यूपी: रामजीलाल सुमन के सहारे दलित वोटबैंक साधेगी सपा, जातीय ध्रुवीकरण पर फोकस तेज

राणा सांगा पर दिए गए अपने बयान के बाद चर्चा में आए सपा के सांसद रामजीलाल सुमन करणी सेना सहित कई राजनीतिक दलों के निशाने पर हैं।

Apr 21, 2025 - 10:28
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यूपी: रामजीलाल सुमन के सहारे दलित वोटबैंक साधेगी सपा, जातीय ध्रुवीकरण पर फोकस तेज

लखनऊ (आरएनआई) सपा अपने राज्यसभा सांसद रामजीलाल सुमन के जरिये दलितों में पैठ बढ़ाएगी। इस मुद्दे को आगे भी गर्माये रखने की रणनीति है। पार्टी के रणनीतिकार मानते हैं कि इससे भाजपा के धार्मिक ध्रुवीकरण के प्रयासों का जवाब जातीय ध्रुवीकरण से दिए जाने में मदद मिलेगी।

सांसद रामजीलाल सुमन ने राज्यसभा में राणा सांगा को लेकर विवादित बयान दिया था। इसके बाद करणी सेना ने उनके खिलाफ आगरा में प्रदर्शन किया। रामजीलाल सुमन के आवास पर तोड़फोड़ भी हुई। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव भी शनिवार को रामजीलाल सुमन से मिलने आगरा गए। वहां अखिलेश ने स्पष्ट रूप से कहा कि मैं अपने दलित सांसद रामजीलाल सुमन के साथ खड़ा हूं। इस पर मुझे गोली मारने की धमकी मिल रही है। आखिरकार इसके पीछे कौन है। अगर सपा के लोग शिकायत कर रहे हैं तो भी एफआईआर दर्ज नहीं की जा रही है।

राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं कि रामजी लाल सुमन की पहचान दलित और गैर दलित की राजनीति न करने वाले नेता के रूप में है। इसके बावजूद सपा नेतृत्व अब उन्हें दलित सांसद के रूप में प्रस्तुत कर रहा है, तो इसके पीछे एक सोची-समझी रणनीति है। क्योंकि, जब समाज जातियों में बंटकर वोट करेगा तो सपा को फायदा मिलना तय माना जाता है। वहीं, धार्मिक आधार पर ध्रुवीकरण भाजपा को लाभ पहुंचाता है।

इस मुद्दे पर जेएनयू के सेवानिवृत्त शिक्षक प्रो. आनंद कुमार कहते हैं कि राणा सांगा पर रामजीलाल सुमन का बयान जाति-व्यवस्था के अंतर्विरोधों को सामने लाता है। ये राजनेताओं के बजाय इतिहासकारों के बीच बहस का विषय है। अब चुनावी राजनीति में यह किसे कितना फायदा पहुंचाता है, यह तो भविष्य ही बताएगा।

बसपा अध्यक्ष मायावती ने सपा के दलित प्रेम पर पलटवार किया है। उन्होंने रविवार को जारी अपने बयान में कहा कि कांग्रेस, भाजपा आदि की तरह सपा भी बहुजनों, खासकर दलितों को इनका सांविधानिक हक देकर इनका वास्तविक हित नहीं चाहती है। दलितों का कल्याण व उत्थान करना तो दूर, उनकी गरीबी, जातिवादी शोषण व अन्याय-अत्याचार आदि खत्म करने के प्रति कोई सहानुभूति या इच्छाशक्ति भी नहीं है। इसी वजह से दलित मुख्यधारा से कोसों दूर हैं। बसपा सुप्रीमो ने आगे कहा कि सपा द्वारा बसपा से विश्वासघात, उसके नेतृत्व पर 2 जून को जानलेवा हमला, प्रमोशन में आरक्षण का बिल संसद में फाड़ना, इनके संतों, गुरुओं व महापुरुषों के सम्मान में बनाए गए नये जिले, पार्क, शिक्षण व मेडिकल कालेजों का नाम बदलना आदि ऐसे घोर जातिवादी कृत्य हैं, जिसको माफ करना असंभव है।

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