिया और आजम खां को बैलेंस करने की कोशिश की। लेकिन रामपुर सीट से प्रत्याशी में कोई बदलाव नहीं किया गया।
नामांकन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद मौलाना मोहिब्बुल्लाह नदवी रामपुर और रुचि वीरा मुरादाबाद लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में हैं। ऐसी परिस्थितियों में इन प्रत्याशियों की हार-जीत अखिलेश और आजम की प्रतिष्ठा से जुड़ी है।
फिलहाल रामपुर में मोहिब्बुल्लाह को संगठन के पदाधिकारियों और आजम खां के करीबियों के साथ तालमेल बैठाने में मुश्किल हो रही है। वहीं मुरादाबाद में रुचि वीरा के सामने संगठन के साथ-साथ सांसद डॉ. एसटी हसन के समर्थकों को साधना चुनौती बन रही है।
वर्ष 2004 के लोकसभा चुनाव में अभिनेत्री जयाप्रदा की रामपुर की सियासत में एंट्री हुई थी। आजम खां की सरपरस्ती में सपा के टिकट पर वह सांसद बनीं। 2009 के लोकसभा चुनाव से पहले दोनों के रिश्ते बिगड़ गए।
आजम खां जयाप्रदा को रामपुर से दोबारा प्रत्याशी बनाने के पक्ष में नहीं थे। लेकिन अमर सिंह के प्रभाव के आगे उनकी नहीं चली। सपा ने जयाप्रदा को रामपुर से दोबारा उम्मीदवार बनाया। आजम के विरोध के बाद भी जयाप्रदा चुनाव जीत गईं।
2019 के लोकसभा चुनाव में रामपुर सीट से आजम खां सपा-बसपा गठबंधन के उम्मीदवार थे। आजम खां के सामने भाजपा ने जयाप्रदा को मैदान में उतारा था। जयाप्रदा को 109997 मतों से हराकर आजम सांसद बने। 2022 के विधानसभा चुनाव में रामपुर सीट से आजम विधायक बने और लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद रामपुर लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी घनश्याम लोधी ने सपा के आसिम राजा को हरा दिया।
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