राज्य सरकार की नई पहल, लोगों और भारी मशीन संचालकों को दिया जा रहा मानसिक स्वास्थ्य परामर्श
केरल के वायनाड जिले में 30 जुलाई को मेप्पाडी के पास विभिन्न पहाड़ी इलाकों में आए भूस्खलन ने भारी तबाही मचा दी थी। इस प्राकृतिक आपदा के कारण 300 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि सैकड़ों घायल हैं। भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों चूरलमाला और मुंडक्कई में सेना का राहत व बचाव कार्य नौवें दिन भी जारी है।
वायनाड (आरएनआई) केरल के वायनाड जिले में 30 जुलाई को मेप्पाडी के पास विभिन्न पहाड़ी इलाकों में आए भूस्खलन ने भारी तबाही मचा दी थी। इस प्राकृतिक आपदा के कारण 300 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि सैकड़ों घायल हैं। भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों चूरलमाला और मुंडक्कई में सेना का राहत व बचाव कार्य नौवें दिन भी जारी है। इस भयावह आपदा के कारण यहां के लोग बड़े स्तर पर प्रभावित हुए हैं। ऐसे में सरकार भूस्खलन में मारे गए लोगों के परिजनों या जीवित बचे लोगों की मानसिक स्थिति का खासा ध्यान रख रही है। लोगों को मानिसक स्वास्थ्य परामर्श दिया जा रहा है। हालांकि, अब राज्य सरकार ने एक और सराहनीय कदम उठाया है। उसने मलबे से अवशेष निकालने में मदद करने वाली भारी मशीनों के संचालकों के लिए भी यह सुविधा शुरू की है।
राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने बताया कि उसका मनोविज्ञान विभाग भारी मशीन संचालकों को मानसिक स्वास्थ्य परामर्श दे रहा है। परामर्श के बाद संचालकों को यह अहसास हो गया है कि आपदा प्रभावित इलाकों में लगातार काम करने और आंखों के सामने दयनीय दृश्यों से उनके उद्देश्य की भावना कमजोर नहीं हो सकती।
स्वास्थ्य विभाग ने जारी बयान में कहा कि बिहार, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, झारखंड, उड़ीसा और कर्नाटक जैसे अन्य राज्यों सहित 300 से अधिक भारी मशीन संचालक यहां मौजूद हैं। इसलिए विभाग अलग-अलग भाषाओं में इन लोगों की काउंसलिंग कर रहा है।
भूस्खलन से प्रभावित सभी लोगों को मानसिक स्वास्थ्य देखभाल और सहायता प्रदान करने के लिए एक मोबाइल मानसिक स्वास्थ्य इकाई स्थापित की गई है। राज्य की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने कहा कि यह इकाई समूह और व्यक्तिगत परामर्श दोनों देती है और मेडिकल कॉलेजों में डॉक्टरों की सेवाएं भी उपलब्ध कराई गई हैं।
मंत्री ने यह भी सख्त निर्देश दिए कि स्वास्थ्य विभाग की मंजूरी के बिना कोई भी शिविरों में प्रवेश न करे और परामर्श न दे। इसके अलावा, आपदा क्षेत्र में शिविरों और घरों में रहने वालों को विशेषज्ञ उपचार देने के लिए एक सुपर-स्पेशियलिटी टेलीकंसल्टेशन भी उपलब्ध कराया जाएगा।
राज्य की उच्च शिक्षा एवं सामाजिक न्याय मंत्री आर बिंदु ने कहा कि आपदा के पीड़ितों के लिए टेली-काउंसलिंग भी मुहैया कराई जा रही है। उन्होंने आगे कहा कि टेली-काउंसलिंग प्रणाली को सामाजिक न्याय विभाग के तहत आने वाले राष्ट्रीय शारीरिक चिकित्सा और पुनर्वास संस्थान (एनआईपीएमएआर) द्वारा स्थापित किया गया है।
वायनाड भूस्खलन से प्रभावित सनराइज घाटी में विशेष टीम द्वारा खोज अभियान चलाया जाएगा। छह प्रशिक्षित सैन्यकर्मियों, केरल पुलिस के 4 SOG (विशेष ऑपरेशन समूह), दो वन अधिकारियों और एक डॉग स्क्वायड वाली एक विशेष टीम तलाशी अभियान के लिए वायनाड में सूजीपारा झरने की सनराइज घाटी के लिए रवाना हुई।
एसपी एओजी तपोश बसुमतारी ने कहा, 'कल के अभियान के क्रम में आज भी हम एक टीम भेज रहे हैं। हम एक कैडेवर-कुत्ते और उसके संचालक को भी शामिल कर रहे हैं। यह 13 सदस्यों की टीम है। हम कुछ और नीचे जाना चाहते हैं।
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