राज्य सरकारों की पंचायतों के प्रति उपेक्षा असहनीय : अशोक जादौन

सिकंदराराऊ/हाथरस (आरएनआई) अखिल भारतीय पंचायत परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक जादौन ने कहा कि त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्थाएँ संवैधानिक अधिकार पाकर भी अधिकांश राज्यों में सरकार की उपेक्षा के कारण सफलता हासिल नहीं कर पा रही हैं। महात्मा गांधी जी के ग्राम स्वराज का सपना साढ़े सात लाख गाँवों के भारत के भविष्य को उज्ज्वल करना था। लेकिन यह काम लोक सभा और विधान सभा के सदस्यों एवं स्वार्थी राजनीतिज्ञों के कारण बाधित हो रहा है।उन्होंने कहा कि त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्थाओं के निर्वाचित प्रतिनिधियों पदाधिकारियों एवं ग्राम वासियों के कंधों पर 78 वर्ष के बाद लोकतंत्र की रक्षा का भार और पंचायती राज जो जर्जर और विखंडित अवस्था में है। उसे सशक्त एवं सबल बनाने का दायित्व है। पंचायतों को कागज पर लोकतांत्रिक मूल्यों को दृष्टिगत रखते हुए सभी वर्ग,समुदाय, अल्प संख्यक , महिला, अनुसूचित एवं जन जाति इत्यादि का प्रतिनिधित्व मिला है और पंचायती राज में एक साथ काम करने का अवसर प्राप्त हुआ है। उसका निर्वहन पूरी ईमानदारी और सत्यनिष्ठा के साथ निः स्वार्थ भाव से कीजिए। विभिन्न प्रदेशों के भ्रमण के दौरान प्रायः देखने को मिला कि समाज के निम्न दबे- कुचले वर्ग , जिनका जीवन सदियों से अशिक्षा, शोषण और अंधकार में व्यतीत हो रहा है। उन्हें राजनीतिज्ञों, विधान सभा और लोक सभा की नीतियों पर भरोसा नहीं हो पा रहा है। ऐसे लोगों के जीवन स्तर को उठाना और उन्हें रोशनी प्रदान करना , पंचायतों का प्रथम कर्तव्य बनता है। पंचायती राज में सम्पूर्ण शक्तियाँ ग्राम सभा को सौंपी गयी है। अखिल भारतीय पंचायत परिषद , सम्बद्ध प्रदेश/ राज्य पंचायत परिषद एवं बलवंत राय मेहता पंचायती राज संस्थान ( फ़ाउंडेशन ) अपने स्तर से साढ़े सात लाख गाँवों एवं ग्राम सभाओं में कार्यरत पंचायती राज प्रतिनिधियों के हितों की रक्षा के लिए कृत संकल्प है।
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